kya hoga hamre pahaon ka or whan byteet karne wale logon ka, ek or kisaa samne aaya hai, ab podi garhwal main bhi jangli jaanvaron ka atank
जंगली जानवरों की दहाड़ से सहमे लोग
पौड़ी गढ़वाल। भालू की हम-हम और गुलदार की दहाड़ के साथ ही जंगली सुअरों का खेती पर हमले से गांव के लोग परेशान हैं। जंगली जानवर चार साल में अब तक 21 लोगों को अपना निवाला बना चुके हैं और 111 लोगों को घायल कर चुके हैं।
गढ़वाल क्षेत्र में 70 हजार हेक्टेयर में फैले 6 वन क्षेत्रों में गांवों की आर्थिकी व कृषि जुड़ी हुई है। घास, लकड़ी, कंद, मूल व फल आवश्यकता में शामिल हैं और ऐसे में वन्य जीवों से ग्रामीणों का अक्सर संघर्ष होता है। गुलदार, भालू व सूअर लगातार लोगों पर हमला बोलकर गांव की जिंदगी को दुश्वार किए हुए हैं।
सूअर तो खड़ी फसल को मसल रौंद रहे हैं। यही वजह भी है कि करीब 150 गांवों ने वन विभाग को लिखित पत्र सौंपा है कि सूअर ने उनकी फसल समाप्त कर दी है और ऐसे में उन्हें फसल का मुआवजा दिया जाए, लेकिन वन विभाग ने आज तक उन्हें पाई तक नहीं दी है। चार वर्षो में गुलदार ने 18, भालू ने 2 व जंगली सूअर ने 1 इंसान की जान ली है। वर्षवार देखें तो 2009 में 1, 2008 में 7, 2007 में 8, 2006 में 3 व 2005 में 2 इंसानों को जंगली जानवरों ने मारा है। इसी समयावधि में भालू, गुलदार व जंगली सूअर ने 111 लोगों को घायल किया है।
प्रभागीय वनाधिकारी गढ़वाल वन प्रभाग डीएन सेमवाल का कहना है कि यह घटनाएं ठीक नहीं है, लेकिन वन्य जीवों के आवास स्थलों में इंसानों की दखल अधिक बढ़ गई है। इससे ये हिंसक प्राणी मानव बस्तियों तक पहुंच रहे है।
उन्होंने कहा कि खेतों में काम करना भी अत्यंत आवश्यक है इसके लिए ग्रामीण समूह बनाकर खेतों में जाएं और हो-हल्ला कर पहले जंगली जानवरों को भगा लें फिर कार्य शुरू करे और सायं ढलने से पहले ही खेतों से लौट आएं तो हमलों से आसानी से बचा जा सकता है।
उधर, पर्यावरणविद् जगत सिंह जंगली का कहना है कि पहाड़ी लोगों का जीवन जंगल व खेती से ही जुड़ा है। वन्य प्राणियों के हमले में मारे जाने वाले लोगों के परिजनों को सरकार को कम से कम पांच लाख का मुआवजा देना चाहिए।