Author Topic: जनकवि स्व.गिरीश तिवाड़ी 'गिर्दा' की पहली पुण्यतिथि 22 Aug 2011, New Delhi  (Read 5932 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dosto,
सादर नमस्कार. जनकवि स्व. गिरीश तिवाड़ी 'गिर्दा' की पहली पुण्यतिथि पर आप सादर आमंत्रित हैं. इस मौके पर गिर्दा, प्रकृति के सुकुमार कवी चंद्रकुंवर बर्त्वाल के पोस्टर विमोचन के अलावा एक गोष्ठी का आयोजन किया गया है.
आपसे निवेदन है कि कार्यक्रमानुसार पहुंचकर मौजूदा हालत में गिर्दा और चंद्रकुंवर बर्त्वाल के रचनाकर्म की प्रासंगिकता पर अपनी बात रखें.

कार्यक्रम
  • गिर्दा एवं चंद्रकुंवर बर्त्वाल के पोस्टर का विमोचन.
  •      दोनों के रचना यात्रा पर बातचीत.
  • पिछले वर्ष बागेश्वर के सुमगढ़ में प्राकृतिक आपदा में अपनी जान गवां चुके 18 बच्चों को श्रद्धांजलि.
स्थान : गढ़वाल भवन, पंचकुइयां रोड, नई दिल्ली
दिनांक : 22 अगस्त 2011 , सोमवार
समय : सांय 4 .00 बजे से

निवेदक
क्रिएटिव उत्तराखंड- म्यर  पहाड़, सार्थक प्रयास, उत्तराखंड प्रभात, उत्तराखंड चिंतन, अखिल भारतीय उत्तराखंड महासभा, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी

M S Mehta

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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हिंदी में उनकी एक लोकप्रिय रचना है-
अजी वाह क्या बात तुम्हारी
तुम तो पानी के व्यापारी
सारा पानी चूस रहे हो
नदी समंदर लूट रहे हो
गंगा यमुना की छाती पर कंकड़ पत्थर कूट रहे हो
उफ़ तुम्हारी ए ख़ुदग़र्ज़ी चलेगी कब तक ए मनमर्ज़ी
जिस दिन डोलेगी ए धरती
सर से निकलेगी सब मस्ती
दिल्ली देहरादून में बैठे योजनकारी तब क्या होगा
वर्ल्ड बैंक के टोकनधारी तब क्या होगा.
कुमांऊनी में उनका लिखा आज हिमालै तुमुकैं धत्यूंछौ... जागो जागो हो मेरा लाल...' एक नारे की तरह जाना जाता है.


मेरी बारी, मेरी बारी, मेरी बारी

हाइ अलबेरि यो देखो मजेदारी

धो धो कै तो सीट जनरल भै छा

धो धो के ठाड़ हुणै ए बारी

हाइ अलबेरि यो देखो मजेदारी

एन बखत तौ चुल पन लुकला

एल डाका का जसा घ्वाड़ा ढाड़ी

हाइ अलबेरि यो देखो मजेदारी

काटी मैं मूताणा का लै काम नी ए जो

कुर्सी लिजी हुणी ऊ ठाड़ी

हाइ अलबेरि यो देखो मजेदारी

कभैं हमलैं जैको मूख नी देखो

बैनर में छाजि ऊ मूरत प्यारी

घर घर लटकन झख मारी

हाइ अलबेरि यो देखो मजेदारी

हरियो काकड़ जसो हरी नैनीताल

हरी धणियों को लूण भरी नैनीताल

कपोरी खाणिया भै या बेशुमारी

एसि पड़ी अलबेर मारामारी

हाइ अलबेरि यो देखो मजेदारी

गद्यात्मक भावार्थ -

मेरी बारी ! मेरी बारी - कहते सोचते हैं चुनावार्थी ! हाय ! इस बार देखिए ये मजेदारी!बड़ी मुश्किल से तो सीट अनारक्षित हुई है, बड़ी मुश्किल से हम खड़े हो पा रहे है। और ये वही लोग है जो विपदा आने पर बिलों में दुबक जाते है पर इस समय तो डाक के घोड़ों की तरह तैनात खड़े हैं (पहाड़ के दुर्गम क्षेत्रों में डाक घोड़ों पर ले जायी जाती रही है)। गजब कि बात है कि जो कटे पर मूतने के भी काम नहीं आता, वो कुर्सी की खातिर खड़ा होने में कभी कोताही नहीं करता। कभी जो सूरत नहीं दिखती वही उन बैनरों में चमकती-झलकती है, जो घर-घर लटके झख मारते रहते हैं।



गिर्दा को मेरापहाड़ की शर्धांजलि !

गिर्दा हमारे बीच नहीं है.. लेकिन उनके द्वारा किये गये सामाजिक कार्य और उनकी कविताएं अमर रहंगे!

Mahi Mehta

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गिर्दा अमर रहे!... श्रधांजलि गिर्दा को..... बहुत बड़ी क्षति हुयी थी पिछले साल जब हमारे गिर्दा बीमारी के कारण हमें छोड़ के चले गए!

लेकिन गिर्दा हमारे बीच अमर है!

खीमसिंह रावत

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Girda
हम छिलुक ल्युल राँख  ल्युल,
उणा कुणा सब चहुल
तुम मिलो ना मिलो हम जरुर चहुल
धुरिम ज्युल धात लगुल
एक फ्यर क्या कतुक फ्यर लगुल
जतुले हओल हम याद करुल
खुशीम करुल या दुखम करुल
भाटुई लागो ना लागो हम याद करुल ||


Devbhoomi,Uttarakhand

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गिर्दा आप गए नहीं हैं आप अभी भी और हमेशा हमारे दिलों मैं हैं और रहेंगें

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

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Girda ki pahali varshi par mera pahad ki bhavbhini shridhanjali, mera pahad Girda ki punya tithi par unke poster ka lokarpan kar raha hai, aap sabhi members se anurodh hai ki 22 aug. ko saam 4 baje Garhwal Bhawan pahuch kar is mahan byaktitwa ko yaad karain.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोक कवि गिर्दा की आज प्रथम पुण्य तिथि है!

मेरापहाड़ टीम की और से गिर्दा को श्रधांजलि !

 

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