Author Topic: Today's Thought - पहाड़ के मुहावरों/कथाओं एवं लोक गीतों पर आधारित: आज का विचार  (Read 42384 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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दोस्तो,

हमारे संस्कृति मे, लोक कथाओ और लोक गीतों मे कई एसे तथ्य है जिनमे से हम कुछ तथ्यों यहाँ पर " आज के विचार" के रूप व्यक्त करेंगे ! जिससे की हमारी संस्कृति को और बढावा मिल सकता है !

आशा है आप एसे तथ्यों को यहाँ पर  आज के विचार" के रूप व्यक्त करेंगे

एम् एस मेहता

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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इस लाइन देखए "

" दुःख दुःख झान कए
"दुःख छो दुनिया क "

इसका तात्पर्य है... 

हर इन्सान इस दुनिया मे दुखी है.. कई बार इन्सान भावनाओ मे बहकर अपना ही दुःख जयादा समझाता है.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Hope. .our members would put some kinds of similar thought here.


इस लाइन देखए "

" दुःख दुःख झान कए
"दुःख छो दुनिया क "[/b]

इसका तात्पर्य है... 

हर इन्सान इस दुनिया मे दुखी है.. कई बार इन्सान भावनाओ मे बहकर अपना ही दुःख जयादा समझाता है.


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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आज विचार ... . गोस्वामी जी का यह गाने की लाइन

 यो मेरो भारत ताज
मेरो कुमाओं गड़वाल
येकी माया नियारी रे ...

हेम पन्त

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बहुत सुन्दर


आज विचार ... . गोस्वामी जी का यह गाने की लाइन

 यो मेरो भारत ताज
मेरो कुमाओं गड़वाल
येकी माया नियारी रे ...


Meena Pandey

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Risky Pathak

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umeshjoshi

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पंकज सिंह महर

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एक लाइन है, जो बरबस याद दिला देती है, पहाड़ की और वहां न रह पाने की मजबूरी की-

छण-छ्ण आंसू आयीं, मुलुक याद मां,
रंगीलो पहाड़ छूटोऽऽऽऽ सुवा, द्वी रोटी कारणे।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Ati sundar mahar ji.

एक लाइन है, जो बरबस याद दिला देती है, पहाड़ की और वहां न रह पाने की मजबूरी की-

छण-छ्ण आंसू आयीं, मुलुक याद मां,
रंगीलो पहाड़ छूटोऽऽऽऽ सुवा, द्वी रोटी कारणे।


 

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