Author Topic: Documentary Film on Migration by Anmol Films-पलायन पर लघु फिल्म-अनमोल फिल्म प्रो  (Read 4403 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dosto,


उत्तराखंड का चौमुखी विकास ही है एकमात्र श्री माधवानंद भट्ट दंपत्ति का प्रयास और लक्ष्य उत्तराखंड
के सपूत श्री माधवानंद भट्ट दंपत्ति का सपना है की उनका राज्य दिन -दूना रात चौगुना विकास करे, इसके लिए यह दंपत्ति दिन-रात के अथक प्रयासों में जुटा हुवा हैं. महाराष्ट्र में रहते हुवे भी अपने मिट्टी की सुगंध वे भूले नही हैंएक तरफ वो महाराष्ट्र की शान बनकर यहाँ के विकास में अपना अमूल्य योगदान दे रहे हैं, तो वही दूसरी ओर यहाँ की मिट्टी में वो अपने पावन जन्मभूमि उत्तराखंड की सुगंध को भी घोलने का प्रयास अनवरत करते जा रहे हैं. श्री माधवानंद भट्ट दंपत्ति यहाँ रहकर उन सब कामो में सदा बढ़ -चढ़ कर भाग लेते हैं जिससे उनकी जन्मभूमि का विकास हो, सभी उत्तराखंडी (चाहे वे अपने राज्य में रह रहे हो या सुदूर किसी दुसरे राज्य में) भाइयो -बहनों को एक मंच पर लाकर अपने जन्मभूमि के विकास में सहयोगी होने का जनजागरण हो.   

उच्च
शिक्षित श्री माधवानंद भट्ट, इंडियन ओवरसीज बैंक के स्वेच्छानिवृत्य कर्मचारी, और मौजूदा समय में एक सफल व्यवसायी हैं. बिल्डिंग निर्माण के क्षेत्र में नवी मुंबई में आज भी उनकी कंपनी (अनमोल डेवलपर्स) की एक अलग पहचान हैं. उनके दिल में बसे उत्तराखंड की मिट्टी का इसे सुगंध ही कहेंगे, की उनके द्वारा बनाये गए मकानों में लगभग ४०% मकान, उत्तराखंडी भाइयो ने ही खरीदी हैं. आगे चलकर अपने जन्मभूमि की कला-संस्कृति के विकास के लिए उन्होंने जन-जन तक पहुचने वाले माध्यम, फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा और अपने पहले ही प्रयास में उन्होंने सेना के शहीद जाबाज सिपाहियों की विधवाओ की वस्तुस्थिति को लेकर, उत्तराखंडी भाषा में बनने वाली अब तक की सबसे महगी और सम्मानित फिल्म बनाई,"सिपैजी ". अपनी मातृभूमि की कला संस्कृति और प्रतिभाओ के प्रोत्साहन का सिलसिला आगे भी बदस्तूर उनका जारी हैं, और अब तक विविध विषयों पर कई म्यूजिक एल्बम उनकी फिल्म निर्माण कंपनी "श्री अनमोल प्रोड्क्शन" बना चुकी हैं.

अपनी
कर्मभूमि महाराष्ट्र की प्रांतीय भाषा मराठी में बनाई उनकी हालिया प्रदर्शित "व्हाट अन आइडिया माय " से उन्होंने यह भी सिद्ध कर दिया की अपने राज्य के स्वाभिमान के साथ -साथ दूसरे राज्यों के प्रति भी उनके दिल में आदर और सम्मान हैं. फिल्म निर्माण के व्यवसाय में उनके कदम से कदम मिलाकर, उनकी सुशिक्षित पत्नी श्री मीनाक्षी भट्ट ने भी उनका बखूबी साथ निभाया हैं. एक सफल गृहिणी, व्यवसायी और मातृत्व की जिम्मेदारी को उन्होंने भी अपने पति के नक़्शे-कदम पर चलकर बखूबी निभाया हैं.

अन्य
राज्यों की तरह पलायन की त्रासदी झेल रहे उत्तराखंड की धरती को केंद्र में रखकर, इस सामाजिक समस्या के प्रति आम लोगों में जनजागरण फ़ैलाने के उद्देश्य से, अब उन्होंने एक महत्वाकांक्षी डाक्यूमेंट्री फिल्म "पलायन - आखिर कब तक ?" बनाने का निर्णय लिया हैं, और जिस पर तेजी से काम भी शुरू हो गया हैं.
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M S Mehta

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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दोस्तों ...

