Author Topic: जनकवि स्व.गिरीश तिवाड़ी 'गिर्दा' की पहली पुण्यतिथि 22 Aug 2011, New Delhi  (Read 5930 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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गिर्दा की याद में निकाला सांस्कृतिक जुलूसAug 22, 07:29 pmबताएं
Twitter Delicious Facebook -राज्य आंदोलन के दौरान रचित जनगीत गाए गए

जागरण कार्यालय, नैनीताल: प्रसिद्ध रंगकर्मी स्व.गिरीश तिवारी गिर्दा की पहली पुण्य तिथि पर उनका भावपूर्ण स्मरण किया गया। इस दौरान रंगकर्मियों व गिर्दा के साथियों ने शहर में सांस्कृतिक जुलूस निकाला और उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान उनके द्वारा लिखे गए गीत गाए।

सोमवार को गिर्दा की पहली पुण्य तिथि पर रंगकर्मी व विभिन्न संगठनों के लोग तल्लीताल में जमा हुए और नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया। इस मौके पर उत्तराखंड मेरी मातृभूमि, मातृभूमि मेरी पितृभूमि..आज हिमाल तुमुन कै धत्यौं छौ, जागो-जागो ओ मेरा लाल.. हम लड़ते रुला..एक तरफ बर्बाद बस्तियां, एक तरफ हो तुम..आदि जनगीत गाए गए। इसके बाद शहर में सांस्कृतिक जुलूस निकाला गया। जुलूस में लोग गिर्दा रचित जनगीत गाते हुए चल रहे थे। जुलूस माल रोड होते हुए मल्लीताल में समाप्त हुआ।

इसके बाद रंगकर्मियों ने गिर्दा की याद में फ्रीमेंशन हाल में आयोजित फोटो प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इस मौके पर राजीव लोचन साह, हेमंत बिष्ट, डीके शर्मा, धर्मवीर परमार, जहूर आलम, डा.शीला रजवार, डा.गिरिजा पांडे, उमेश तिवारी, महेश जोशी, हरीश राणा, प्रदीप पांडे, आदि ने गिर्दा के जीवन के अलावा राज्य आंदोलन में उनकी भूमिका व प्रदेश की संस्कृति को आगे बढ़ाने में दिए गए योगदान पर चर्चा की। सांस्कृतिक जुलूस में व्यापार मंडल अध्यक्ष किशन नेगी, आनंद खंपा, डा.उमा भट्ट, मंजूर हुसैन, दीप गंगोला, हरीश जोशी, प्रकाश उपाध्याय, कमल नेगी, कौशल्या साह, सुरेश आर्या, विनोद कुमार, पवन राकेश, प्रदीप पांडे, हरीश पाठक समेत कई लोग शामिल थे। संचालन प्रो.शेखर पाठक ने किया।

फोटो-22 एनटीएल-41

परिचय-प्रसिद्ध रंगकर्मी गिर्दा की पुण्य तिथि पर नैनीताल में सांस्कृतिक जुलूस निकालते विभिन्न संगठनों के लोग।

(Soruce - Dainik Jagran)


Harish Rawat

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जनकवि गिर्दा की पहली पुण्यतिथि पर मैं अपने श्रधां सुमन अर्प्रित करता हूँ जनकवि गिर्दा ने अपने लेखनी से अमिट छाप पुरे उत्तराखंड मैं छोड़ी ..उन के आन्दोलनकारी  कविताये और गीत हमारे नश - नश  मैं खून  की तरह पर्वाहित होता है और हमारा रोम - रोम उन की गीत कविताओं को सुन कर  हमें आगे बड़ने की प्रेरणा देता है  |

  गिर्दा ठीक एक साल पहले 22 अगस्त 2010 को हमें छोड़ कर चले गये , मैं उन से कभी मिला नही पर उनकी कविताये और गीत सुन कर मैं जान  गया  की वो कितने महान और दूर दर्ष्टि के व्यक्ति  थे

  आज कई लोग गिर्दा की पुण्यतिथि मना रहे है और उन को याद कर रहे है शायद गिर्दा यह देख रहे होंगे तो दुखी हो रहे होंगे क्योंकि  उन हो ने अपने कविताओं और गीतों के माध्यम से जो उर्जा का संचार युवाओं और आन्दोलनकारियों के अन्दर किया था वो अपने पुण्यतिथि मनाने के लिए नहीं किया होगा वो उत्तराखंड को  विकसित  और उत्तराखंड को संपन्न देखना चाहते थे मेरे ख्याल से गिर्दा की सच्ची श्रधांजलि तब होगी जब हम उनके सपनो को साकार कर पायेंगे

 

 

हरीश  रावत ( स्वतंत्र  विचार )

