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Government Jobs In Uttarakhand - सरकारी नौकरी

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
THDC India Limited Recruitment 2017 – 48 Junior Engineer Trainee Vacancies – Last Date 30 January

THDC Recruitment 2017

THDC India Limited invites application for the post of 48 Junior Engineer Trainee in Civil, Mechanical & Electrical Discipline. Apply Online before 30 January 2017.

Advt No. : 04/2016

Job Details :

Post Name : Junior Engineer Trainee
No. of Vacancy : 48 Posts
Pay Scale : Rs.16000-35500/-
Discipline wise Vacancies :

Civil : 26 Posts
Mechanical : 11 Posts
Electrical : 11 Posts
Eligibility Criteria for THDC Recruitment :   

Educational Qualification : 3 Yrs Full Time Regular Diploma in relevant branch of Engineering recognized by respective State Board of Technical Education/ Examination and/ or State Departments/Directorates of Technical Education and All India Council of Technical Education (AICTE) with minimum 65% marks for General/OBC(NCL) candidates and pass marks for SC/ST/PwD/ candidates.
Nationality : Indian
Age Limit : As on 01.01.2017

For UR : 27 years
For OBC (NCL) : 30 years
For SC/ST : 32 years
Job Location : Uttarakhand

Selection Process : Selection will be based on Written Test.

Application Fee : Candidates belonging to Unreserved and OBC -NCL have to pay Rs. 300/- through Internet banking/Debit Card (Visa or Master)/ Credit Card (Visa or Master). SC /ST/PwD/ Ex-SM candidates are exempted from payment of fee.

How to Apply THDC Vacancy : Interested Candidate may apply Online through the website http:/www.thdc.gov.in from 17.12.2016 to 30.01.2017 and candidates may also send hard copy of Online Application along with self- attested documents by ordinary post/ speed post/Registered Post to The Manager (Recruitment), THDC India Limited, Pragatipuram, Bye Pass Road, Rishikesh-249201, Uttarakhand on or before 13.02.2017.

Important Dates to Remember :

Starting Date for Submission of Online Application form : 17.12.2016
Last Date for Submission of Online Application form : 30.01.2017
Last Date for Submission of Hard Copy of Online Application : 13.02.2017
Last Date for Submission of Payment of Application fee : 02.02.2017
Important Links :

Detail Advertisement Link : http://thdc.gov.in/writereaddata/english/pdf/Advtfor_JEs2016.pdf
Apply Online : https://psu.shine.com/company/thdc-india-ltd/

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
कुमाऊं रेजीमेंट केंद्र की यूनिट हेडक्वाटर कोटा भर्ती रैली 11 मई को होनी है। तीन दिवसीय इस आयोजन में सैन्य जीडी और ट्रेडमैन पदों के लिए भर्ती होगी। भर्ती रानीखेत स्थित सोमनाथ मैदान में शुरू होगी। भर्ती के इच्छुक अभ्यर्थियों में सैन्य जीडी के लिए उम्र सीमा साढ़े 17 से 21 वर्ष तय की गई है। जबकि ट्रेडमैन के लिए अधिकतम उम्र सीमा 23 वर्ष रखी गई है। लंबाई कम से कम 166 CM और वजन 48 KG होना ही चाहिए। सैन्य जीडी के लिए शै‌क्षणिक योग्यता कम से कम 10 वीं पास और ट्रेडमैन के लिए आठवीं पास होना जरूरी है। आगे, जानिए कुछ और खास बातें। सलेक्‍शन प्रक्रिया इस तरह से होगी। पहले शारिरिक दक्षता, शैक्षणिक और सर्टिफिकेट जांच, मेडिकल टेस्ट और आखिर में लिखित परीक्षा।  कुमाऊं रेजीमेंट केंद्र के जीएसओ-1 प्रशिक्षण कार्यालय से जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि 11 मई को उत्तराखंड राज्य के युवाओं की सैनिक जीडी (कुमाऊंनी, गोरखा) पद के लिए भर्ती होगी। कुमाऊं रेजीमेंट केंद्र के जीएसओ-1 प्रशिक्षण कार्यालय से जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि 11 मई को उत्तराखंड राज्य के युवाओं की सैनिक जीडी (कुमाऊंनी, गोरखा) पद के लिए भर्ती होगी। 12 मई को उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर पूर्वी राज्यों के सैन्य आश्रित युवा सैनिक जीडी ( अहीर, राजपूत, गोरखा, नागा) पद के लिए किस्मत आजमाएंगे। 12 मई को ही सैनिक जीडी (स्पोर्ट्समैन) पदों के लिए भी भर्ती होगी। जिसमें सभी राज्यों के युवा भाग ले सकेंगे।

राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर अव्वल खिलाड़ी भी शिरकत कर सकते हैं। 13 मई को सैनिक ट्रेडमैन पदों के लिए युवक दौड़ लगाएंगे। ट्रेडमैन पदों के लिए सभी राज्यों के युवक भाग ले सकते हैं। अधिकारियों ने भर्ती के लिए आने वाले युवाओं से दलालों से दूर रहने और किसी भी अंजान व्यक्ति को प्रपत्र न देने की हिदायत दी है, साथ ही आश्वासन दिया है कि भर्ती प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ होगी।
Source - http://www.amarujala.com/photo-gallery/dehradun/indian-army-recruitment-in-ranikhet-on-11-th-may?pageId=5

Bhishma Kukreti:
Preparation for IAS Exam, UPSC exams
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१- मुम्बई में उत्तराखंडियों में IAS  अन्य प्रतियोगी परीक्षा में न बैठना एक सामाजिक कमी है इसे गढ़वाल भ्रातृ मण्डल जैसी सामजिक संस्था द्वारा दूर करना चाहिए
२- पुरानी व मूर्धन्य सामाजिक संस्था होने के नाते गढ़वाल भ्रातृ मण्डल को नेतृत्व प्रदान करना ही चाहिए
३- उत्तराखंडी युवा नौकरी पसन्द करते हैं तो सबसे अच्छी नौकरी के लिए युवाओं को प्रयत्न करना ही श्रेयकर है
             उद्देश्य
मुम्बई में उत्तराखण्डियों के मध्य युवाओं को IAS , IPS , IFS , IRS जैसी प्रतियोगी परीक्षा में बैठने हेतु प्रेरित करना व उनके लिए परीक्षा में बैठने हेतु साधन जुटाना

कृपया अपनी राय दीजिये , आपकी राय की प्रतीक्षा में !
Best Reasons for becoming  IAS, IPS, IFS, IRS 
Toughest Exam
Power
Money
Parents Dream
               मुख्य कार्य
१- उत्तराखण्डी माता -पिताओं को प्रेरित करना
२- युवाओं में IAS , IPS , IFS , IRS जैसी प्रतियोगी परीक्षा में बैठने हेतु प्रेरणा देना
   कार्यशैली 
१- संस्था के सभी सदस्यों तक उद्देश्य पंहुचाना
२- कम से कम बीस संस्थाओं से लिखित व व्यक्तिगत तौर पर सम्पर्क साधकर सामाजिक कार्यकर्ताओं को इस दिशा में कार्यरत करना
         कार्यरीति 
१- गढ़वाल भ्रातृ मण्डल के सभी क्रियाशील कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाना व उन्हें उद्देश्य समझाना
२- सभी सामाजिक संस्थाओं के कार्यकरणी के सदस्यों की बैठक बुलाकर उन्हें उद्देश्य में शामिल होने का न्योता देना
३- मुम्बई में १० -१५ जगहों में माता पिताओं की बैठक बुलाना
४- मुम्बई में १० -१५ जगहों में युवाओं  की बैठक बुलाना
५- IAS परीक्षा पास करने हेतु बुलेटिन छापकर बांटना
 ६-विशेषज्ञों द्वारा युवाओं गाइड करवाना
(संस्था के अध्यक्ष श्री भगत सिंह बिष्ट व महामंत्री श्री रमण मोहन कुकरेती से बातचीत के आधार  पर )
आपके सुझाव आमन्त्रित हैं 

