मसूरी, जागरण कार्यालय: उत्तराखंड आंदोलन के इतिहास में मसूरी गोलीकांड का अध्याय राजेंद्र शाह के जिक्र के बिना अधूरा रह जाता है। इस कांड में उन्होंने जनप्रतिनिधि रहते हुए जिस तरह बहादुर सिपाही की भूमिका निभाई, वह आज भी यहां के लोगों के मन-मस्तिष्क में ताजा है। खासकर वह घटना, जब सेंट मेरी अस्पताल में आंदोलनकारियों के शव रखे हुए थे और उन्होंने अधिकारियों को कहा था कि उनमें हिम्मत है तो मेरे सीने में गोली मारकर दिखाओ। इससे वहां का वातावरण भावुक और तनावयुक्त हो गया था। ऐसे सच्चे और साहसी आंदोलनकारी के असामयिक निधन से पर्यटन नगरी ामगीन है। खटीमा कांड के विरोध में 2 सितंबर, 1994 जुलूस निकाल रहे आंदोलनकारियों पर पुलिस और पीएसी ने मसूरी में गोलियां चला दी थीं। इसमें एक पुलिस अधिकारियों समेत सात लोगों की मौत हो गई थी। इस कांड से तत्कालीन विधायक राजेंद्र सिंह शाह अत्यंत क्षुब्ध हो गए थे। उन्होंने इसके खिलाफ उत्तर प्रदेश विधानसभा से इस्तीफा देने दे दी थी। वे तत्कालीन डीएम राकेश बहादुर व एडीएम तनवर जफर अली पर खूब बिफरे। सेंट मेरी में आंदोलनकारियों के शव रखे हुए थे। उस वक्त राजेंद्र शाह भावुक हो गए। वे अफसरों पर बिफर पड़े। उन्होंने ललकारा कि अगर उनमें हिम्मत है तो वे उन पर गोली मारें। यह सुनकर डीएम व पुलिस के अधिकारी सन्न रह गए। इस घटना के तत्काल बाद राजेंद्र शाह पर रासुका लगा दी गई। राजेंद्र शाह के निधन पर मसूरी के लोग गमजदा हैं। विभिन्न राजनीतिक दलों व संगठनों ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। विधायक जोत सिंह गुनसोला, उरत्ताखंड आंदोलनकारी मंच के अध्यक्ष देवी गोदियाल, महिला आंदोलनकारी सुभाषिनी बत्र्वाल ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखंड आंदोलन में राजेंद्र शाह ने सच्चे सिपाही की भूमिका निभाई थी। टैक्सी एसोसिएशन के अध्यक्ष व राज्य आंदोलनकारी हुकम सिंह रावत, डा. हरिमोहन गोयल, भाजपा नेता अमीचंद मंगला, मदनमोहन शर्मा, राधेश्याम तायल, अनीता सक्सेना आदि ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।