उत्तराखंड की लोकभाषाओं के पक्ष में धाद ने अपनी आन्तरिक बैठक के बाद प्रेस
वार्ता का आयोजन किया जिसमे बैठक के निर्णय सार्वजनिक किये गए
धाद ने स्पष्ट रूप से लोक्न्भाषाओं की पक्षधरता करते हुए कहा की
१. धाद ने उत्तराखंड की लोकभाषाओं पर किये गए अपने कार्यों को तीव्र रूप देने के लिए धाद लोकभाषा एकांश के गठन का निर्णय लिया
२.आज जब वर्षों के संघर्ष के बाद गढ़वाली कुमौनी भाषाओँ को संविधान की आठवी अनुसूची में शामिल करने की बात संसद तक पहुँच गयी है साथ ही
हिंदी साहित्य अकादेमी नई दिल्ली का ध्यान इस और गया है तब धाद राज्य सर्कार से मांग करती है की ncert द्वारा घोषित राष्ट्रीय पाठ्यचर्या निति २००५ के अनुरूप यहाँ की लोकभाषाओं को प्राथमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाये
३. धाद हिंदी अकादेमी द्वारा लोकभाषा के रचनाकारों को १ लाख रुपए के प्रुँस्कर देने की घोषणा का swagat करती है
४.धाद ने राज्य सरकार से गढ़वाली और कुमौनी को राज्य स्तर पर मान्यता देने की भी मांग की
५. राज्य सर्कार विश्विध्यालायों से लोकभाषाओं की उच्च शिक्षा प्राप्त
विद्यार्थियों को शिक्षको के रूप में नियुक्त कर प्राथमिक विद्यालयों में
लोक भाषा शिक्षक के रूप में नियुक्ति दे
६.धाद ने उत्तरप्रदेश में लोक रचनाकारों के लिए मौजूद अनुशंषा एवं अनुदान पुरस्कार उत्तराखंड में शुरू करने की भी मांग की
७.धाद ने यह भी निर्णय लिया की उत्तराखंड से प्रकाशित होने वाले समस्त
दैनिक समाचार पत्रों से सप्ताह में एक दिन गढ़वाली कुमौनी साहित्य को
प्रकाशित करने का अनुरोध किया जाए जिससे यहाँ की लोकभाषाओं के प्रचार
प्रसार में मदद मिल सके
बैठक में लोकेश नवानी,वीरेंदर पंवार,तन्मय ममगाईं, कमला पन्त, शांति
प्रकाश, डॉ अचलानंद जखमोला, डी.क.नौटियाल, अमरदेव बहुगुणा संजय पाल हरीश
भट्ट चक्रधर पोखरियाल नविन नौटियाल आदि उपस्थित थे