AS बनने के लिए योग्यता नही योग्य बनने की  क्षमता महत्वपूर्ण है
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( गढवाल भ्रातृ मंडल , मुंबई (रजिस्टर्ड ) की पहल –हर उत्तराखंडी IAS बन सकता है )

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IAS/IRS/IFS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला -2

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 IAS बनने के लिए अभ्यार्थी की योग्यता से अधिक महत्वपूर्ण IAS बनने के लिए योग्यता अख्तियार करना अधिक आवश्यक है।

IAS बनने के लिए तन , मन , बौद्धिक  और अहम् सभी अंगों की सहायता से सांगोपांग तैयारी आवश्यक है।

IAS बनने के लिए आधारभूत योग्यता में नियमित रूप से निखार लाना आवश्यक होता है।

IAS बनने के लिए प्रश्नों के सटीक उत्तर लिखना अति आवश्यक है और सटीक उत्तर लिखने हेतु आदत बनाना आवश्यक है।  सटीक उत्तर की आदत हेतु हर पहलुओं में नियमित व वैज्ञानिक ढंग से तयारी आवश्यक है।

IAS  परीक्षा में बैठने वालों में सफलता का प्रतिशत केवल ०० . 2 प्रतिशत से कम होता है और कारण है की सफल अभ्यार्थी नियमित रूप से , वैज्ञानिक ढंग से तैयारी करते हैं।

 IAS बनने के लिए परीक्ष पत्र हल करने हेतु नियमित अभ्यास अति आवश्यक है।

IAS के लिए ध्यान केन्द्रीयकरण आवश्यक होता है।

IAS बनने के लिए तयारी ही आवश्यक नही होती है बल्कि नियमित तैयारी आवश्यक है।

IAS बनने के लिए परीक्षा पत्र देने हेतु तैयारी के लिए अपने को अनुकूल करना पड़ता है और सलाहकारों की सलाह को गम्भीरतापूर्वक लेना आवश्यक है।



दृढ मानसिकता।/दृढ संकल्प से ही IAS बना जा सकता है
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( गढवाल भ्रातृ मंडल , मुंबई (रजिस्टर्ड ) की पहल –हर उत्तराखंडी IAS बन सकता है )

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IAS/IRS/IFS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला -3

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गढ़वाल भ्रातृ मण्डल हेतु प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती
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जी हाँ IAS बनने के लिए महत्वाकांक्षा , सपने , दिवास्वप्न पहली सीढ़ी है
किन्तु IAS बनने की महत्वाकांक्षा या स्वप्न पूरा करने के लिए दृढ संकल्प या ठोस मानसिकता अत्यंत व पहली शर्त है।
मानसिक दृढ़ता के बगैर IAS परीक्षाओं की तैयारी नही हो सकती है
शुरू शुरू में एक हफ्ते तक अपनी महत्वाकांक्षा "मुझे IAS बनना है ' को हर 48 मिनट बाद दोहराएं।
यदि IAS आकांक्षी  मजबूत मानसिकता का नही है तो अभ्यार्थी तैयारी के लिए कई बहाने ढूंढने लगता है और क्रमबद्ध तैयारी व पूर्ण तैयारी नही कर सकता है।
यदि IAS आकांक्षी  मानसिक रूप से मजबूत नही है तो  वह क्रमबद्ध व आवश्यक तैयारियों में गफलत कर सकता है।
मानसिक दृढ़ता से IAS महत्वाकांक्षी  अपने आप सकारात्मक विचारक बनने लगता है तैयारियों के लिए सही रास्ते पर चलने लगता है।
IAS आकांक्षी  के मजबूत मानसिकता होने से आकांक्षी के दिमाग में हर समय IAS बनने की तम्मना बनी रहती है
मानसिक रूप से कमजोर IAS आकांक्षी तैयारी से ऊबने /बोर होने लगता है किन्तु दृढ मानसिकता होते IAS आकांक्षी तैयारियों से ना तो ऊबता है और ना ही तैयारी वक्त सोता है
दृढ मानसिकता के चलते आकांक्षी की स्मरण शक्ति में स्वतः वृद्धि होती चली जाती है।
दृढ मानसिकता समयबद्धता की कदर करती है।
दृढ मानसिकता सक्रियता जगाती है।
दृढ़ मानसिकता नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करती है। व सकारात्मक ऊर्जा लाती है।

