बेसहारा बचपन
आँखों में सपने हैं,
उड़ने की चाहत है,
लेकिन उड़ें कैसे ?
अपनों ने छोड़ा है,
भूख ने तोड़ा है,
आगे बढ़ें कैसे ?
मासूम बचपन,
क्यों है सवाली,
तन पर न कपड़ा,
पेट है खाली,
हैं ये खड़े कैसे?
बचपन बुढाता,
हर दिन रुलाता,
जाने क्या होगा,
प्रश्न उठाता,
कुछ भी करें कैसे?
मासूमियत पर,
मार पड़ी है,
गणतंत्र की यह,
कैसी घडी है,
आखिर हँसे कैसे?