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Actresses Of Folk Songs - उत्तराखण्ड के लोक गीतों की नायिकायें
Parashar Gaur:
छुमा बौऊ
छुमा एक नाम ही नही , एक पहिचान भी है ,हमारी , हमारी पहाडी संस्कृतिकी की , हमारे साहित्य की ! वो हमारी गीतों कि नायका भी है ! छुम्मा बौ पहाडी की संस्कृति कि एक आई कान भी है ! वो किसी खाबो कि रुपहली परी से कम नही ! वो भावों और विचारों में विचाने वाली किसी एक विचार का नाम भी है ! वो अपने लाब्ब्न्य रूप रंग श्रृंगार व अदाओ के लिए मेरे पहाड़ के प्रतेक व्यक्ति हॄदय में कल भी थी , आज भी है और आने वाले कल में भी विराजमान रहेगी !
यू तो पहाड़ में कई खुबसूरत , कई चर्चित नायाकवो ने ने जन्म लिया जिन्होंने अपने अपने समय में अपनी अदाओं से , अपने रूप से पहाड़ के लोग गीतों में व वहा के आदमियों के मन में अपना एकछत्र राज किया जिनमे गैणी, सुरमा ,गयेली दौन्था आयद की चर्चा बड़े फकर के साथ किया जाता है लेकिन इन सबसे उप्पर , सबसे अलग एक नायका ,जो अलग से देखाई देती है वो है छुम्मा ...
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Sir,
Thanx for this exclusive information..
Anticipating for such information from you..
--- Quote from: parashargaur on January 27, 2009, 02:12:44 AM --- छुमा बौऊ
छुमा एक नाम ही नही , एक पहिचान भी है , हमरी, हमरी पहाडी संस्कृतिकी की , हमारे साहित्य की ! वो हमारी गीतों कि नायका भी है ! छुम्मा बौ पहाडी की संस्कृति कि एक आई कान भी है ! वो किसी खाबो कि रुपहली परी से कम नही ! वो भावों और विचारों में विचाने वाली किसी एक विचार का नाम भी है ! वो अपने लाब्ब्न्य रूप रंग श्रृंगार व अदाओ के लिए मेरे पहाड़ के प्रतेक व्यक्ति हॄदय में कल भी थी , आज भी है और आने वाले कल में भी विराजमान रहेगी !
यू तो पहाड़ में कई खुबसूरत , कई चर्चित नायाकवो ने ने जन्म लिया जिन्होंने अपने अपने समय में अपनी अदाओं से , अपने रूप से पहाड़ के लोग गीतों में व वहा के आदमियों के मन में अपना एकछत्र राज किया जिनमे गैणी, सुरमा ,गयेली दौन्था आयद की चर्चा बड़े फकर के साथ किया जाता है लेकिन इन सबसे उप्पर , सबसे अलग एक नायका , अलग से देखाई देती है वो है छुम्मा ...
--- End quote ---
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
कई बार उत्तराखंडी गानों में जिक्र किया गया है :
धनुली का -
जैसे हीरा सिह राणा यह गाने में
धना -२ धानुली धन तेरी जवानी
प्रीतम भारत्वान के इस गाने में
अ) नथुली का नाथ ये गयेला धानुली
खीमसिंह रावत:
Rupasa RAMOTI
Bikhoti ki DURGA
Gorkhiye Cheli BHAGULI
Chokote ki PARVATI
Banja na kata LACHCHHIMA
PARU
KAMALA
Dinesh Bijalwan:
Ek Saaru bhi thee . Wo Bahut roopwati thi. Usne jid karke apne pita ko apna vivah Quleli ke Sajwaan Badho ke yahan karne ko kaha. Uske pita ne majboor hokar uski baat maan li. Lekin Sajwaano ka kathor anusaasan use raas nahi aaya aur ant me usne Gadh se talab me kood kar aatmhatya kar li. Saaru ka taal queli patti me abhi bhi dekha ja sakta hai. Narender Singh Negi ji ne bhi is puraane lok geet ko apne ek kaiset me gayaya- Naa baba mai Queli jaando, Na baaba mai queli deno.
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