ARTILCE BY : bckukreti@gmail.com]
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प्रिय मित्रो
हर युग में नए माध्यम ने कई मुहावरों को व् बातचीत का ढंग ढाल बदला है . अब इन्टरनेट से भी hamaaree भाषा
व मुहावरे बदल रहे हैं ,
देखते हैं गढ़वाली में क्या क्या बदलाव आ सकते हैं .
पहले परिचय ऐसा होता था , "ये मेरी दुगड्डा वाली भाभी हैं, ये टिहरी वाली काकी हैं, अब बुले जालो, " या मेरी शादी.कॉम वाली बौ च अर या टाईम्स मैत्रिमोनिअल ,कॉम वाली बौ च". एक जमानो माँ सहेली या दगदयानी या dagadya को परिचय इन हुन्दो थौ, " यु म्यार स्कुल्या दोस्त च अर यु क्लास फेलो च यानि साथ साथ फेल व्है छया .
अब एक हैंको परिचय इन हुन्द,' या मेरी आर्कुट की सहेली च अर या पेंद्रिवे की फ्रेंड च ता वा क्याफनी डॉट कॉम की सहेली च,"
मुहावरों माँ बी कथगा इ बदलाव आला.
पेल इन बुल्दा छाया ," या ब्वारी इन कामगति च या सुघड़ च " . अब बुले जाल, " मेरी या भारत मैत्रिमोनिअल डॉट कॉम की ब्वारी गूगल जन कामगति च पण या गढ़वाली शादी डॉट कॉम वाली याहू डॉट कॉम जन अल्गसि अर कुसवर्या च "
पैलू मेखुन बुले जान्द छौ, " यु भीषम किताबुं फार चिप्क्यु रौंद अर अब बुले जान्द नेट जान या यु भीष्म जाण"
छवीं चैट माँ बदले ग्याई . पेल बुले जान्द छौ बल या ब्वारी बड़ी छूयाल च अब बुले जान्द या शादी डॉट कॉम वाली ब्वारी बड़ी चैटवाली व्है ग्ये.
पैल बुल्दा थय बल नए नए का ग्वार अर घुसे घुसे का स्वर भार नि हुए जय सक्यन्द. अब बुले जालो नए नए किक
ग्वार अर नेट पर छवीं lagaik swaar thuka व्है sakyaand .
baki haink din