त्यर पहाड़ म्यर पहाड़ |
त्यर पहाड़ म्यर पहाड़, रौय दुखो को ड्योर
पहाड़ ||
बुजुर्गो ले जोड़ पहाड़, राजनीति ले तोड़
पहाड़ |
ठेकदारों ले फोड़ पहाड़, नान्तिनो ले छोड़
पहाड़ ||
ग्वाव नै गुसैं घेर नै बाड़ |
त्यर पहाड़ म्यर पहाड़ ||
सब न्हाई गयी शहरों में, ठुला छ्वटा नगरो में
पेट पावण क चक्करों में, किराय
दीनी कमरों में |
बांज कुड़ों में जम गो झाड़,
त्यर पहाड़ म्यर पहाड़ ||
क्येकी तरक्की क्येक विकास |
हर आँखों में आंसा आंस ||
जे. ई. कै जा बेर पास,
ऐ. ई. मारू पैसो गाज |
अटैचियों में भर पहाड़,
त्यर पहाड़ म्यर पहाड़ ||
--- हीरा सिंह राणA very meaningful poem by Heera Singh Rana Ji