Author Topic: Share Informative Articles Here - सूचनाप्रद लेख  (Read 91776 times)

Pawan Pathak

  • Jr. Member
  • **
  • Posts: 81
  • Karma: +0/-0
Re: Share Informative Articles Here - सूचनाप्रद लेख
« Reply #330 on: March 22, 2015, 08:36:51 PM »
बड़ा निराला है तेरा द्वार भ्‍ावानी
पुराणों में हिमालय की पुत्री कहलाती हैं मां नंदा

अल्मोड़ा। नंदादेवी को पुराणों में हिमालय की पुत्री कहा गया है। जिनका विवाह शिव से होता है। देवी भागवत में नंदा को शैलपुत्री के रूप में नौ दुर्गाओं में एक बताया गया है, जबकि भविष्य पुराण में उन्हें सीधे तौर पर दुर्गा कहा गया है। नंदादेवी के नाम से हिमालय की अनेक चोटियां हैं। इनमें नंदादेवी, नंदाकोट, नंदाघुंटी, नंदाखाट आदि चोटियां हैं। नंदाकिनी, नंदकेसरी आदि नदियों के नाम भी नंदा देवी के नाम से हैं। उन्हें पर्वतराज हिमालय की पुत्री, उमा, गौरी, पार्वती के रूप में माना जाता है। ब्रह्मांड पुराण में उनको तारा नाम महाशक्ति कहा गया है। मातृशक्ति के रूप में उन्हें तारांबा नाम दिया गया है। उन्हें समुद्र की देवी माना जाता है जो जल की गति को नियंत्रित करती है और समुद्र में नाविकों का मार्गदर्शन करती है। उनका श्याम वर्ण है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार तारा को उग्र तारा कहा जाता है। कत्यूरी, चंद, गढ़वाल केनरेश मां नंदा को कुल देवी के रूप में पूजते रहे। नंदा गढ़वाल, चंद राजाओं के राजकुल की बहन बेटी के रूप में भी मानी जाती थी। नंदादेवी की पूजा समूचे उत्तराखंड में होती है। उन्हें उत्तराखंड की देवी मां का दर्जा प्राप्त है।


Source-http://epaper.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20150321a_005115008&ileft=689&itop=73&zoomRatio=130&AN=20150321a_005115008

Pawan Pathak

  • Jr. Member
  • **
  • Posts: 81
  • Karma: +0/-0
Re: Share Informative Articles Here - सूचनाप्रद लेख
« Reply #331 on: August 24, 2015, 03:32:20 PM »
बेमिसाल है भोटिया पड़व का बौद्ध स्तूप
टनकपुर। टनकपुर के भोटिया पड़व गांव में बौद्ध लामा द्वारा निर्मित बौद्ध स्तूप न सिर्फ आकर्षक बल्कि उसकी कलाकृति भी बेमिसाल है। मौजूदा थ्वालखेड़ ग्राम सभा का भोटिया पड़व गांव भोटिया जनजाति की पहचान है, और आज भी इस जनजाति के कई परिवार यहां निवास करते हैं।
दलाई लामा को अपना धार्मिक गुरु मानने वाले यहां के भोटिया बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं। गांव के बीच में प्रेम व सौहार्द का प्रतीक बौद्ध लामा द्वारा निर्मित लगभग पचास फुट ऊंचा बौद्ध स्तूप है। इस प्रकार के स्तूप उत्तराखंड के कुछ स्थानों पर ही देखने को मिलते हैं। कमल की आकृति की नींव व चिलम के आकार जैसे सिरे वाला यह मंदिर पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र हैं। गांव में रहने वाले जीवन सिंह खंपा बताते हैं कि इस स्तूप को बौद्ध धर्मगुरु लामा द्वारा करीब 30 वर्ष पूर्व निर्मित किया गया। इसके अंदर विभिन्न धार्मिक ग्र्रंथ, देवी देवताओं की मूर्तियां, रेशम के कपड़ व विविध धातु के औजार बुरादे में रख कर दबाए गए हैं। मंदिर की विशेषता यह है कि इसमें अंदर जाने को रास्ता नहीं है। सिर्फ बाहर से ही पूजा-अर्चना की जाती है। करीब 25 फुट की ऊंचाई पर उत्तर दिशा की ओर जालीदार शीशे की खिड़की है, जिससे बाहर से भगवान बुद्ध व अन्य देवी देवताओं के दर्शन किए जाते हैं। बौद्ध धर्म के अनुयायी धारचूला के विदंग गांव से आकर बसे हैं।


