उत्तरांचली या उत्तराखंडी फिल्मो का अशतित्वा ...
मुझे से बार बार एक सवाल किया जाता रहा है की आप तो इस इंडस्ट्री के जनमदत्ता है बताये की कब बनेगा हमारा रेगिनल सिनेमा ? कब आयेगा ये आस्थितवामे ? कब बनेगी हमारी फ़िल्म इंडस्ट्री ? काश में भविष्य बगता होता तो साफ साफ कह देता की अमुक दिन अमुक साल में हमारी इंडस्ट्री का स्वरुप बनकर आप के सामने आजायेगा ! कब बनेगा ये तो नही कह सकता लकिन क्यों नही बन पा रहा है बिषय पर चर्चा बिस्तार से करूंगा इस से पहले .......
एक कहावत कहूंगा जिसे मै शुरू से कहा रहा हूँ " बाँझ औरत से आप बच्ये के उम्मीद कैसे कर सकते हो ? "
मैंने बाँझ औरत का शब्द क्यूँ इस्तमाल किया और किस के लिए किया इसे आप सब भली भांति जानते है समझते है !
आंचलिक सिनेमा को आज पुरे २५ साल होने को आगये है येसा भी नही की इसमें काम नही हुआ हो ! इस दौरान इस में कई फिल्म भी बनी ! कई प्रोड्यूसर पैदा होये ! कई कलाकार पैदा हुए ! कईयो को रोजी रोटी मिली ये सब कुछ हुआ पर , जो होना था ओ नही हो पाया याने उसकी फिल्मी नक्शे पर अपनी एक अलग से एक पहिचान जिसे हम उत्तराखंडी या उत्तरांचली सिनेमा के नाम से जान ते है !