IAS अधिकारी बनने हेतु कुछ आधारभूत  आवश्यकताएं
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( गढवाल भ्रातृ मंडल , मुंबई  की पहल –हर उत्तराखंडी IAS बन सकता है )

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IAS/IRS/IFS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला -4

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गढ़वाल भ्रातृ मण्डल हेतु प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती
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 IAS अधिकारी बनने के लिए महत्वपूर्ण तैयारियां करनी पड़ती हैं और इसके ले कुछ मूलभूत आवश्यकताएं होती है

                              आंतरिक आवश्यकता याने दृढ़ आकांक्षा
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  IAS बनने की तीन प्रकार की आकांक्षाएं होती हैं - फैशनेबल आकांक्षा याने दुनिया को देखकर इच्छा पालना , किसी के बोलने से आकांक्षा पालना और तीसरी तरह की महत्वाकांक्षा जो आंतरिक इच्छा होती है इस प्रकार की महत्वाकांक्षा में उद्देश्य में मानसिकता में  जीवन मरण का प्रश्न जैसा बन जाता है।
 IAS अधिकारी बनने की इच्छा दृढ़ संकल्प में तब्दील हकार आंतरिक आवश्यकता बहन जानी चाहिए। IAS बनने की इच्छा जब तक जीवन -मरण की इच्छा ना बन जाए तब तक इसे आंतरिक आवश्यकता नही कह सकते हैं। हर IAS आकांक्षार्थी को इच्छा को मानसिक आवश्यकता बनाना आवश्यक है 
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                        पढ़ने में रूचि

 IAS व तत्संबंधी विषयों को पढ़ने में विशेष रूचि आवश्यक है।  टाल बराई के नाम पर पढ़ने से IAS नही बना जा सकता है।  चार पांच घण्टी की पढाई को रूचि के साथ किया जाना आवश्यक है।  पढ़ाई याने जोगध्यान के साथ पढ़ने को पढ़ाई में रूचि कहते हैं।
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                             क्रमबद्ध पढ़ाई

 सभी विषयों की पढाई क्रमबद्ध तरीके से की जानी चाहिए और सभी विषयों में पारंगतता हासिल करना भी आवश्यक है।
परीक्षा आने के  रट्टा लगाने वाली शैली IAS की तैयारी में नही चलती है।
निरन्तर व क्रमबद्ध पढ़ाई ही IAS परीक्षा पास करने की मुख्य कुंजी है। 
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                               मानसिक क्षमता

    IAS की तैयारी में मानसिक क्षमता ही कारगर सिद्ध होती है याने
अ -जो पढा वः याद रहे और उस पढाई को दूसरों को समझाने की क्षमता
ब -जो भी पढा उस पर अपने विचार देने की क्षमता
स -याद रखने की क्षमता
द - समझाने की भाषा की क्षमता     
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             अन्य सहयोग
IAS की तैयारी में बाह्य सहयोग भी उतना आवश्यक है जितना आंतरिक दृढ़ इच्छा शक्ति -
क -परिवार , रिस्तेदारों का सभी तरह का समर्थन व सहयोग   
ख - यदि नौकरी है तो बॉस व सहयोगियों का समर्थन व सहयोग
ग -अध्यापकों , सफल प्रत्याशियों का समर्थन व समय समय पर समर्थन , प्रोत्साहन व सहयोग (सलाह अनुभव बाँटने आदि में )
घ -सभी तरह के मित्रों      समर्थन , प्रोत्साहन व सहयोग जैसे डिस्कसन आदि  में 
इस तरह के सहयोग आपके तनाव दूर करने में भी सहयोगी सिद्ध होते हैं।


 IAS परीक्षाएं प्रतियोगी परीक्षाएं हैं

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( गढवाल भ्रातृ मंडल (स्थापना -1928 ) , मुंबई  की पहल –हर उत्तराखंडी IAS बन सकता है )

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IAS/IRS/IFS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला -5

