Author Topic: Religious Chants & Facts -धार्मिक तथ्य एव मंत्र आदि  (Read 44635 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
 तृतीयं चन्द्रघंटेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।
 पंचमं स्क्न्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च ।
 सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।
 नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः ।।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
 

या देवी सर्वभूतेषु

या देवी सर्वभुतेषू विष्णु मायेती शब्दिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

या देवी सर्वभुतेषु चेतनेत्यभिधियते
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

या देवी सर्वभुतेषु बुद्धिरुपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

या देवी सर्वभुतेषु निद्रारुपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

या देवी सर्वभुतेषु क्षुधारुपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
From  -  Bal Krishan Dhayani.

श्री हनुमान मंत्र (जंजीरा)

ॐ हनुमान पहलवान पहलवान, बरस बारह का जबान,
हाथ में लड्‍डू मुख में पान, खेल खेल गढ़ लंका के चौगान,
अंजनी‍ का पूत, राम का दूत, छिन में कीलौ


नौ खंड का भू‍त, जाग जाग हड़मान
हुँकाला, ताती लोहा लंकाला, शीश जटा
डग डेरू उमर गाजे, वज्र की कोठड़ी ब्रज का ताला
आगे अर्जुन पीछे भीम, चोर नार चंपे
ने सींण, अजरा झरे भरया भरे, ई घट पिंड
की रक्षा राजा रामचंद्र जी लक्ष्मण कुँवर हड़मान करें।

मनुष्य शारीरिक, मानसिक और बाहरी (भू‍त-प्रेत) नजर इत्यादि बीमारियों से परेशान रहता है। शारीरिक बीमारी के लिए डॉक्टर या वैद्य के पास जाकर मनुष्य ठ‍ीक हो जाता है। मानसिक बीमारी का सरलत‍म उपाय हो जाता है। परंतु मनुष्य जब भूत-प्रेत अथवा नजर, हाय या किसी दुष्ट आत्मा के जाल में फँस जाता है तब वह परेशान हो जाता है।

इसके ‍इलाज के लिए स्वयं एवं परिवार वाले हर जगह जाते हैं- जैसे तांत्रिक, मांत्रिक, जानकार के पास। परंतु मरीज ठीक नहीं होता है। मरीज की हालत बिगड़ने लगती है। ऐसा प्रतीत होता है कि मरीज शारीरिक एवं मानसिक दोनों ब‍ीमारी से ग्रस्त है।

इस मंत्र की प्रतिदिन एक माला जप करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है। हनुमान मंदिर में जाकर साधक अगरबत्ती जलाएँ। इक्कीसवें दिन उसी मंदिर में एक नारियल व लाल कपड़े की एक ध्वजा चढ़ाएँ। जप के बीच होने वाले अलौकिक चमत्कारों का अनुभव करके घबराना नहीं चाहिए। यह मंत्र भूत-प्रेत, डाकिनी-शाकिनी, नजर, टपकार व शरीर की रक्षा के लिए अत्यंत सफल है।


ऐसे में पवन पुत्र हनुमान जी की आराधना करें। मरीज अवश्‍य ही ठीक हो जाएगा। यहाँ पर हम आपको श्री हनुमान मंत्र (जंजीरा) दे रहे हैं। जो कि इक्कीस दिन में सिद्ध हो जाता है। इसे सिद्ध करके दूसरों की सहायता करें और उनकी प्रेत-डाकिनी, नजर आदि सब ठीक करें।
हर बाधा का निवारण करें हनुमान मंत्र


उपद्रव शांत करने का मंत्र

ॐ ह्रीं श्रीं चक्रेश्वरी, चक्रवारुणी,
चक्रधारिणी, चक्रवे गेन मम उपद्रवं
हन-हन शांति कुरु-कुरु स्वाहा।

उपद्रव शांत करने के लिए चक्रेश्वरी देवी की आराधना करें। नीचे दिए गए मंत्र का 21 दिन तक 10 माला प्रतिदिन फेरें। 21 दिन के बाद प्रतिदिन एक माला फेरें। यह मंत्र अत्यंत लाभप्रद है। इसके करने से किसी भी प्रकार का उपद्रव होगा, वह शां‍त हो जाएगा।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
पवन मंद सुगंध शीतल हेम मंदिर शोभितम |
निकट गंगा बहत निर्मल श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम |
शेष सुमिरन करत निशदिन धरत ध्यान महेश्वरम |
शक्ति गौरी गणेश शारद नारद मुनि उच्चारणम |
जोग ध्यान अपार लीला श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम |
इंद्र चंद्र कुबेर धुनि कर धूप दीप प्रकाशितम |
सिद्ध मुनिजन करत जै जै बद्रीनाथ विश्व्म्भरम |
यक्ष किन्नर करत कौतुक ज्ञान गंधर्व प्रकाशितम |
श्री लक्ष्मी कमला चंवरडोल श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम |
कैलाश में एक देव निंरजन शैल शिखर महेश्वरम |
राजयुधिष्ठिर करतस्तुति श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम |
श्री बद्री जी के पंच रत्न पढ्त पाप विनाशनम |
कोटि तीर्थ भवेत पुण्य प्राप्यते फलदायकम |


