कुत्ता भी नहीं ढ़ूढ़॒पाया घायल बाघिन॒
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ढिकुली॒के समीप गर्जिया॒गांव की महिलाओं को मारने वाली घायल बाघिन॒को खोजने के लिए॒बृहस्पतिवार को पुलिस के कुत्ते बुलाए गए,॒पर तीसरे दिन भी उसके फुट प्रिंट और कुछ ब्लड स्पॉट के अलावा कुछ हाथ नहीं लगा। इसके साथ ही, जंगल में कुछ पार्टियों की कांबिंग का नतीजा भी शून्य रहा। अब इस आशा में कि घायल बाघिन॒अपने शिकार के पास लौटेगी, शिकारी फिर मचान पर डट गए॒हैं। साथ ही, वहां एक कटरा भी बांध दिया गया है।
गर्जिया॒निवासी शांति देवी को मौत के घाट उतारने वाली बाघिन॒को १०॒जनवरी की रात गोली मारी गई थी, इसके बाद वह अंधेरे॒के बीच घनी झाड़ियों में छिप गई। उसकी तलाश में तीन दिनों से कांबिंग की जा रही है, लेकिन बाघिन॒का पता नहीं चला। बृहस्पतिवार को काठगोदाम थाने के पुलिसकर्मी डाग स्क्वायड॒मनी के साथ घटनास्थल॒पर पहुंचे। वहां उन्होंने घायल बाघिन॒का रक्त सुंघाकर उसे खुला छोड़ दिया। मनी भी वनकर्मियों को धुलवा बीट नंबर १३॒के नाले तक ले गया। वहां वनकर्मी पहले भी पहुंच चुके थे, इससे आगे मनी भी नहीं चल सका। घंटेभर॒की मशक्कत के बाद उसे काठगोदाम भेज दिया। इसके बाद घटनास्थल पर एक कटरा बांधकर॒विभागीय शिकारी मथुरा सिंह मावड़ी॒और गढ़वाल के शिकारी लखपत सिंह नेगी को फिर मचान पर बैठाया गया है।
वहीं, उत्तराखंड वन्य एवं पर्यावरण सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष अनिल बलूनी, एनटीसीए॒के सदस्य सचिव डा. राजेश गोपाल, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक श्रीकांत चंदोला, चीफ कुमाऊं एससी पंत, उपनिदेशक सीके कविदयाल॒ने भी आपरेशन सर्च की निगरानी की। उधर,॒एसडीएम॒एके॒नौटियाल, सीओ पीसी आर्या ने भी ग्रामीणों, वनाधिकारियों॒के मध्य सामंजस्य बनाने की कोशिश की, लेकिन आक्रोशित ग्रामीणों ने निदेशक, उपनिदेशक पर संवेदनहीनता का आरोप लगाते हुए॒उनके स्थानांतरण की मांग की। पार्क वार्डन यूसी तिवारी ने ग्रामीणों से अभियान में सहयोग की अपील की है। इस पर ग्रामीणों ने तीन दिन का अल्टीमेटम देकर हमलावर बाघिन॒को मारने की मांग की। इनमें ईडीसी॒के अध्यक्ष चंद्रशेखर खुल्बे,॒गणेश छिम्वाल,॒राकेश नैनवाल,॒नारायण दत्त जोशी, अशोक खुल्बे,॒खजान छिम्वाल,॒वीरेंद्र सिंह रावत आदि शामिल रहे।
http://www.amarujala.com/state/Uttrakhand/6420-2.html