रजनीकान्त का यह एलबम विशेषकर उत्तरकाशी जनपद के लोक गीत एवं संगीत (Folk) पर आधारित है, मैं इस एलबम के गीतों का एक लघु परिचय आपके सामने रख रहा हूं।
१- पहला गीत है टिकुलिया मामा, टिकुलिया मामा उत्तरकाशी क्षेत्र का एक प्रचलित लोक व्यक्तित्व है। जो कि बहुत नटखट थे और पेशे से पंडित जी थे, नाथ-पोखरी उनका गांव था और वे चुपके-चुपके किसी लड़की से भी प्यार करते थे, लेकिन बेचारे इजहार नहीं कर पाये थे।
२- हे रमिये- यह गीत रवांई क्षेत्र का लोक गीत है, जिसमें युवक पात्र पटवारी का चपरासी है, जिसे उस क्षेत्र में चाकर कहा जाता है। वह किसी गांव में जाता है तो एक लड़की उससे पूछ रही है कि तू कौन है, तेरा नाम क्या है और तेरा गांव कहा है।
३- दयारा झुमेलो- उत्तरकाशी के प्रसिद्ध बुग्याल दयारा, छोटे-बड़े अन्य बुग्याल और तालों की सुन्दरता का वर्णन इस गीत में किया गया है। इस गीत में गांव के लोगों से ही अभिनय कराया गया है। इस गीत का फिल्मांकन इतना बढ़िया किया गया है कि मुझे आज तक के उत्तराखण्ड के वीडियोज में यह सर्वश्रेष्ठ लगा।
४- पुराणू मेरो दरजि -यह गीत भी उत्तरकाशी के टकनौर इलाके का लोकगीत है, जिसमें नायिका को जौनपुर के मेले में जाना है और उसके लिये उसे नई कुर्ती सिलानी है, जिसके लिये वह अपने पुराने दर्जी के पास जाकर अच्छी कुर्ती सिलने का अनुरोध कर रही है।
५-आपु दे सजाई मां- यह एक भजन रुपी लोकगीत है, जिसमें नायिका अपनी ईष्ट देवी से शादी की कामना कर रही है। यह गीत सुश्री प्रमिला जोशी ने गाया है।
६- लूण भरी दूंण- यह शब्द समूह एक प्रकार की लोकोक्ति है, नैटवाड़-रवांई इलाके में यह कहावत प्रचलित है। दूंण का अर्थ है एक मात्रा को समाहित करने वाला बर्तन, जिसकी सीमा ४० किलो लगभग होती है। व्यंग्यात्मक रुप से इसे प्रयोग किया जाता है कि तुम्हारे पास ४० किलो सामान तो है, लेकिन वह नमक है। यह गीत भी नैटवाड़ और रवांई क्षेत्र का लोकगीत है, जिसमें अकबरु नाम का वीर भड़/पैक है और वह शौंली नाम की लड़की से प्यार करता है, इस गीत में उन दोनों के बीच का वार्तालाप है।
७- मेरि शुनिता- यह जौनपुर इलाके का प्रचलित लोकगीत है, जिसे रजनीकान्त ने इसके मूल स्वरुप में भी गाया है।
इस एलबम में कुछ पारम्परिक शब्दों का प्रयोग किया गया है। जैसे- गेंदूं केत्ता, रासौ और झुमेलो। गेंदू केत्ता इस क्षेत्र में बजने वाले ढोल-दमाऊं की एक ध्वनि है। रासौ का अर्थ रास से है, जिसमें गांव के महिला-पुरुष अलग-अलग समूहों में एक-दूसरे के हाथ में हाथ डालकर नृत्य करते हैं। इसी प्रकार से झुमेलो भी एक पारम्परिक नृत्य है।