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गढ़वाल भ्रातृ मण्डल हेतु प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती
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 आम परीक्षा के चरित्र और प्रतियोगी परीक्षा के चरित्र में जमीन आसमान का अंतर होता है।  दोनों परीक्षाओं में चारित्रिक अंतर के अतिरिक्त अन्य अंतर भी होते हैं।
प्रत्येक प्रतियोगी परीक्षा जैसे ० IAS परीक्षाओं व बैंक ऑफिसर परीक्षाओं के स्वरूप व चरित्र में विशेष अंतर होता है और दोनों सामान्य परीक्षाओं जैसे BA , MA , MSc की परीक्षाओं से भिन्न होती हैं।
 प्रतियोगी परीक्षा देने के लिए अभ्यार्थी को पद परीक्षा के चरित्र व स्वरूप अनुसार बदलना आवश्यक है।
सामान्य डिग्री की परीक्षाओं में पास होने की मुख्य शर्त होती है और बोर्ड या विश्वविद्यालय के लिए कितने परीक्षार्थी पास करने है की कोई शर्त नही होती हैं किन्तु IAS परीक्षा के रिजल्ट में कितने पद (पदों की संख्या ) चाहिए महत्वपूर्ण है।  याने यदि सरकार को 200  IAS चाहिए तो केवल 200 परीक्षार्थियों को ही IAS परीक्षा में पास किया जाएगा ना कि 201 परीक्षार्थी।
इसीलिए प्रतियोगी परीक्षाओं में हर परीक्षार्थी दूसरे परीक्षार्थी से प्रतियोगिता करता है। 
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               चुनावी चरित्र

आम परीक्षाओं में परीक्षार्थी का चुनाव नही किया जाता किन्तु प्रतियोगी परीक्षाओं (Competitive Exams ) में परीक्षार्थियों में से चुनाव किया जाता है कि कौन अब्बल है।  यही विशेष चरित्र आम परीक्षा व IAS परीक्षा को अलग क्र डालता है।
हर प्रतियोगी परीक्षा का सेलेक्सन पद्धति अलग अलग होती है अत: यह आवश्यक हो की परीक्षार्थी हर प्रतियोगी परीक्षा के चरित्र को समझे। 
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            मिले जुले विषय
सामान्य परीक्षाएं या राज्य स्तर की परीक्षाओं और IAS स्तर की परीक्षाओं में मुख्य अंतर एकल विषयी परीक्षा व बहुआयामी परीक्षा का अंतर है जिसे IAS आकांक्षी को समझना आवश्यक है और इसमें पढ़ने व समझने की पद्धति में बदलाव आवश्यक हो जता है।
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          अखिल भारतीय स्वरूप
आम परीक्षा या विश्वविद्यालयी परीक्षा में स्थानीयता महत्वपूर्ण होता है किन्तु  IAS परीक्षा का स्वरूप पूर्णतया अखिल भारतीय होता है जिसे समझना आवश्यक है। 
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                   प्रश्नों के उत्तर में अंतर
सामान्य परीक्षाओं में प्रश्न व उत्तर सपाट किस्म के होते हैं किन्तु IAS के प्रश्न कुछ विशेष तरह से पूछे जाते हैं जिन्हें समझना आवश्यक होता है  .
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IAS अभ्यार्थियों को IAS परीक्षा प्रश्नों के चरित्र को समझना आवश्यक है और इसके लिए पुराने प्रश्न पत्र का ज्ञान आवश्यक है और परीक्षार्थी को IAS परीक्षा चरित्र अनुसार आपने को ढालकर तयारी करनी आवश्यक है

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Objectives of UPSC Exams

   UPSC परीक्षाओं के उद्देश्य
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( गढवाल भ्रातृ मंडल (स्थापना -1928 ) , मुंबई  की पहल –हर उत्तराखंडी IAS बन सकता है )

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IAS/IRS/IFS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला -6

