By प्रयाग पाण्डे
ऊँ नंदा भगवता नाम या भविष्यति नंद्जा |
स्तुता सा पूजिता भक्त्या वशीकुर्याज्जगत्त्र्यम ||
हिमायल पर्वत अनन्तकाल से शिव और पार्वती जी के निवास स्थान माने गए हैं | पार्वती जी को हिमालय पुत्री कहा गया है |गिरिजा ,गिरिराज किशोरी , शेलेश्वरी और नंदा आदि पार्वती जी के ही नाम बताए गए हैं |हिमालय के अनेक शिखरों के नाम नंदा से ही हैं |जिनमें - नंदादेवी , नंदा भनार ,नंदा खानी ,नंदा कोट और नंदा घुघटी आदि प्रमुख है |प्राचीन पौराणिक ग्रन्थों में नंदा देवी को हिमान्द्री, मेरु ,सुमेरु आदि नाम से सम्बोधित किया गया है | आधुनिक पौराणिक ग्रन्थों - मानसखंड और केदारखंड में इसे नंदा देवी के नाम से पुकारा गया है |
मानसखंड में नंदा पर्वत को नंदा देवी का निवास स्थान बताया गया है |हिमालय की सबसे ऊँची चोटी को नंदा , गौरी और पार्वती का रूप माना जाता है |नंदा को शक्ति रूप माना गया है | शक्ति की पूजा नंदा ,उमा ,अम्बिका ,काली ,चंडिका ,चंडी ,दुर्गा ,गौरी ,पार्वती ,ज्वाला ,हेमवती ,जयंती ,मंगला ,काली और भद्रकाली के नाम से भी होती है |
नंदा देवी के प्रति पहाड़ वासियों में एक भावनात्मक आत्मीयता है | नंदा देवी सम्पूर्ण उत्तराखंड में प्रतिष्ठित और पूज्य हैं |नंदा देवी हिमालयी समाज के पर्यावरण प्रेमी संस्कृति का मूलाधार हैं |यह भगवान शिव जी की पत्नी पार्वती हैं | जीवनदायी जल देने वाली हिमालय की पुत्री हैं |उत्तराखंड के राजवंशों की कुलदेवी हैं |पहाड़ के लोगों को अदम्य साहस ,सरक्षण ,विजय और धन -धान्य प्रदान करने वाली शक्तिरूपा हैं |उत्तराखंड की सामाजिक और सांस्कृतिक एकता की प्रतीक हैं |
पश्चिमाभिमुख:साक्षात् हिमान्द्री कथ्यते बुधे:
तस्य दक्षिण भागे वै नाम्नां नन्द गिरी स्मृत:
यत्र नंदा महादेवी पूज्यते त्रिद्शे ऋषि ||