Author Topic: BIRTH DAY WISHES - फोरम के सदस्यों को जन्म दिन की शुभकामनायें  (Read 419338 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Happy Birthday Naveen Joshi Ji..

Jiyo mahraj.. hazaro sal.

विनोद सिंह गढ़िया

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श्री नवीन जोशी जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ।

Devbhoomi,Uttarakhand

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Joshi ji ko Unke Janm din ki dheron Badhiyaan

Devbhoomi,Uttarakhand

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Himanshu Budakoti ji ko Unke Janm din Ki dheron Badhaaiyaan

Mahi Mehta

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HAPPY BIRTHDAY TO MS MEHTA JI
« Reply #55 on: December 20, 2011, 03:20:47 AM »

Hello M S Mehta JI

Many-2 happy returns of the Day !

विनोद सिंह गढ़िया

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श्री एम.एस.मेहता जी को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएँ।

जी रया-जागी रया, य दिन-य मास भ्यटनै रया॥
तुमर दुबक जस जड़, पातिक जस पौव है जौ  ॥

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Thanks a lot Gariya Ji...

श्री एम.एस.मेहता जी को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएँ।

जी रया-जागी रया, य दिन-य मास भ्यटनै रया॥
तुमर दुबक जस जड़, पातिक जस पौव है जौ  ॥


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Sunder Singh Negi/कुमाऊंनी

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जन्मदिन मुबारक हो मेहता जी.

आप की अभिलाषा को सलाम.

परंमपरा हमारी जीवन शैली की अभिन्न पहचान है,जो परंमपरा पिछे से चली आ रही है उसे आघे तक ले जाना और फिर उसे और आघे ले जाना यह परंमपराऐ इंसान से ही सुरू होती है और इनसानियत पर खत्म होती है। मतलब साफ है अगर इंसान मे इनसानियत बरकरार है तो समझो अभी  परमपराऐ भी जीवित है, अगर इंसान मे इनसानियत नही रही यानी इंसान बदल गया तो समझो कि परमपरा भी बदल गई है, श्री राम चंद्र जी ने भाई लक्षमण से यही कहा था कि मुह का मिठा लंगुठी का यार कभी नही बदलता, इसका साफ संदेश यही है कि आज हम मुह के मिठे और लंगुठीया यार नही रहे। यानी आज हमारे बोलने मे भले ही मिठास हो मगर वह निहःस्वार्थ मिठास नही ब्लकि स्वार्थ के लिए बोली गई मिठास है, जो मतलब निकल जाने  के बाद कड़वी लगने लगती है, ठिक इसी तरहै हम परमपराओ के साथ भी कर रहे है यानी हम अपने नीजी स्वार्थ के लिए अपनी परमपराओ को भी बदल देते है जो कि हमारी पहचान होती है। अब बात बची लंगुठिया यार कि तो आज हम लंगुठिया यार भी स्वार्थ के लिए ही बनते है, कहने का मतलब है कि वही तक किसी के साथ चलते  है जहा तक अपना काम बन जाय, और जब काम बन जाये तो लंगुठी छोड देते है.
तो दोस्तो विश्वास जगाओ इसे बुझाओ मत,वरना विश्वासघात ही हमारी जीवन शैली बन जायेगी।
 
सुन्दर सिंह नेगी 10/05/2010.

 

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