जय बद्री विशाल

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
ओ....ओम
प्रभात को पर्व जाग, गौ-सरूप पृथ्वी जाग, धरम सरूपी अगास जाग
उदंकारी कांठा जाग, भानुपंखी गरुड़ जाग, सप्तलोक जाग, इन्द्रलोक जाग, मेघलोक जाग

तारालोक जाग सूर्यलोक जाग, चन्द्रलोक जाग,
ब्रह्मा का वेद जाग, गौरी का गणेश जाग, हरो भरो संसार जाग, जीव जाग, जीवन जाग !

सेष -समुद्र जाग, खारी समुद्र जाग, दूधी समुद्र जाग, खेराणी समुद्र जाग,
घोर समुद्र जाग, अघोर समुद्र जाग, प्रचंड समुद्र जाग, सेतुबंद रामेश्वर जाग

हे हिंयुं हिंवाल्युं जाग, पाणी प्यालूं जाग, बाला बैजनाथ जाग, धौली देवप्रयाग जाग
हरी को हरिद्वार जाग, काशी विश्वनाथ जाग, बूढ़ा केदार जाग, भोला सम्भुनाथ जाग
काली कुमों जाग, चोपड़ा चौथान जाग, खटिंग को लिंग जाग, सोवंन की गद्दी जाग

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
क्रोध से बुद्धि नाश होती है .....!

क्रोधाद्भुवति सम्मोहः सम्मोहात्स्मृतिविभ्रमः ।
स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति ॥

भावार्थ : क्रोधसे अत्यन्त मूढ़ भाव उत्पन्न हो जाता है, मूढ़ भावसे स्मृतिमें भ्रम हो जाता है, स्मृतिमें भ्रम हो जानेसे बुद्धि अर्थात ज्ञानशक्तिका नाश हो जाता है और बुद्धिका नाश हो जानेसे यह पुरुष अपनी स्थितिसे गिर जाता है॥

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
यं ब्रह्मा वरुणेन्द्ररुद्रमरुत: स्तुन्वन्ति दिव्यै: स्तवै-
र्वेदै: साङ्गपदक्रमोपनिषदैर्गायन्ति यं सामगा:।
ध्यानावस्थिततद्गतेन मनसा पश्यन्ति यं योगिनो-
यस्तानं न विदु: सुरासुरगणा देवाय तस्मै नम:।।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
हरि ओम तत्सत्
श्रीकृष्णाय् नमो।
वासुदेव सर्वम्
हरि हर महादेव,
जय माॅ भगवती जगत जननी ...

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता !
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: _/\_
नमस्कार..आप सभी मित्रो का आज का दिन भी अत्यंत प्रभावशाली हो!:)
नवरात्र की आज षष्टी तिथि हैं..मां दुर्गा के छठे स्वरूप को कात्यायनी कहते हैं। आज माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्होंने उनके यहां पुत्री रूप में जन्म लिया था,इसीलिए वे कात्यायिनी कहलाती है ..माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यन्त दिव्य और स्वर्ण के समान चमकीला है l यह अपनी प्रिय सवारी सिंह पर विराजमान रहती हैं l इनकी चार भुजायें भक्तों को वरदान देती हैं,माँ कात्यायनी अमोध फलदायी हैं.विवाह में बाधा उत्पन्न या सुयोग्य वार /कन्या हेतु इन्ही देवी की पूजा की जाती हैं..भगवान कृष्ण को पति रूप पाने के लिए गोपिया इन्ही देवी की पूजा कालिंदी तट की थी!महिषासुर का बध..शुम्भ-निशुम्भ से मुक्ति भी दिलाई थी..
कात्यायनौमुख पातुकां कां स्वाहास्वरूपणी।
ललाटेविजया पातुपातुमालिनी नित्यसुंदरी॥
कल्याणी हृदयंपातुजया भगमालिनी॥

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता!
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:!!
हे माँ! सर्वत्र विराजमान और कालरात्रि के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ| हे माँ, मुझे पाप से मुक्ति प्रदान करें..!!

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22