गांधी के सपने साकार कर रही संस्था
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घनसाली(टिहरी)। एक ओर जहां गैर सरकारी संस्थाएं धरातल के बजाए कागजों में ही काम कर सरकारी धन को ठिकाने लगा रही हैं, वहीं टिहरी जिले में भिलंगना ब्लॉक के बूढ़ाकेदार स्थित लोकजीवन विकास भारती संस्था गांधी के ग्राम स्वराज के सपनों को साकार कर रही है। संस्था में निर्धन बच्चों को कक्षा एक से आठ तक की बुनियादी शिक्षा के अलावा क्षेत्र की महिलाओं व युवाओं को सिलाई, बुनाई आदि का प्रशिक्षण मुफ्त में दिया जाता है।
यही नहीं क्षेत्र के कई लोगों को भी यहां पर रोजगार मिल रहा है। साथ ही नहीं इस संस्थान ने यहां पर 25 किलोवाट की पन बिजली भी तैयार की जा रही है, जो आश्रम को रोशन करती है।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गांधीवादी विचारधारा के बिहारी लाल ने वर्ष 1977 में इस संस्था की स्थापना की थी। यहां पर संस्था ने स्वयं निर्मित प्रोजेक्ट से 25 किलोवाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है, जिसका उपयोग संस्था के आश्रम में किया जाता है। घनसाली कस्बे से 28 किमी दूरी पर बालगंगा नदी के तट पर पिछले 30 वर्ष से भी अधिक समय से संस्था द्वारा महिलाओं को रोजगारपरक शिक्षा के साथ-साथ काष्ठकला का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है
तथा कई लोगों को विभिन्न कार्यो के माध्यम से रोजगार से जोड़ा गया है। कृषि, कुटीर उद्योग, उद्यानीकरण के साथ-साथ कई नाली भूमि पर दर्जनों प्रजाति के फल आम, अखरोट, माल्टा, मौसमी, खुमानी, आड़ू तथा तथा विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटी के जरिए लोगों को रोजगार मिल रहा है।
इसके अलावा शिक्षा की अलख जगाकर इससे गांव-गांव तक जोड़ने का प्रयास किया गया। कई जरूरतमंद हाथों को जहां रोजगार दिया गया है वहीं निर्धन छात्रों, अनपढ़ महिलाओं को यहां शिक्षा दी जाती है। दूर-दराज गांव के बच्चे यहां शिक्षण ग्रहण करने के लिए आते हैं। पिछले कई सालों से संस्था इस कार्य में जुटी है, लेकिन आज तक उसने कभी अपना प्रचार-प्रसार नहीं किया है।
संस्था ने नि:स्वार्थ भाव से कार्य किया जा रहा है। संस्था के संस्थापक बिहारी लाल व प्रबंधक बावन सिंह बिष्ट का कहना है कि आश्रम में चार संभाग हैं। इसमें रचना भारती, ग्राम भारती, जीवन भारती तथा श्रम भारती हैं तथा सभी संभागों का अपना अलग-अलग कार्य है। उन्होंने कहा कि संस्था का मुख्य उद्देश्य लोगों को रोजगारपरक शिक्षा देना व उन्हें स्वावलम्बी बनाना है।
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