Source-  http://earchive.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20090111a_008115009&ileft=317&itop=943&zoomRatio=169&AN=20090111a_008115009

Pawan Pathak

  • Jr. Member
  • **
  • Posts: 81
  • Karma: +0/-0
Re: Share Informative Articles Here - सूचनाप्रद लेख
« Reply #332 on: September 23, 2015, 02:48:49 PM »
रावण गांव में भी लंकापति बने अछूत
बागपत। रावण के नाम पर बसने के बाद भी गांव के बाशिंदे लंकापति का नाम तक नहीं लेते। यह स्थिति तब है कि जब गांव की पहचान ही रावण उर्फ बड़ागांव के रूप में है। इतिहासकार भी पुष्टि कर चुके हैं कि बड़ागांव में रावण के कदम पड़े थे और तभी से गांव का नाम रावण पड़ गया। गांव के टीले से महाभारत काल से लेकर गुप्तकालीन सभ्यता के अवशेष भी मिल चुके हैं।
दशहरे पर अच्छाई के प्रतीक के रूप में भगवान राम और बुराई के रूप में लंकापति रावण का नाम जरूर लिया जाता है। रावण की जन्मस्थली बिसरख में तो रावण की पूजा की जाती है। लेकिन जिस गांव का नाम ही लंकेश्वर रावण के नाम पर पड़ा हो, वहां का कोई भी बाशिंदा रावण की पूजा तो दूर। उसका नाम तक नहीं लेता। बात बागपत के रावण उर्फ बड़ागांव की हो रही है। राजस्व रिकार्ड में गांव रावण के नाम पर दर्ज है, जिसके साथ बाद में बड़ागांव शब्द जोड़ा गया। एमएम कॉलेज मोदीनगर के इतिहासकार डॉ. कृष्णकांत शर्मा और शहजादराय प्राच्य शोध संस्थान बड़ौत के निदेशक अमितराय जैन बताते हैं कि लंकाधिपति के नाम पर बसने के साथ ही बड़ागांव में कई प्राचीन सभ्यताओं के अवशेष भी पाए गए हैं। प्राचीन मंशा देवी मंदिर के पास स्थित टीले से महाभारत काल, गुप्त काल, कुषाण काल सभ्यताओं के अवशेष प्राप्त हो चुके हैं। इनमें चित्रित धूसर मृदभांडों के अवशेष, मनके, मटकों के टुकड़े, विशाल ईंट तक पाई गई हैं। इससे प्रतीत होता है कि प्राचीन काल में यहां पर कोई बड़ा नगर रहा होगा। अगर इस स्थान की खुदाई कराई जाए तो कई नए रहस्य उजागर होंगे। उन्होंने बताया हिमालय से तपस्या कर लौटते समय लंकापति बड़ागांव के जंगल में आया था और यहीं देवी का शक्तिपुंज मंशा देवी के रूप में स्थापित हो गया। मंदिर के पास स्थित तालाब में रावण ने स्नान किया था। लंकापति से गांव का अस्तित्व जुड़ा होने के बाद भी ग्रामीणों में रावण का अछूत होना आश्चर्यजनक है।


Source-http://earchive.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20101018a_010115011&ileft=-5&itop=1203&zoomRatio=187&AN=20101018a_010115011