खीमसिंह रावत

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गिर्दा की पहली पुण्य तिथि पर दिल्ली के गढ़वाल भवन में एक सर्धांजलि कार्यक्रम रखा गया जिसमें  पत्रकार, बुध्धिजीवी, रंगकर्मी व पहाड़ के हितोषी लोग एकत्रित  हुए  सभी ने स्व  गिर्दा व चन्द्र कुवर वर्त्वाल जी के साहित्यक योगदान को सराहा | वरिष्ठ पत्रकार श्री सुरेश नौटियाल जी , श्री चारू तिवारी जी  व अनेक वक्तावों ने  अपने विचारों को रखते हुए सर्धांजलि दी | अंत में श्री दयाल पाण्डेय जी ने  उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त करते हुए गिर्दा की रचना सुनाइ | गिर्दा ,  चन्द्र कुवर वर्त्वाल व सुमन गढ़ में १८ नौनिहालों  के लिए १ मिनट का मौन रखा गया |

 स्व  गिर्दा व चन्द्र कुवर वर्त्वाल जी के पोस्टर चित्रों का अनावरण किया गया \ उपस्थित लोगों को चित्र वितरित किये गए |




Khim Singh Rawat

Harish Rawat

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मै अपने इस लेख से किसी को आहात  नहीं करना   चाहता  यहाँ मै गिर्दा को सच्ची सर्धांजलि की बात कर रहा हूँ और युवा वर्ग मै वही चेतना देखना चाहता हूँ जो गिर्दा के बारे मै जान कर मेरे मन मै जागती है यहाँ मेरा मन के विचार जहा तक मुझे ले गए मैंने उन्हें शब्दों के जरये आप लोगो के सामने रख दिया , मै अब भी मानता हूँ गिर्दा को सच्ची  सर्धांजलि उन के सपनों  को  साकार कर के ही दी जायेगी यह मेरे अपने विचार है  मै आप सभी से दुबारा माफ़ी मांगता हूँ 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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महान उतराखंडी लोक गायक व कबि ' गिरिदा ' क़ी
                        प्रथम पुण्यतिथि मुंबई में मनाई गई.
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२८ अगस्त, २०११ को उत्तराखण्ड समाज मुंबई के जन प्रतिनिधि दिवंगत उत्तराखंडी
लोककबि, गायक , लेखक,नाटक कर ,रचनाकार  श्री गिरीश चन्द्र तिवारी " गिरिदा "
की प्रथम पुण्यतिथि के उपलक्ष में दादर स्तिथ छबील दास स्कूल में श्रधांजलि देने
भारी बारिश के बाबजूद एकत्रित हुए. यह पुण्यतिथि समारोह हिमालय पर्वतीय संघ
व   हिमाद्री के बैनर तले श्री पूरण मनराल प्रमुख संयोजक  के सहयोग से आयोजित हुआ .
इसमें समाज के बिभिन बर्गों से आये हुए कई कबि, लेखक ,समाज सेवक व
बुद्धिजीवी मौजूद थे .
सबसे पहले    "गिरीदा" की प्रतिमा को माल्यार्पण व पुष्प भेंट किये गए व धूप
अगबती जला  कर समान किया गया. पंडित रमेश गोदियाल जी ने मंत्र पढ़कर
सभा की शुरवात की.  श्री गौरी दत्त बिनवाल जी ने सभा की अध्यक्षता
की.उनके बगल में जानेमाने समाजसेवी श्री भगत  शाह जी व खुद श्री
पूरण मनराल जी बिराजमान थे. सभा के  संयोजक श्री पूर्ण मनराल ने आये हुए
समस्त महानुभावों का स्वागत किया व धन्यबाद दिया जो मुंबई में इस दिन
इतनी भारी बारिश के बावजूद भी अपनी उपस्तिथि दर्ज कराने  से  नहीं चुके.
श्री भगत सिंह शाह जी ने 'गिरिदा' की  जीवनी में प्रकाश डाला.डॉ  राजेश्वर  उनियाल,
श्री हरि मिर्दुल पांडे , श्री रमेश गोदियाल, श्री मनराल जी की कबिताओ ने इस सभा में
समां बांधा. श्री केशर बिष्ट ,हरीश भाकुनी जी श्री दिनेश ढौडियाल   आदि महानुभाओं ने
अपने अपने विचार  रखे इस बात पर जोर दिया कि आने वाली बरसो में इस प्रकार के
कार्यकर्मो को उचित स्थान  मिलना चाहिए व ब्यापक रूप से  पूर्व निर्धारित
कार्यकर्म अनुसार  करना चाहिए उन्होंने खेद प्रकट किया कि आज के दौर में
नयी पीढ़ी इस प्रकार   के साहित्यक कार्यकर्मों में भाग नहीं लेती. इसके लिए
हमें ब्यापक रूप से   कोशिश करनी चाहिए.
अन्य बिशेष महानुभावों में श्री बलबीर सिंह रावत,उपाध्यक्ष उतरांचल महासंघ 
श्री गोविन्द सिंह रावत,  मोहन सिंह बिष्ट, श्री यन  बी  चंद,श्री यम एस दसोनी
श्री खुशहाल सिंह रावत आदि का शमावेश है.
 अंत में अध्यक्षीय भाषण से पूर्व श्री खुशहाल  सिंह रावत ने यह प्रस्ताव रखा कि
हाल ही में श्री अन्ना हजारे व उनकी टीम द्वारा भरष्टाचार  मामला   संसद में पारित
करवाने के लिए उत्तराखंडी समाज उनका धन्यवाद करती है.
 
 खुशहाल सिंह रावत , मुंबई

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