Hi,Pratap Dhami from pithoragarh. Currently working in Chicago, US....really missing my PAHAAD… everything related to my village…. my pahaad…Take care guys…Pratap S. Dhami
dhanyaad dosto.... hum log kahi bhi rahe per apne pahaad ko nahi bhool sakte.. ..im sure one day we will do something for our matrabhoomi........ Pratap S. Dhami
बंटी जी स्वागत के साथ साथ धन्यवाद छ आपुल गढ़वाल और कुमाऊ सवाल पर विचार दी /यक बारे में मै ले द्वि शब्द लेखन चाहू / गलती हैलित माफ़ कर दिया / सबू पैली हमुकै य सत्य कै स्वीकार कारन छा की हम कुमाउक छू और उ गढ़वाल क छे या हम गढ़वाल छन उ कुमाई छन, य सत्य कणी कोई लै स्वीकार नि कारन / जब हम लोग उत्तराखंड की बात करेगे तो निश्चित ही गढ़वाल कुमाउ की बात आएगी / जब बात भारत की होगी तो उत्तराखंड की बात आएगी, और जब विश्व की बात होगी तो भारत की बात आएगी / क्योकि हमारा दायरा चाहे विचारो का हो या काम का जितना बड़ा होगा छेत्र का दायरा भी उतना होगा/ गढ़वाल कुमाउ के बारे में एक गलती हम सभी की हो सकती है वह है बोलने का लहजा जैसे ये गढ़वाली छे या ये कुमैया छन इस तरह मुझे लगता है हम टोंटिंग करते है / अच्छा होता हम ये गढ़वाली की जगह ये गढ़वाल, ये कुमैया की जगह ये कुमाऊ का प्रयोग करते /मैंने जहा तक (मेरा निजी) अनुभव किया है घर-घर में इस पर चर्चा होती है / किंतु समाधान कुछ नही है यह एक विचारणीय विषय तो है इस पर विचार विमर्श किया जा सकता है / समाधान की ओर बढ़ा जा सकता है पहल जब तक हम ख़ुद अपने आप से शुरू नही करेगे तब तक घर- घर से राजनैतिक गलियारों तक यह खाई घटेगी नही /khim