Pawan Pathak

  • Jr. Member
  • **
  • Posts: 81
  • Karma: +0/-0
Re: Share Informative Articles Here - सूचनाप्रद लेख
« Reply #333 on: September 25, 2015, 09:51:19 AM »
सद्भावना का संदेश देता खूनाबोहरा
चंपावत। जिले से होकर गुजरने वाले टनकपुर-तवाघाट राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित ‘खूनाबोहरा’ गांव अतीत से ही हिंदू-मुस्लिम एकता की आदर्श मिसाल बना हुआ है। इस गांव में दोनों ही समुदाय के लोग सदियों से प्रेम, भाईचारे और सौहार्द के साथ जीवन यापन करते आ रहे हैं। अतीत में इस गांव को चंद शासकों ने मनिहारों (चूड़ी बनाने और पहनाने वाले) के लिए बसाया था। वर्तमान में गांव में करीब डेढ सौ परिवारों में से दो दर्जन से अधिक परिवार मुस्लिमों (मनिहारों) के हैं। गांव में ब्रिटिश हुकूमत के दौर में वर्ष 1907 में मस्जिद का निर्माण किया गया था।
इतिहासकार देवेंद्र ओली के मुताबिक खूनाबोरा गांव जिसका कि पुराना नाम खूनामुलक है, में मनिहारों को 13वीं सदी में चंद शासकों ने बसाया था। चंद शासकों की ओर से तब गांव में कांच की चूड़ियां बनाने की भट्टियां लगाई गई थीं। मनिहारों का कार्य राजघराने की महिलाओं के लिए चूड़ियां बनाना तथा राजमहल में जाकर उन्हें पहनाने का होता था। मनिहारों की सेवा भावना से प्रसन्न होकर तत्कालीन चंद शासकों ने तराई क्षेत्र में मनिहारों को प्रवास के लिए गोठ भी आवंटित किया गया था। जो वर्तमान में टनकपुर क्षेत्र में मनिहारगोठ गांव के नाम से प्रसिद्ध है। खूना बोहरा में मनिहारों के पास वर्तमान में आठ सौ नाली से अधिक उपजाऊ भूमि है।
गांव के शाहिद हुसैन बताते हैं कि यहां रह रहे मुस्लिम परिवारों द्वारा हिंदुओं की तरह ही खेतीबाड़ी एवं गाय-भैंस का दूध बेचकर आजीविका चलाई जा रही है। मुस्लिमों के यहां कोई पर्व हो या हिंदुओं के यहां कोई त्यौहार, दोनों ही समुदाय के लोग एक दूसरे के धार्मिक और सामाजिक आयोजनों में बढ़चढ़ कर सहयोग करते हैं। यहां आज तक सांप्रदायिक तनाव अथवा हिंदू-मुस्लिमों के बीच किसी भी तरह के झगड़े का मामला कोर्ट कचहरी नहीं पहुंचा है।


Source- http://earchive.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20101020a_002115005&ileft=468&itop=1151&zoomRatio=138&AN=20101020a_002115005

Pawan Pathak

  • Jr. Member
  • **
  • Posts: 81
  • Karma: +0/-0
Re: Share Informative Articles Here - सूचनाप्रद लेख
« Reply #334 on: September 25, 2015, 05:06:19 PM »
जनेऊ आंदोलन के पुरोधा कुमांऊ केसरी खुशीराम जी उन महान लोेगों में शामिल हैं

लोहाघाट। जनेऊ आंदोलन के पुरोधा कुमांऊ केसरी खुशीराम जी उन महान लोेगों में शामिल हैं, जिन्होंने सामाजिक विकृतियों को झेलते हुए समाज के दबे कुचले वर्गों को मुख्य धारा में लाने के लिए लगातार संघर्ष किया, जिसमें वह सफल होते गए।
संघर्षपूर्ण जीवन में वह ऐसे पड़ाव में पहुंचे, जहां उन्हें सामाजिक अभिशाप का भी सामना करना पड़ा, लेकिन वह कभी अपने लक्ष्य से विचलित नहीं हुए। उनके इस संघर्ष ने उन्हें दलित समाज में ऐसी ख्याति अर्जित कराई कि लोग उन्हें कुमांऊ के गांधी या कुमांऊ केसरी जैसे शब्दों से संबोधित करते थे।
13 दिसंबर 1986 को हल्दूचौड़ के दौलिया गांव के दौलत राम के घर में खुशीराम जी ने जन्म लिया। स्कूली जीवन से ही वह प्रताड़ना के शिकार हुए, बाद में आर्य समाज के प्रचारक राम प्रसाद के सानिध्य में आए। उन्होंने शिल्पकार समाज में व्याप्त कुप्रथाओं को दूर करने का बीड़ा उठाया। उस वक्त शिल्पकार सामाजिक बंधनों के कारण जनेऊ नहीं पहना करते थे। खुशीराम जी ने इसे एक चुनौती मानकर समूचे कुमांऊ में शिल्पकारों को जनेऊ पहनने के लिए प्रेरित किया। इसी के साथ उन्होंने उनकी शिक्षा के लिए अलग से विद्यालय स्थापित किए। शिल्पकार सुधारणी सभा का गठन किया।
1934 में कुमांऊ केशरी बद्री दत्त पांडेय व पं. गोविंद बल्लभ पंत उन्हें कांग्रेस में ले आए। 1946 में वह विधायक चुने गए तथा 1967 तक उन्होंने इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। चार वर्ष बाद उनका देहावसान हो गया था। बाराही धाम देवीधुरा में रक्षाबंधन के अवसर पर प्रतिवर्ष समारोह आयोजित कर कुमांऊ केशरी को याद किया जाता है। चंपावत समेत सभी जिलों में आज भी शिल्पकार वर्ग के लोग उन्हें श्रद्धा व सम्मान देते हैं।



Source
-http://earchive.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20111015a_004115005&ileft=227&itop=1163&zoomRatio=191&AN=20111015a_004115005

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Re: Share Informative Articles Here - सूचनाप्रद लेख
« Reply #335 on: October 07, 2015, 09:23:01 AM »
Ticking time bombs in Uttarakhand


Glacial lakes, responsible for Kedarnath deluge, not being monitored

A loud sound resembling an explosion that Vipin Tewari had heard two years back while he was in Kedarnath continues to haunt him.

“It was June 17 [2013] and in the wee hours of the morning the sound of an explosion coming from behind the Kedarnath shrine alerted everyone in its vicinity. Instantly large volumes of water started flooding the Kedarnath town,” Mr Tewari recounts.

About 1.5 kilometres upstream of Kedarnath, the Chorabari lake had breached on the morning of June 17 following heavy rainfall.

 “Within 10 minutes the valley transformed into a graveyard. I was saved because I ran to the top of a three-storey building while beneath me everything and everyone was swallowed by the fierce current,” Mr Tewari, whose shop at the Kedarnath township was destroyed in the disaster, said.

Two years later, researchers and glaciologists often trek to study the glacial lake which, when it breached, killed over 4,000 people.

According to a recently published Glacial Lake Inventory done by the Dehradun-based Wadia Institute of Himalayan Geology, there are 1,266 glacial lakes in Uttarakhand with sizes varying from 500 square metres to 2,44,742.3 square metres.

 While Sangeeta Devi living with three daughters in a village 50 km from the Kedarnath shrine continues to mourn the death of her husband, the only earning member in the family, and several other deluge-hit people continue rebuilding their lives , the Uttarakhand government is yet to identify glacial lakes that could be a threat to people.

Piyoosh Rautela, Executive Director of the Uttarakhand Disaster Mitigation and Management Centre, which is a part of the Uttarakhand government’s disaster management department, said, “It is difficult to monitor the glacial lakes. The State government has neither the manpower nor the resources to monitor them. Besides, we must be told [by the concerned agencies] about the specific lakes that need to be monitored.”

While the urgency to monitor the glacial lakes has been acknowledged by the concerned agencies, lack of communication between various agencies continues to be a hindrance.

Professor Anil K. Gupta , who is the Director of Wadia Institute, said, “It is the prerogative of the State government agencies to monitor the glacial lakes . We are ready to provide technical assistance to the State government provided we receive a proposal on the same from the government.”

Climate Change experts have said that the Kedarnath disaster was triggered by “extreme weather condition including extreme rainfall which can be linked to climate change”.

Glacial retreat too is being identified as a consequence of climate change. And it has been warned that with time, as glaciers retreat, more glacial lakes with larger areas would be formed.

Acknowledging the threat posed by climate change with respect to glacial lakes, the Uttarakhand Action Plan on Climate Change, 2014, mentions: “It is important to identify these [glacial] lakes and assess their devastation potential so as to plan for this contingency well in advance.”

Though the glacial lakes are ticking time bombs that could be catastrophic to people residing in the concerned river basins, the State government is yet to take cognisance of these lakes and cater to the pressing need to monitor them.

Produced under Earth Journalism Network’s ‘The Third Pole Geo-Journalism Fellowship’

http://www.thehindu.com/news/national/other-states/glacial-lakes-ticking-time-bombs-in-uttarakhand/article7704700.ece

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Re: Share Informative Articles Here - सूचनाप्रद लेख
« Reply #336 on: October 07, 2015, 09:23:29 AM »
Basins    Glacial Lakes
Mandakini    19
Alaknanda    635
Bhilangna    22
Dhauliganga    75
Ramganga    0
Kutiyangti    45
Bhagirathi    306
Pinder    7
Tons    52
Yamuna    13
Goriganga    92

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Re: Share Informative Articles Here - सूचनाप्रद लेख
« Reply #337 on: October 07, 2015, 09:26:00 AM »
Uttarakhand to get 37 canals under UP’s jurisdiction

The 15-year-old Gordian knot on who gets to keep what came almost undone during the assets distribution talks held between Uttarakhand and its parent state Uttar Pradesh recently.

Uttar Pradesh has agreed to hand over 37 canals, presently under their control, to Uttarakhand. The canals are located in Haridwar and Udham Singh Nagar districts.

Ownership of irrigation facilities has been a bone of contention since Uttarakhand was hived off Uttar Pradesh in 2000. The irrigation departments of the two states have been fighting for 50 canals, 13,000 hectares of land, 4,000 buildings, and several barrages in Uttarakhand.

A source in the department said more than 700 cases were pending in various courts.

The ice broke after chief minister Harish Rawat called on his counterpart Akhilesh Yadav early this year and agreed to split them up amicably.

The officials of the two irrigation departments recently met in Bareilly, said Sanjay Raj, the executive engineer in Uttarakhand irrigation department.

“Similarly Uttarakhand will transfer rights of 8 canals that feed Uttar Pradesh fields but are inside the hill state,” the official said.

A joint team of officials from the two states will soon meet again after the governments issue orders.

Besides the remaining five canals that are to be divided, Uttar Pradesh also manages three big water reservoirs—Baigul, Nanaksagar and Dhora —inside Uttarakhand. No decision has been taken on them yet.

Samajwadi Party leader Vinod Barthwal who has been recently appointed by the Uttara Pradesh government as advisor to resolve the pending issues said he would “further accelerate” the process.

http://www.hindustantimes.com/dehradun/uttarakhand-to-get-37-canals-under-up-s-jurisdiction/story-cVG11TF6V0bt75dtQQr52I.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Re: Share Informative Articles Here - सूचनाप्रद लेख
« Reply #338 on: December 11, 2015, 10:20:46 PM »
Pithorgarh गरारी का एंगल टूटने से ट्रॉली रुकी, स्कूल गए 60 बच्चे फंसे -ट्रॉली बंद होने से करना होगा 16 किमी का सफर
पिथौरागढ़ जिले में लुम्ती से घरूड़ी गांव जाने के लिए गोरी में लोक निर्माण विभाग की लापरवाही से गरारी का एंगल टूट गया, जिससे ट्रॉली की आवाजाही बंद हो गई। शनिवार को घरूड़ी गांव से जीआईसी बरम और राजकीय हाईस्कूल लुम्ती में पढ़ने आए 60 विद्यार्थी लुम्ती में ही फंस गए।
संयोग था कि उनके आने से पहले ही गरारी का एंगल टूट गया था, नहीं तो बड़ा हादसा हो सकता था। लोगों ने रात्रि में बच्चों को अपने घरों में शरण दी। रविवार को घरूड़ी गांव के लोगों ने गरारी की मरम्मत कर बच्चों को घर तो पहुंचा दिया लेकिन आज सुबह फिर जोड़ा गया एंगल टूट गया। इस कारण ये बच्चे सोमवार को स्कूल नहीं जा पाए।
लुम्ती से घरूड़ी गांव को जोड़ने के लिए गोरी में बना झूलापुल 2013 की आपदा के समय बह गया था। डेढ़ वर्ष पूर्व लोनिवि अस्कोट ने झूलापुल के स्थान पर लोगों की आवाजाही के लिए गरारी तो लगा दी, लेकिन इसकी कभी देखरेख नहीं की। पिछले कुछ दिनों से गरारी का एक एंगल हिलने लगा था। शनिवार को यह पूरी तरह टूट गया। इस कारण घरूड़ी से स्कूल आए बच्चे घरों को नहीं जा पाए।
गांव के लोगों ने बताया कि यह गरारी अब खतरनाक हालत में पहुंच गई है। इससे आरपार जाने का जोखिम नहीं लिया जा सकता। कम से कम छोटे बच्चों को तो गरारी से भेज पाना संभव नहीं है। गरारी बंद हो जाने के कारण लोगों को 16 किमी का पैदल सफर तय कर बरम के पास बने पुल से नदी पार करनी पड़ेगी।
गांव के समाजसेवी गंभीर सिंह सामंत और भाजपा विधानसभा क्षेत्र प्रभारी जगत मर्तोलिया ने कहा कि मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में आपदा राहत कार्यों की हकीकत ऐसी है। जहां पर जरूरत है वहां पर आपदा का पैसा नहीं लग रहा है।
उन्होंने कहा कि तत्काल गरारी की मरम्मत की जाए और झूलापुल का निर्माण शुरू किया जाए। लोनिवि अस्कोट के ईई से भी उन्होंने बात की है और गरारी की खतरनाक हालत की जानकारी दी है। (amar ujala)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Re: Share Informative Articles Here - सूचनाप्रद लेख
« Reply #339 on: December 19, 2015, 08:35:08 AM »
गढ़वाल सभा, चौधरी विहारीलाल मार्ग देहरादून में निम्न गढ़वाली नाटकों की पाण्डुलिपि उपलब्ध हैं
नाटक --------------------------------लेखक ------------------- पृष्ठ
बखरुँ ग्वेर स्याळ ------------------भीष्म कुकरेती -----------82
बुड्या लापता ---------------------दिनेश भारद्वाज , रमण कुकरेती --20
मुर्खल्या बुड्या -------------------महावीर सिंह बिष्ट ---------8
पांच भाई कठैत ----------------दाताराम पुरोहित
मीतू रौत -------------------------सचिदानंद काॅन्डपाल -------------28
ओमप्रकाश सेमवाल के लघु गढ़वाली नाटक
गरीबी
नौकरी
नशा
धौंस
ढेंचू
ब्यौ
भात
दगड़ी
चुनाव
पागल
पुत्रजन्म पर
कुलानन्द घनसाला के गढ़वाली नाटक
नाटक ---------------------पेज
कखि लगीं आग ----------2
कम्प्लेंट ---------------------4
चिंता ------------------------3
सुनपट ---------------------2
डाक्टर साब --------------5
रामु पतरौळ ------------28
क्या कन तब ---------30
अब क्या ह्वाल --------30

नाटक -----------------------------------------लेखक ------------------- पृष्ठ
अर्ध्ग्रामेश्वर ----------------------------------राजेन्द्र धष्माना -------------55
पैसा ना ध्यला नाम गुमान सिंग रौतेला --राजेन्द्र धष्माना ------------50
मांगण -------------------------------------चंद्रशेखर नैथानी -----------------42
खाडू लापता -----------------------------ललित मोहन थपलियाल -----इंटरनेट पर उपलब्ध
अंग्रेजी अनुवाद -भीष्म कुकरेती , नेट पर उपलब्ध
घरजवैं ----------------------------------ललित मोहन थपलियाल -----
अंछेर्युं ताल -----------------------------ललित मोहन थपलियाल -----
एकीकरण -------------------------------ललित मोहन थपलियाल -----इंटरनेट पर उपलब्ध
अंग्रेजी अनुवाद -भीष्म कुकरेती , इंटरनेटनेट पर उपलब्ध
औंसी रात --------------------------------पाराशर गौड़ --------------------
रिहर्सल ------------------------------------पाराशर गौड़
राड़ा -----------------------------मदन मोहन डोभाल ----------------
खबेश ------------------------------मदन मोहन डोभाल
भक्त प्रल्हाद ---------------------------भवानी दत्त थपलियाल (प्रथम आधुनिक गढ़वाली नाटक )
अब अपण हो पाणी --------------------नित्यानंद मैठाणी ----------------- 12
तीलू रौतेली ----------------------------नित्यानंद मैठाणी -------------------82
सरगा दीदा पाणी --------------------मोहन थपलियाल --------------------
गंगावतरण -----------------------मनु ढौंढियाल , हरीश बडोला -------------13
फ्यूंळी (हिंदी में )---------------उर्मिल थपलियाल
भारी भूल -------------------------जीत सिंह नेगी ----------80
मलेथा की कूल -------------------जीत सिंह नेगी -------------------------82
विदेशी भाषाओं से गढ़वाली में अनूदित या रूपांतरित नाटक
नाटक ---------------------------------------मूल लेखक -------------------------अनुवादकार
भगवान से सौदेबाजी ------------------जेफ़ गोइबल--------------------------भीष्म कुकरेती -5 पेज
ढाबा मा एक रात----------------------लौर्ड डुनसानी-----------------------भीष्म कुकरेती --13
ट्रेन मा मौत --------------------------डी . ऍम . लारसन--------------------भीष्म कुकरेती
ए लाल रंग कब मुझे भायेगा ------------------ ------------भीष्म कुकरेती - 72
कातिल तकिया ------------------------------- ------------भीष्म कुकरेती --120
भगवान की जग्वाळ (First Absurd Play ) ---- -----------भीष्म कुकरेती ------120
गोलाकार गोलघेरा मा परिवर्तन ----------------------------------भीष्म कुकरेती --130
ओथेलो --------------------------------------------विलियम शेक्सपियर --------भीष्म कुकरेती
जूलियस सीजर ---------------------------------विलियम शेक्सपियर ----------भीष्म कुकरेती
मर्चेंट ऑफ वेनिस -----------------------------विलियम शेक्सपियर -----------भीष्म कुकरेती

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22