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Manoj Sharma:
I am not able to write in Hindi or not able to attache any attachment.

Pls Help me that how can i type in hindi here or how can i attached a file

regards

Manoj

Risky Pathak:
To write in hindi please go to http://www.google.com/transliterate/indic


and to attach a document when you click reply, a new page will open which has a control "Additional Options" below "Post"&"Preview Button". Click on that control. A attach control will be displayed. Attach the document and click Post

Manoj Sharma:
धन्यबाद मेहता जी,

अब मैं हिंदी में भी लिख सकता हूँ.

मैं आपके के माध्यम से एक बात समाज के सामने रखना चाहता हूँ की समाज आज  जितना आर्थिक दृष्टि ऊपर उठा है लोगों की भावनाएँ उतनी ही नीचे की ओर जाने लगी है हम अपने समाज से दूर होते जा रहे हैं और खासकर हम उत्तराखंडी जिनका आधा परिवार शहरों में है और आधा गाँव में, हम  अपने ही माँ बाप भाई बहिनों से दूर होकर उनसे अपने मुहँ मोड़ना चाहते हैं, जिन माँ बाप ने अपनी जिंदगी भर के खून पसीने से हमारा पेट भरा और हमें इस लायक बनाया की आज हम काफी ऊँचे ऊँचे पदों पर बैठे हुए है, लेकिन आज हम उन्ही बूडे चेहरों को ठोकर मार रहे हैं, मेरे ब्याक्तिगत अनुभव से ज्यादातर लोगों का लोगों का यही रवैहा यही है,

लेकिन  हमें बात को कुछ गहराही से सोचना होगा की आज हम जो उनके साथ कर रहे हैं कल हम भी उसी जगह हम होंगे  और हमारे साथ उससे भी भूरा हो सकता है, इसलिए अपने माँ बाप से कभी भी  इस तरह का बर्ताव न करें और उनको भगवान् से भी ज्यादा प्यार दें  और  उनकी पूजा करें,  इसके ऊपर मैं एक लाइन लिखना चाहता हूँ.

" ज्युन्दा जगदा पुछदा भी नि, द्य्बता रूप माँ क्या मैनैला
आज पानी  भी नि छिड़की भोल तों हरिद्वार नालैला "

Devbhoomi,Uttarakhand:

--- Quote from: Manoj Sharma on August 22, 2009, 10:10:36 AM ---धन्यबाद मेहता जी,

अब मैं हिंदी में भी लिख सकता हूँ.

मैं आपके के माध्यम से एक बात समाज के सामने रखना चाहता हूँ की समाज आज  जितना आर्थिक दृष्टि ऊपर उठा है लोगों की भावनाएँ उतनी ही नीचे की ओर जाने लगी है हम अपने समाज से दूर होते जा रहे हैं और खासकर हम उत्तराखंडी जिनका आधा परिवार शहरों में है और आधा गाँव में, हम  अपने ही माँ बाप भाई बहिनों से दूर होकर उनसे अपने मुहँ मोड़ना चाहते हैं, जिन माँ बाप ने अपनी जिंदगी भर के खून पसीने से हमारा पेट भरा और हमें इस लायक बनाया की आज हम काफी ऊँचे ऊँचे पदों पर बैठे हुए है, लेकिन आज हम उन्ही बूडे चेहरों को ठोकर मार रहे हैं, मेरे ब्याक्तिगत अनुभव से ज्यादातर लोगों का लोगों का यही रवैहा यही है,

लेकिन  हमें बात को कुछ गहराही से सोचना होगा की आज हम जो उनके साथ कर रहे हैं कल हम भी उसी जगह हम होंगे  और हमारे साथ उससे भी भूरा हो सकता है, इसलिए अपने माँ बाप से कभी भी  इस तरह का बर्ताव न करें और उनको भगवान् से भी ज्यादा प्यार दें  और  उनकी पूजा करें,  इसके ऊपर मैं एक लाइन लिखना चाहता हूँ.

" ज्युन्दा जगदा पुछदा भी नि, द्य्बता रूप माँ क्या मैनैला
आज पानी  भी नि छिड़की भोल तों हरिद्वार नालैला "

--- End quote ---


BADHAI HO SHARMAJI OR MEHTAJI KI JAI HO

आनन्द बल्लभ शर्मा:
Good Work,
I have also registered with this service.
Hoping that I will receive some good updates from there.

Regards,
आनन्द बल्लभ शर्मा

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