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गढ़वाल भ्रातृ मण्डल हेतु प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती
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 IAS बनने के लिए अभ्यार्थी को UPSC परीक्षाएं पास करनी होती हैं और UPSC परीक्षाओं के प्रश्नों का विशेष चरित्र होता है। UPSC परीक्षाओं का उद्देश्य होता है कि सरकार अभ्यार्थी को निम्न गुणों वाले अधिकारी मिल सकें यानेUPSC परीक्षायेन अभ्यार्थी में  निम्न गुणों की पूछताछ करतीं हैं -
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                             स्पष्ट विचार या मस्तिष्क की स्पष्टता

 UPSC परीक्षाओं के प्रश्न व उनके वैकल्पिक उत्तर इतने जटिल होते हैं कि यदि परीक्षार्थी का स्पष्ट विचार या ठोस सोच या मस्तिष्क की स्पस्टता न हो तो परीक्षार्थी सही उत्तर नही दे सकता। UPSC परीक्षाओं का पहला उद्देश्य है कि स्पस्ट मस्तिष्क वाले व्यक्तियों को खोज जाय ।   
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                                               गतिशील व सक्रिय मस्तिष्क

 प्रशासक को बड़े बड़े व शीघ्र निर्णय लेने पड़ते हैं इसके लिए यह आवश्यक है कि IAS ऐसा व्यक्ति हो जिसमे सही व शीघ्र सोचने का गुण  हो। UPSC परीक्षाओं के प्रश्न गतिशील मस्तिष्क की भी खोज करते हैं।
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                                   साफ़ (धूमिलरहित ) स्मृति
IAS आदि अधिकारियों को निर्णय लेते वक्त स्मृति पर निर्भर करना होता है और इसलिए IAS अधिकारियों की साफ़ साफ़ स्मृति होना आवश्यक है। UPSC परीक्षाओं के प्रश्न पत्रों के प्रश्न साफ़ स्मृति के परीक्षार्थियों को साफ पहचान जाते हैं।

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                               एकाग्र ध्यान का गुण

 IAS अधिकारी में एक विशेष  गुण आवश्यक है और वह गुण है ध्यान एकाग्रता का। UPSC परीक्षाओं के प्रश्न पत्रों के उत्तर परीक्षार्थी के ध्यान एकाग्रता के गुणों को पहचान जाते हैं

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                                 निर्णय लेने के क्षमता
IAS या अन्य उच्च अधिकारियों को हर समय निर्णय लेने पड़ते हैं। UPSC परीक्षाओं के प्रश्न पत्र परीक्षार्थियों में निर्णय लेने की क्षमताओं को पहचानते हैं

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                       सजग व सतर्क व्यक्तित्व
IAS को सजग व सतर्क होना आवश्यक है और  UPSC परीक्षाओं का उद्देश्य सजग व सक्रिय व्यक्ति को शोध करना ही है
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                    मौलिक सोच
IAS अधिकारी की सोच में मौलिकता होना जरूरी है और  UPSC परीक्षाएं मौलिक सोच वाले व्यक्तियों की खोज करती हैं

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                                         विश्लेषण करने में प्रवीण
                     
IAS अधिकारियों में विश्लेषण करने की क्षमता होनी जरूरी है और UPSC परीक्षाओं से सरकार विश्लेषण करने के क्षमता वालों को खोज लेती  है 
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                 कम्युनिकेशन स्किल
IAS में सूचनाओं के आदान प्रदान व समझाने की अकूत क्षमता होनी चाहिए।  सीके लिए व्यक्ति में भाषा पर पकड़ होनी चाहिए और UPSC परीक्षाओं के प्रश्न पत्र परीक्षार्थी की भाषा पर पकड़ की जाँच भी करते हैं

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                     Master of All याने  भण्डार
IAS को सभी  तरह के ज्ञान आवश्यक हैं इसीलिए UPSC परीक्षाओं के प्रश्न पत्र सामान्य परीक्षाओं से अलग होते हैं।

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                  सत्य निष्ठा
IAS अभ्यार्थी की सत्य निष्ठ गुणों की जाँच लिखित व साक्षात्कार द्वारा की जाती है

