यह घटना मेरे एक परिचित ने सुनाई थी.
वो बचपन से मैदानों में रहे इसलिये कुमांऊनी का उनका ज्ञान सीमित था. शादी के बाद एक बार ससुराल गये. सुबह सोये हुये थे तो कोई उन्हें चाय देने आया. उनकी सास ने सोचा दामाद जी थके हुए हैं, अभी और थोडा सोये रहेंगे तो अच्छा रहेगा. चाय देने वाले को रोकने के उद्देश्य से कुमांऊनी में बोली, "जागि जाओ" (रुक जाओ अभी). दाज्यू ने समझा ये वाक्य हिन्दी में कहा गया है.
दाज्यू ने औपचारिकतावश बिस्तर छोड दिया. जब उन्हें "जागि जाओ" का मतलब बताया गया तो सब लोग हंस पडे.