कहते हैं कि-उत्तराखंड के संगीत का स्तर नीचे गिर रहा है ,बिलकुल सही बात है और हमारे उत्तराखंड मैं कलालारों कि भी कोई कमी नहीं है! लेकिन क्या करें इन कलाकारों को कोई भी आगे आने नहीं देता है ,सबसे पहले तो जो भी नए कलाकार आते हैं ,उनका बुरी तरह से शोषण होता है दिली मैं, और ये शोषण करने वाले लोग कोई और नहीं हैं,ये उसी देवभूमि मैं जन्में हुए लोग वहीँ के रहें वाले लोग जो इन गरीब कलाकारों का शोषण करते हैं
गाँव मैं जब भी कोई लड़का या लड़की किसी भी छेत्र मैं गायक हो या कोई एक्टर वो जब भी दिली अत है तो उसे ठग किया जाता है,कि-लोग कहते हैं मैं तुमें कलाकार नाऊंगा और मैं तुमारी कैसेट रिकोल्ड करवाता हूँ , ये सब वो लोग कर देते हैं रेकोल्डिंग भी हो जाती है, और गायक से ४०-५० हजार रुपये भी लिए जात हैंऔर उस रिकोल्डिंग का वर्षों तक कहीं पता नहीं चलता है !
गायक बेचारा किसी से भी उधार लेकर अणि कैसेट रेकोल्ड करवाता है और रेकोल्डिंग कम्पनियां एस ठग कर गायब हो जाती हैं ,ये उस गरीब के बारें मैं नहीं सोचते हैं कि उसके माँ- बाप के दिल मैं क्या गुजरेगी ,जिस बेचारे ने कर्जा लेकर अपने बच्चे को दिली भेजाउअके भी कुछ सपने होंगें कि एक दिन वो भी इस देवभूमि मैं कुछ बनकर द्खायेगा अपने बूडे माँ-बाप कि सेवा करेगा और अपनी जिंदगी मैं कुछ कर दिखायेगा!
लेकिन ये ठग उसे आगे आने नहीं दते हैं ,फिर ये लोग उस रेकोल्डिंग कि गयी कैसेट को दूसरी कम्पनियों को बेच कर वहन से भी ये पैसा बनाते हैं और मालामाल बन जाते हैं !
फिर हम जैसे लोग कहतें हैं उत्तराखंड के गीत संगीत मैं पैसा नहीं कम सकते हैं सही बात है एक गरीब गायक एसा नहीं कर सकता है !
"ये कोई कहानी नहीं है ये एक हकीकत है जो कि मेरे छोटे भाई के साथ भी हुआ है"
और न जाने कितने उन गरीब भाइयों के साथ हुआ होगा जिनका कि सपना था कि मैं एक अच्छा गायक बनूँगा लेकिन क्या करें इन लोगों कि करतूतें इसके सपनों को चूर-चूर कर दिया है ! जो लोग ऐसे काम करते हैं वो एक न एक दिन जरूर पस्तायेंगे कि उन्होंने क्या किया उन गरीब कलाकारों के साथ !
और कोई बहार के लोग नहीं हैं ये भी उत्तराँचल के ही गढ़वाली, कुमाउनी लोह हैं जो कि ऐसे गरीब कलाकारों का शोषण करते हैं