नेगी जी की नयी वीडीय़ो एल्बम "मायाको मुन्डारो" एब बेहतरीन एल्बम है. इस एलबम में गाने इस तरह हैं -
1. भैना रे बजर्या भैना - शहरी जीजा से गांव की साली उत्तराखड के पारम्परिक पकवानों को खाने का आग्रह करती है लेकिन जीजा शहरी होकर बर्गर और पिज्जा खाने का आदी हो चुका है.
2. हर्सू मामा - जौनसारी गाना है, मीररन्जन नेगी जी का अभिनय व नृत्य इस गाने का मुख्य आकर्षण है.
3. दिल्ली वाला दयूरा - दिल्ली से आये हुए पङोसी देवर से एक महिला अपने पति के समाचार जानने को उत्सुक है.
4. हाथन हुसुकि पिलायी - उत्तराखण्ड के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर नेगी जी ने मजाकिये लहजे में गहरी चोट की है. चुनावों में पैसे और शराब बांट कर वोट बटोरने वाले नेताओं को निशाना बनाया गया है. गाने के अन्त में पूर्व मुख्यमन्त्री तिवारी जी व वर्तमान मुख्यमन्त्री खण्डूरी जी के Look-alike दिखाते हुए दोनों की कार्यप्रणाली पर भी नेगी जी ने अपने विचार रखे हैं.
5. चादरी और चादरी - पारम्परिक लोकगीत है, गांव के ग्वालों के साथ एक महिला गाय चराते हुए अपनी चादर सुखाने को डालती है. तेज हवा से सूखती हुई चादर उङ जाती है. इसी पर गाय चराने वाले लङके हंसी-मजाक करते हैं.
6. तिन कपाली पकङी - एक अति-आधुनिक युवती पर आधरित यह गाना पहाङों में तेजी से फैलती जा रही पश्चिमी संस्कृति की और ईशारा करता है.
7. भारी गरी है गै जिन्दगी - महंगाई की चौतरफा मार से त्रस्त एक गरीब आदमी की वेदना को दर्शाता यह गाना उत्तराखण्ड ही नहीं पूरे देश के निम्न मध्यवर्गीय और निर्धन लोगों की सच्ची कहानी कहता हुआ प्रतीत होता है.
8. देवभूमि को नौ बदलि - उत्तराखण्ड सरकार और इसके नेता किस तरह जनता के हितों को अनदेखा करते हुए विकास के नाम पर बङे बांधों को बनाने की अन्धी दौङ मे शामिल होने के लिये होङ कर रहे है? इसी विषय पर आधारित है यह गाना. ऊर्जा प्रदेश बनाने के नाम पर हजारों लोगों को विस्थापन की वेदना झेलनी पङ रही है. लेकिन उत्तराखण्ड की जनता को फिर भी बिना बिजली के अन्धेरे में ही रहना पङ रहा है. फिर क्या फायदा है, ऐसे विकास का?