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क्या मोबाइल फ़ोन से पहाड़ की संस्कृति मे बदलाव आया है ?

Yes
48 (90.6%)
No
4 (7.5%)
Can't Say
1 (1.9%)

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Author Topic: Mobile Phone Side Effect In Pahad - पहाडो मे मोबाइल फ़ोन के साइड एफ्फेक्ट  (Read 37302 times)

पंकज सिंह महर

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हिमांशु और मेहता जी, इसे बीमारी कहना उचित नहीं होगा, यह मजबूरी है, क्योंकि पहाड़ों में जब मौसम खराब होता है और बिजली चमकती है तो मोबाइल और फोन के टावरों पर बिजली गिरने की संभावना ज्यादा रहती है। इसलिये बिजली चमकते समय उन्हें बंद कर दिया जाता है। क्योंकि अगर वे जल गये या खराब हो गये तो फिर पता नहीं कब सही होंगे।

हेम पन्त

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पिथौरागढ़। सीमांत जिले की मोबाइल फोन सेवा रामभरोसे चल रही है। फोन न मिलना अब सामान्य बात हो गयी है, सेवा में व्यवधान के लिए विभाग तमाम कारण गिनाता रहता है,लेकिन मुख्य कारण को विभाग व्यवधान आने पर हर बार छुपा ले जाता है। जिले में कुल मोबाइल संयोजनों के तीन प्रतिशत चैनल भी उपलब्ध नहीं है और यही व्यवधान का सबसे बड़ा कारण है।

उल्लेखनीय है कि सीमांत जिले में मोबाइल फोन सेवा शुरू हुए आठ वर्ष का लम्बा समय बीत चुका है। इन आठ वर्षो में जिले में मोबाइल फोन सेवा की संख्या तीस हजार का आंकड़ा पार कर गयी है, लेकिन पूरे जिले टावरों की संख्या कुल 15 है। हर मोबाइल टावर से 60 चैनल संचालित होते है। इस तरह जिले में कुल 900 चैनल वर्तमान में उपलब्ध है। दूरसंचार विभाग के मुताबिक एक हजार मोबाइल फोन संचालन के लिए दो पीसीएम जरूरी है। यानी एक टावर से अधिकतम 1000 मोबाइल फोन संचालित हो सकते है। जिले में लगे कुल 15 मोबाइल टावरों की क्षमता 15000 मोबाइलों को संचालित करने की है, जबकि जिले में इस समय तीस हजार मोबाइल फोन संयोजन है है। वर्तमान जरूरतों को देखते हुए पन्द्रह और टावर लगाये जाने की जरूरत है। पन्द्रह नये टावर लगाये गये बगैर व्यवस्था में सुधार की गुंजाइश नहीं है। विभाग के मंडलीय अभियंता फोन्स केएस गुंज्याल का मानना है कि व्यवस्था में सुधार के लिए नये टावर लगाये जाने जरूरी है। नये टावर लगाकर ही सेवा में सुधार हो सकता है। उन्होंने बताया कि जिले में नये टावर लगाने का प्रस्ताव उच्चाधिकारियों को भेजा जा चुका है। नये टावर लगाने की जिम्मेदारी अलग इकाई के पास है। इसी कारण नये टावर लगने में देरी हो रही है।


हेम पन्त

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देहरादून। बीएसएनएल की बहुचर्चित और बहुप्रतीक्षित थर्ड जनरेशन मोबाइल सेवा को फिलहाल तो तमाशबीन ही ज्यादा मिल रहे हैं। अभी तक जितने लोगों ने थ्रीजी सेवा वाले सिम खरीदे हैं उससे कई गुना ज्यादा लोगों ने बीएसएनएल के पास थ्रीजी के बारे में पूछताछ की। हालांकि, खरीददारी नहीं हुई लेकिन इस पूछताछ को भी अधिकारी सकारात्मक संकेत मानकर चल रहे हैं।

बीएसएनएल की थ्रीजी सेवा का इंतजार लंबे समय से किया जा रहा था। इस सेवा के जरिए हाई स्पीड इंटरनेट, वीडियो कालिंग, वीडियो कांफ्रेंसिंग जैसे कई एडवांस फीचर्स का लुत्फ लिया जा सकता है। इस प्रकार की सेवाएं फिलहाल कोई अन्य मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर नहीं दे रहा है। दूसरी ओर, बीएसएनएल ने अपनी प्राथमिकता सूची में देहरादून का आकलन काफी उच्च किया हुआ है। यहीं कारण है कि 22 फरवरी को थ्रीजी सेवा के उद्घाटन के बाद देश के जिन चुनिंदा 12 शहरों में 27 फरवरी को थ्रीजी सेवा की शुरूआत की गई उसमें से देहरादून भी एक है। दून में थ्रीजी सेवा की लांचिंग धूमधाम के साथ की गई। उम्मीद थी कि जल्द ही मोबाइल मार्केट में थ्रीजी सेवा की धूम होगी। हालांकि ऐसा नहीं हुआ। बीते 15 दिनों में इस सेवा को केवल ढाई सौ के लगभग ही खरीददार मिले हैं। दूसरी तरफ संतोष इस बात पर व्यक्त किया जा सकता है कि इस दौरान इस सेवा के बारे में पूछताछ करने वालों की संख्या हजारों में रही है। बीएसएनएल देहरादून के जीएम बलराज ढाई सौ की संख्या को भी पर्याप्त मानते हैं। उनके मुताबिक सबसे ज्यादा उल्लेखनीय तथ्य यह है कि इस दौरान हजारों लोगों ने इस सेवा में दिलचस्पी दिखाई है। यानी उन्हें फ्यूचर कस्टमर माना जा सकता है.

