अपनी संस्कृति से जुड़े रहने के लिये समय-समय पर ऎसे कार्यक्रमों की विशेष आवश्यकता रहती है, विशेष रुप से तब, जब आप अपनी मिट्टी से दूर हैं। यह आवश्यक भी है आने वाली पीढ़ी को अपनी संस्कृति से परिचित कराने के लिये और इस समृद्ध विरासत को सहेजने के लिये।
यह खुशी की बात है कि आज उत्तराखण्ड की संस्कृति के पास श्री खीम सिंह रावत जैसे सपूत भी हैं, जो अपनी आजीविका और पारिवारिक व्यस्तता के बाद भी अपनी धरोहर का संरक्षण का प्रयास कर रहे हैं। उन्हें और उनके संस्कृति कला मंच को मेरी और मेरा पहाड़ परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनायें।