Author Topic: Wild Animal Menace In Uttarakhand-उत्तराखण्ड में जंगली जानवरों का आतंक  (Read 68301 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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कहीं बाघ तो कहीं भालू का आतंक

SOURCE DAINIK JAGARN


Nov 13, 10:05 pm



रुद्रप्रयाग। जिला मुख्यालय से सटी ग्राम पंचायत नरकोटा में भी बाघ का आतंक शुरू हो गया है। यहां दो दिन में बाघ ने दो मवेशियों को निवाला बना लिया है।

जखोली क्षेत्र में नरभक्षी बाघ का आतंक से अभी तक निजात नहीं मिल पाया है, वहीं मुख्यालय से सटी ग्राम पंचायत नरकोटा में भी बाघ का आतंक शुरू हो गया है।

यहां विगत बुधवार को रात्रि बाघ ने ग्रामीण पुरूषोत्तम जोशी की बछिया को गोशाला का दरवाजा तोड़कर अंदर ही मार डाला, हालांकि ग्रामीणों के शोर मचाने के बाद बाघ वहां से भाग गया। इस घटना के ठीक दूसरे दिन गत गुरूवार को माल्या नरकोटा तोक निवासी सतेश्वरी देवी की गाय गौशाला के अंदर बंधी थी। रात्रि के समय बाघ गोशाला के छत उलटकर अंदर घुस गया और गाय को मार डाला।

 इसका पता सुबह ही ग्रामीणों को लग पाया। बाघ के एक के बाद एक मवेशी को निवाला बनाने से ग्रामीण भयभीत हैं। ऐसे में वह खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। ग्राम प्रधान सुरेन्द्र प्रसाद जोशी ने वन विभाग से मांग करते कहा कि प्रभावित ग्रामीणों को उचित मुआवजा दिया जाए। वहीं प्रभागीय वनाधिकारी सुरेन्द्र मेहरा का कहना है कि प्रभावित ग्रामीणों को मवेशियों का उचित मुआवजा जल्द दिया जाएगा। उन्होंने क्षेत्रीय जनता से सर्तकता बरतने को भी कहा है।

थराली। पैनगढ़ गांव में देर सांय भालू के हमले में एक व्यक्ति बुरी तरह घायल हो गया, उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र थराली में भर्ती कराया गया है।

पैनगढ़ निवासी रणजीत ंिसह पुत्र प्रेम ंिसंह जब गराईतोक की ओर अपने खेत से लौट रहे थे, कि झाड़ियों में घात लगाये भालू ने उनपर हमला कर दिया, इससे वे बुरी तरह लहुलुहान हो गये।

उन पर भालू को हमला करता देख पास ही गुजर रहे खच्चर मालिक हिम्मत सिंह के हल्ला मचाने पर ग्रामीण एकत्र हुए तब जाकर भालू को भगाया जा सका। रणजीत सिंह के पुत्र बिरेन्द्र सिंह ने बताया कि भालू के हमले से उनके पिता के सिर, चेहरे पर गहरे जख्म बन गये हैं और उनका उपचार थराली सीएचसी में चल रहा है।

प्रधान पुष्पा देवी व दीपा देवी सहित गांव के जनप्रतिनिधियों ने कहा कि क्षेत्र में जारी जंगली जानवरों के आतंक से क्षेत्रवासी दहशत में है और स्कूली बच्चे व महिलायें घास के जंगल नही जा पा रही है उन्होंने इसके निजात बाबत ज्ञापन उपजिलाधिकारी थराली व वनाधिकारी नारायणबगड़ को भेज प्रभावित परिवार को मुआवजा देने की मांग की है।


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हाथियों ने फिर गुर्जर परिवार का आशियाना तोड़ा

 Nov 16, 10:29 pm



टनकपुर(चंपावत): गांव आमबाग व छीनीगोठ से लगे जंगल स्थित एक गुर्जर के झाले को बीती रात्रि जंगली हाथियों ने क्षतिग्रस्त कर दिया। झाले में सो रहे परिजनों ने जैसे तैसे भाग कर जान बचाई।
 हाथियों ने इस गुर्जर परिवार के झाले को तीसरी बार तहस नहस किया है। इधर ग्रामीणों ने वन विभाग से हाथियों के आतंक से निजात दिलाये जाने की मांग की है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_5946859.html

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भालू के हमले से महिला की मौत


Nov 20, 01:56 am

गोपेश्वर (चमोली)। गढ़वाल में अलग-अलग स्थानों पर भालू के हमले से एक महिला की मौत हो गई, जबकि दो नौनिहाल गंभीर रूप से घायल हो गए।

चमोली जिले के दशोली ब्लाक की ग्राम पंचायत सल्लौर की महिलाएं गुरुवार सुबह दस बजे घास लेने गांव के समीप के जंगल में गई थी। इसी दौरान भालू ने सौंणी देवी उम्र 60वर्ष पत्‍‌नी महेशानंद निवासी पट्टी रियाण उखीमठ पर हमला कर दिया। अन्य महिलाओं के शोर मचाने पर भालू ने महिला को छोड़ा। हमले में महिला गंभीर रूप से घायल हो गईऔर घर लाते समय घायल सौणी देवी ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।

 महिला गांव में अपने दामाद के घर में रहती थी।दूसरी घटना भी इसी ग्राम पंचायत में घटी। ग्राम पंचायत के कमियार गांव के रविन्द्र रावत पुत्र बालम सिंह सुबह साढे़ नौ बजे अपने साथियों के साथ राजकीय इंटर कालेज पीपलकोटी पढ़ने आ रहा था।

 वह साथियों से थोड़ा पीछे था कि गांव के पास ही भालू ने उस पर हमला कर दिया। इससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। उसके साथियों ने जब उस पर भालू के हमला करते देखा तो हो-हल्ला मचाया, जिससे भालू उसे छोड़कर भाग गया।

घटना की सूचना पर बदरीनाथ वन प्रभाग के डीएफओ राहुल और उप जिलाधिकारी चमोली देवानंद शर्मा मौके पर पहुंचे और उन्होंने घायल छात्र को जिला अस्पताल पहुंचवाया। डीएफओ राहुल ने बताया कि मृतक महिला के परिजनों को एक लाख मुआवजा दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि वन विभाग की छह सदस्यीय टीन वन क्षेत्र के उस स्थान पर गश्त करेगी जहां उसने हमला किया है।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_5955409.html

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जंगली सुअरों के आबादी में घुसने से ग्रामीण भयभीत

source dainik jagran

सोमेश्वर (अल्मोड़ा)। तहसील अंतर्गत कई गांवों में जंगली सुअरों के आबादी क्षेत्रों में घुसकर आतंक मचाने से लोग काफी भयभीत हैं। रैंज कार्यालय सोमेश्वर से सटे हुए ग्राम भानाराठ, नकूड़ा, नारंगतोली, टाना, मल्लाखोली तथा भंवरी आदि ग्रामों के किसानों की फसलों को चौपट कर चुके सुअरों के झुंड अब आबादी क्षेत्रों में धावा बोलने लगे हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि सुअरों की प्रवृत्ति हिंसक भी होती जा रही है जो कि उनके मवेशियों को भी चोटिल कर रहे हैं एवं भगाने पर लोगों को काटने के लिए दौड़ते हैं।

भानाराठ के पूर्व प्रधान तथा रौतेला गांव वन पंचायत के सरपंच राजेन्द्र बोरा, बची राम भट्ट, शंकर भट्ट, हरीश जोशी, मोहन सिंह नयाल, जोगा सिंह बोरा आदि का कहना है कि वन राजि कार्यालय से सटे गांवों में सुअरों के लगातार नुकसान की जानकारी रैंज कार्यालय तथा उच्चाधिकारियों को देने के उपरांत विभाग मूकदर्शक बनकर हाथ में हाथ धरे बैठा है। प्रदेश सरकार कृषि को हो रही व्यापक क्षति की रोकथाम करने की दिशा में विफल साबित हुई है।

राजेश जोशी/rajesh.joshee

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लोगों में जानकारी का अभाव तथा सरकार के अधिकारियों, नेताओं और उनके चमचों का गैरजिम्मेदाराना रवय्या इस सारे फ़साद की जड़ है। परयावरण में जैविक असंतुलन पैदा हो गया है। कही बन्दरों का आतंक है, कही सुअरों का, कही गुलदार का।  इसके लिये सरकार द्वारा जिम्मेदार कदम उठाये जाने जरुरी हैं, नही तो जंगली जानवर चिड़ियाघर में भी नही दिखायी देंगे।

Jai Dimri

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मत लांघिये जंगल की सीमा!
« Reply #25 on: December 05, 2009, 11:40:02 AM »
आदमखोर गुलदार आंगन से बच्चों को उठा कर ले जा रहे हैं। महिलाएं डर के मारे घास-लकड़ी के लिए जंगल जाने का साहस नहीं कर पा रहीं। स्कूल आ-जा रहे बच्चों की रखवाली के लिए मां, बाप को भी साथ जाना पड़ रहा है। शिकारी आदमखोरों को मार गिराने का दावा कर रहे हैं पर आतंक बढ़ता ही जा रहा है। वन अधिकारी यह नहीं बता पा रहे कि, गुलदार इस कदर हिंसक क्यों हो गये हैं। क्यों भालू अपनी शाकाहारी प्रवृत्ति छोड़ कर मनुष्य और जानवरों को निशाना बना रहा है। आखिर कब तक निर्दोष बच्चे और महिलाएं इन हिंसक जानवरों का निशाना बनते रहेंगे। इन्हें जंगल की सीमा को लांघने से रोकिये! आखिर, आप भी बाल-बच्चों वाले हैं! बच्चों के यूं असमय चले जाने का दर्द तो समझते ही होंगे।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: मत लांघिये जंगल की सीमा!
« Reply #26 on: December 05, 2009, 12:05:33 PM »

Dimiri ji,

Thanks for raising the issue. I think somewhere human being are responsible for this. The way forest are being cut, such incidents are bound to happen. Afterall, where the wild animals will go. Where will be their shelter?

However, there should be some strong rules to be implemented by the Govt ensure the live of peoples in village areas is lost.


Devbhoomi,Uttarakhand

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उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों मैं जंगली जानवरों का ख़तरा काफी समय से बना हुवा है और ये कोई नहीं बात नहीं है, जंगलात वाले तो क्या कहें, वो तो बस शाम होते ही दारु ठेक मैं नगर आएंगे या कहीं किसी ब्यौड़े के साथ घुमते नगर आयेंगें ये हैं हमारे फोरेस्टर और पतरौल जी , उत्तराखंड के पहड़ी इलाकों मैं जितने भी फोरेस्टर और पतरौल हैं उनको ये भी पता नहीं होता है की उनकी ड्यूटी जंगल के किस हिस्से मैं हैंऔर कब से कबा तक है और क्या उनकी ड्यूटी है, हाँ इतना जरूर हैं की उनको सिर्फ पता होता है

 की जंगल के पास का गान मैं किसके घर में य दूकान मैं दारु मिलती है, सबसे पहले ये लोग ये पता लगते है , उसके बाद अपनी चौकी के बारे मैं पता लगाते हैं की फोरेस्टर और पतरौल की चौकी कहाँ है बस इतना ही काम हैं इनका शाम होते ये दारु पीकर कहीं किसी के साथ घुमते होते हैं

या तो कहीं किसी रास्ते के किनारे पड़े होते हैं इनको जंगल के बारे मैं कुछ्ह भी मालुम नहीं होता है, की जगल मैं कोई जानवर है या नहीं , जगंली जानवरों को पहले इन जन्ग्लातियों खाना चाहिए, इन हराम हदों को क्या मालुम की गानों मैं लोग जंगली जानवरों के डर से कैसे अपना जीवन ब्यतीत कर रहे हैं !

हाँ ये जरूर हैं की कभी इन्हें कोई जंगल मैं कोई गरीब पेड काटते हुए पकड़ लिया तो बस हो गयीं इनकी कमाई वेचारे गरीब को तो कहीं का नहीं छोड़ते हैं ये जंगली फोरेस्टर और पतरौल,कास जंगली जानवर इनको खा जाय तो फिर पता चलेगा इनको गाँव वालो का दर्द कैसे रहते हैं ये लीग इन जंगली जानवरों के डर से इन पहाड़ों मैं !

Ajay Tripathi (Pahari Boy)

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Re: मत लांघिये जंगल की सीमा!
« Reply #28 on: December 07, 2009, 04:32:09 PM »
I am totally agree with Mehta ji points.....we need to stop cutting the trees and have to plant more trees..we cannot blame government for this.we have to spread this message to all residence to uttrakhand to stop this and understand the value of greenary...if hills lost its greenary then we will not only lost our tourism but also our devbhoomi...if you compare uttrakhand hills from east states hills..we will feel shame and find what we are loosing...so it is request all mera pahad members whenever you visit to your hometown please convey this message to everyone..either we have to say Shaksher Uttrakhand..Banjar (not harit) Uttrakhand

Ajay Tripathi (Pahari Boy)

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bhai log hum is baat ko kab samjhe gay ki jinke gar siso ke hota hai wo dusro ke gar pather nahi fakate...means if we will do something wrong for anyone how god will do good for us...

 

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