 श्री माधव नन्द भट्ट जी का अपनी मात्र भूमि से जितना अथाह स्नेह है शायाद ही इसी किसी अन्य उत्तराखंडी में मैंने आज तक देखा हो ! इसी का परिणाम है  भट्ट जी समय-२ पर सामाजिक कार्यो में भी बड चड़ कर हिस्सा लेते रहे है! हमने कई मौको पर देखा है जहाँ पर भट्ट जी गरीबो की बहुत मदद की है! उत्तराखंड में पिछले साल आयी आपदा में और लोक गायिका कबूतरी देवी के इलाज के लिए भी भट्ट जी ने काफी मदद की!


 श्री माधवा नन्द भट्ट जी ने २०१० में ७० लाख की लागत से उत्तराखंड के सबसे महंगी फीचर फिल्म (सिपैजी) बनाई पर उत्तराखंड के सिनेमा जगत को बढावा देने के लिए एक महतवपूर्ण कोशिश की! इसके अलावा भट्ट जी की म्यूजिक कंपनी श्री अनमोल फिल्म प्रोडक्शन भी पूरी तरह से उत्तराखंड के लोक संगीत को बढावा देने लिए समर्पित है!


 दोस्तों जब सिपैजी बन रही थे तभी भट्ट जी ने उत्तराखंड एक महत्वपूर्ण मुद्दा पलायन पर अपनी अगली फिल्म बनाने का एलान किया था! जिस तरह से प्रथक उत्तराखंड राज्य बनाने के बाद भी पहाडो से पलायन जारी है वह एक बहुत गंभीर चिंता का विषय है!  भट्ट जी के प्रयास से देहरादून में बैठकर उत्तराखंड में राज्य करने वाले नेताओ की आँखे जरुर खुलेंगी! ऐसी हमें आशा है!


 दोस्तों .. आपके सुझाव भी आमंत्रित है इस फिल्म के निर्माण में!
 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Migration is one the major issues in uttarakhand which has increased in manifolds even after 11 yrs of Uttarakhand becoming a separate state.

1)   District which are mostly affected area, Chamoli, Bageshwar, Pithoragarh, Uttarkashi, Rudraparag as these district are sharing international boarders also.

2)  Migration rate is in increasing trend in rest hill Distt of UK.

3)  Anmol Film Team must capture the real picture of Dharchula (pithorgarh), Badiakot Bageshwar, Mana (Chamoli etc).

4)  A dept study is required to be done..

हेम पन्त

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किसी समय पहाड़ों से पलायन का मुख्य कारण रोजगार था.. लेकिन अब शिक्षा, सड़क और यहाँ तक कि पीने का पानी भी पलायन का कारण बन चुके हैं.. 





एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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  • धर्म सिंह बुटोला पलायन तो जब से मैं पैदा हुवा हूँ(1968 से) तब से ही हो रहा है, (क्योंकि उस वक्त अगर पलायन न हो रहा होता तो मैं दिल्ली मैं पैदा न हुआ होता )
    उससे पहले का मैं नहीं जानता |
    इस तरह की फिल्म तो पराशर गौड़ जी को बनानी चाहिए थी अस्सी के दशक में |14 hours ago · Unlike · 1
  • धर्म सिंह बुटोला अब नहीं है पलायान अब तो सिर्फ पलायन का रोना रह गया है, क्योंकि जो अब पलायन को रो रहे हैं वे सिर्फ उत्तराखंड के मूल निवासी ही हैं, जिनका निवास कहीं और है |13 hours ago · Like
  • Mahi Mehta Jagwal bahut hhi achhi film banayee the Parashar ji ne..1983 me.. Wastav me rajya banane ke bad bhi wahan playan kam nhi huwa...13 hours ago · Like · 1
  • भगवान सिंह जयाड़ा अभी भी अगर उत्तराखंड सरकार की नीतियों में पलायन को रोकने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए जाते है तो भी कुछ सकारात्मक हल निकल सकता है ,,अच्छा प्रयाश है ,अगर पलायन के दर्द को उचित ठंग से दर्शाया हो फिल्म में ,,,12 hours ago · Unlike · 1
  • जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु "पलायन" वृतचित्र  की जग्वाल रलि मेहता जी।  पहाड़ के लोग पहले रोजगार के लिए पहाड़ से दूर जाते थे लेकिन लौट कर आते थे .  कुछ समय बाद उनके मन में  ये अहसास हुआ, जो हम कमाते हैं पहाड़ आने और जाने में ही खर्च हो जाता है।   सोच बदली और उन्होने महानगरों में आशिय...See More

 

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