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[/color][/color]अंतर्राष्ट्रीय “हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला 2017” आध्यात्म और सैन्य शक्ति के प्रथम क्षेत्रीय सम्मेलन में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान को मुख्य वक्तव्य प्रदान करने हेतु आमंत्रित किया गया
गुरुग्राम: गत-2-Feb-2017 से 5-Feb-2017 तक विश्व हिन्दू परिषद्, सेवा भारती व राष्ट्र स्वयं सेवक संघ द्वारा बुधवार को हरियाणा के गुडग़ांव सेक्टर-29 स्थित लेजरवैली पार्क में आयोजित, “हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला 2017” आध्यात्म और सैन्य शक्ति के प्रथम क्षेत्रीय सम्मेलन में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान को मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया. मेले का उद्घाटन हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने किया. लगभग चार सौ से भी अधिक स्कूली बच्चो ने मेले मे आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लिया. अनेको स्कूलों से आए बच्चो ने इसमें भाग लिया. स्कूल से आए बच्चों ने सुंदर कार्यक्रम प्रस्तुत किया, जिसमे कि कथक, “बेटी बचाओ” पर आधारित लघु नाटिका, योग इत्यादि प्रमुख रहे. 2100 कन्याओं का पूजन 2100 भाइयों के द्वारा किया गया.[/size][/color]
[/size][/color]“हिन्दू अध्यात्मिक एवं सेवा मेला” में आयोजित “कन्या वंदन” कार्यक्रम में श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी योगदिव्या भारती जी एवं साध्वी श्वेता भारती जी को मुख्य वक्तव्य प्रदान करने हेतु आमन्त्रित किया गया. साध्वी श्वेता भारती जी ने महिलाओं के सम्मान व सशक्तिकरण के विषय को उठाते हुए कहा कि “नारी के संग होने वाली समस्त समस्याओं का आधार समाज में व्याप्त रुढ़िवादी एवं जटिल मान्यताएं हैं. आधुनिकता के नकाब में आज मानव ने अपनी आधारभूत चिरंजीवी अध्यात्मिक संस्कृति को विस्मृत कर दिया है. आदिकाल से ही भारत में नारी को पूजनीय स्थान प्राप्त था. यहाँ तक की भारत को पुलिंग शब्द होने पर भी माँ का दर्जा दिया गया. श्रीमद भगवद गीता एवं गंगा को भी मातृ स्वरुप में ही पूजा गया. लेकिन आज भारत की गरिमा - भारतीय नारी का गौरव, बेड़ियों में बंद करके पैरों तले कुचला जा रहा है. नारी विरुद्ध हिंसा और अपराध की शैली ने भारतीय संस्कृति के स्वरुप को विकृत कर दिया है. नारी, पुत्री, बहन, माता के रूप में समाज को शुभ संस्कारों से गढ़ती है. मनु स्मृति में कहा – यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः-और जहाँ नारी का सम्मान नहीं, वहाँ से सुख शांति लुप्त हो जाती है. समाज में बढ़ता आक्रोश, नैतिक मूल्यों का पतन, भ्रष्ट मानसिकताएं इसी की परिचायक हैं. इसलिए नारी के प्राचीन, वेद कालीन गौरव की पुनर्स्थापना करनी अनिवार्य है. जब शैक्षिक एवं आर्थिक विकास के संग आत्मिक सशक्तिकरण की नींव रखी जाएगी तभी नारी अपनी सोयी हुई शक्ति को जान पाएगी और अपनी खोयी हुई गरिमा को पुनः प्राप्त कर पाएगी. यही है महिला सशक्तिकरण की वास्तविक परिभाषा” .[/color]सभागार में देश विदेश से उपस्थित गणमान्य अतिथि हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले के संरक्षक जिंदल इंडस्ट्रीज के पवन जिंदल, स्वामी दयानंद जी, सोनाकोया स्टेरिंग लिमिटेड के सुधीर चोपड़ा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह सेवा प्रमुख गुणवंत सिंह कोठारी जी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सेक्रेटरी रेनू पाठक,कन्या वंदन कार्यक्रम की संयोजिका श्रीमती ऋतु गोयल, महेंद्र यादव (व्यवसायी), एक्वा लाइट ग्रुप के अनिल गुप्ता जी व कई विसिष्ट जन मौजूद थे।[/color]अपने अंतिम विचारों में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के लिंग समानता कार्यक्रम – संतुलन के अंतर्गत, कन्या भ्रूण हत्या के विरुद्ध चलाई जा रही राष्ट्र महिला सशक्तिकरण अभियान “तू है शक्ति” को प्रस्तावित करते हुए साध्वी जी ने बताया की “तू है शक्ति” के अंतर्गत, भारत के 8 राज्यों में कुल मिलाकर 150 जेंडर क्रिटिकल जिलों के लगभग 6000 क्षेत्रों में कार्य किया जा रहा है- 8 प्रशिक्षक प्रशिक्षण कार्यशालाओं के माध्यम से 2500 महिला परिवर्तन प्रतिनिधि तैयार की गयी है जो गाँव-गाँव गली-गली जाकर समाज को जागरूक कर रही हैं.[/color]दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा “हिन्दू अध्यात्मिक एवं सेवा मेला” में भव्य प्रदर्शनी लगायी भी गयी, जिसके अंतर्गत संस्थान के लगभग 20 युवा कार्यकर्ताओं ने हजारों की संख्या में दर्शनार्थियों व सभासदों को भारतीय संस्कृति के मूल्यों से परिपूर्ण अध्यात्मिक विचार प्रदान किये.[/color]दिव्य ज्योति जागृति संस्थान एक सामाजिक आध्यात्मिक संस्था है जिसका ध्येय है - आध्यात्मिक जागृति द्वारा विश्व में शान्ति. संस्थान द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण के साथ साथ नशा मुक्ति, अभावग्रस्त बच्चों की शिक्षार्थ, पर्यावरण संरक्षण हेतु, गो संरक्षण, संवर्धन एवं नस्ल सुधार, समाज के सम्पूर्ण स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन तथा नेत्रहीनो, अपाहिजों के सशक्तिकरण के साथ साथ जेल के कैदी बंधुओं के लिए भी समाज कल्याण के प्रकल्प चलाये जा रहे हैं.