मदन मोहन भट्ट

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मेहता ज्यूँ नमस्कार

आपुल टोपिक तो भौल शुरू करौ. ये लिजी धन्यवाद. परन्तु ध्यान दिनी बात तो यौ छू कि कै क लै क्रोध नि करण चैन.  आज मैस मोबाइल हुनल झगड़ करण लाग री भोव के नयी चीज़ आली तो वी वजैल लै कि तो झगड़ कराल.

फिर को घर नि देख ईजा को घर भल, जो चुप रै पाय वी सफल. 

मोबाइल तो सम्पर्काक  जरिया छू येक किले झगड़क जरिया बने दिना हाँ यारो.

मदन मोहन भट्ट

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Bhatt jew,

Yo baat  bilkul sahi chho .  haal mai ek or case hamar  saamin aa rayee.

Actually, what  happens trifle issues people are passing to their husband / kit-kins. It really seems to be serious away from home. In such cases,  Mobile phone is somewhat  proving to be a root of quarrel in many families. But we should not  forget that  Mobile Revolution has changed the world specially communication in pahad. 



मेहता ज्यूँ नमस्कार

आपुल टोपिक तो भौल शुरू करौ. ये लिजी धन्यवाद. परन्तु ध्यान दिनी बात तो यौ छू कि कै क लै क्रोध नि करण चैन.  आज मैस मोबाइल हुनल झगड़ करण लाग री भोव के नयी चीज़ आली तो वी वजैल लै कि तो झगड़ कराल.

फिर को घर नि देख ईजा को घर भल, जो चुप रै पाय वी सफल. 

मोबाइल तो सम्पर्काक  जरिया छू येक किले झगड़क जरिया बने दिना हाँ यारो.

मदन मोहन भट्ट

मदन मोहन भट्ट

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मेहता ज्यूँ नमस्कार

पहले औरतो के पास संपर्क का साधन नहीं था वे मन की बात मन मैं ही रख कर मन मसोस कर रह जाती थी.  अब फर्क इतना आया है कि मोबाइल फ़ोन से कभी भी किसी  भी समय वह खुलकर अपनी मन की बात अपनी पति को या मैके मैं बता सकती है.  इसलिए बजाय इसे मोबाइल के साइड इफेक्ट कहने के, नारी सशक्तिकरण कहा जाय? अब यों कहिये की पहाड़ की नारी मोबाइल होने से सशक्त हो रही है.

मदन मोहन भट्ट

Tanuj Joshi

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I absolutely disagree with Mr. Mehta's comments on side affects of Mobile technologies on relationships. I feel mobile technology has changed the way communication was done earlier. Wireless media is the back bone of a person in today's era. And whatever points U've put about the complaints by a bahu aur others by mobile(or perhaps you even intended it to be any fast medium) just shows their own emotions which are coming out in a faster communication. With earlier medium they could have written a letter or a fax and it could have taken much more time. The matter could have gone worse in such scenario. But if complaints are made faster through mobile phones, even the clarifications and the solutions have become faster which makes it a positive point again. Please don't make technology responsible for such vague things which have only to do with one's own thoughts and cognizance.

पंकज सिंह महर

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वो दिन लद गए जब पहाड़ की महिलाएं पूरी तरह पुरुषों पर निर्भर थीं।?तकनीक और शिक्षा ने इन्हें अब आत्मविश्वास से भर दिया है। 
 

मदन मोहन भट्ट

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आदरणीय श्री पंकज सिंह महार जी

आप द्वारा पोस्टेड उपरोक्त फोटो के लिए मैं तहदिल से धन्यबाद करता हूँ.  यह फोटो पहाड़ की महिलाओं के कठिन जीवन को बदलते विश्व के वर्तमान परिपेक्ष्य मैं हूबहू साबित करती है. मोबाइल ने कम से कम उनको अपनों के नजदीक तो कर दिया है. कठिन से कठिन जीवन जीकर पहाड़ की सभ्यता और संस्कृति को संतति दर संतति बढाने वाली मेरे पहाड़ की सभी लक्ष्मी बाईयों को मेरा शत शत प्रणाम.  पुनः धन्यबाद के साथ.

मदन मोहन भट्ट

सत्यदेव सिंह नेगी

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Bhaee ji

aakala ta rulya dya mithai
Bachpan ma chali gyu mi seen foto dekhiki

 

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