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                        साक्षात्कार
साक्षात्कार द्वारा अभ्यार्थी /परीक्षार्थी के कई गुण /अवगुणों का पता लगाया जाता है।  व्यक्तित्व की पहचान साक्षात्कार से होती है। 
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शेष IAS/IPS/IFS/IRS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला -  7 में.....
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कृपया इस लेख व " हर उत्तराखंडी IAS बन सकता है" आशय को कम से कम 7  लोगों तक पँहुचाइये प्लीज !
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I
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IAS परीक्षा में परीक्षार्थी असफल क्यों होते हैं ?
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( गढवाल भ्रातृ मंडल (स्थापना -1928 ) , मुंबई  की पहल –हर उत्तराखंडी IAS बन सकता है )

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IAS/IRS/IFS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला -7

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गढ़वाल भ्रातृ मण्डल हेतु प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती
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यदि आप सरकारी सांख्यकी को पढेंगे तो पाएंगे कि साढ़े चार  लाख परीक्षार्थियों के UPSC /IAS परीक्षा फार्म भरने या 2 से 2. 5 लाख परीक्षार्थियों के परीक्षाओं में बैठने के बाद केवल 1000 के करीब परीक्षार्थी ही सफल होते हैं। 


 Year/Details   2007-08   2008-09   2009-10   2010-11
Prelims Applied   333680   325433   409110   497187*





Prelims Appeared   161469   167035   193091   NA





Mains Applied   9158   11669   11894   11984





Mains Appeared   8886   11330   11516   NA





Interviewed   1883   2136   2281   NA





Selected   638   791   875   920
(एक ब्लॉग से )
इसका कारण यह नही कि IAS अदि परीक्षाएं कठिन होती हैं अपितु निम्न कारण मुख्य कारण हैं -
१- 40 -50 % फ़ार्म भरने के बाद परीक्षा में बैठते ही नही हैं
 २-आधे से अधिक परीक्षार्थी कोई तैयारी नही करते हैं और केवल परीक्षा में बैठने की गरज से बैठ जाते हैं।
३- अनुसूचित /जनजाति के लिए अटेम्प्ट की कोई सीमा नही होती है तो परीक्षार्थी अटेम्प्ट करते जाते हैं
४-पिछड़े वर्ग के लिए अटेम्प्ट अवसर 7 हैं तो बिना तयारी के परीक्षा में बैठने वाले बहुत होते हैं
५- कुछ परीक्षार्थियों की ठीक से नही हो पाती है फिर भी परीक्षा में बैठ जाते हैं
६-कुछ बिना तयारी के केवल अनुभव प्राप्त करने के लिए परीक्षाओं में बैठ जाते हैं
इस कारण समाज में गलतफहमी फैली है कि IAS /UPSC परीक्षा कठिन है। 



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शेष IAS/IPS/IFS/IRS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला -  में..... 8
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कृपया इस लेख व " हर उत्तराखंडी IAS बन सकता है" आशय को कम से कम 7  लोगों तक पँहुचाइये प्लीज !
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क्या IAS पाठ्यक्रम  अत्याधिक कठिन हैं ?
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( गढवाल भ्रातृ मंडल (स्थापना -1928 ) , मुंबई  की पहल –हर उत्तराखंडी IAS बन सकता है )

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IAS/IRS/IFS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला -8

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गढ़वाल भ्रातृ मण्डल हेतु प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती
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कठिनता के कई आयाम होते हैं।  कई कोण होते हैं।  IAS (UPSC ) परीक्षाओं बारे  भ्रान्ति है कि IAS (UPSC ) परीक्षाएं अति कठिन होती हैं।  लेकिन यह भ्रान्ति है भारतीय सरकार सामान्य नागरिक को IAS /IRS/IFS /IFS बनाती है ना कि महामानवों को।
वास्तव में 95 प्रतिशत परीक्षार्थी क्रमगत , निरन्तर व गतिशील पढाई नही करते हैं असफल होते हैं  भ्रान्ति फैला दी जाती है कि IAS (UPSC ) परीक्षाएं पास करना महामानवों  कार्य है।
१-  IAS (UPSC ) परीक्षा हेतु न्यूनतम योग्यता ग्रेजुएसन है और परीक्षार्थी को छूट है कि वह  च्वाइस के  चुने।
२-  IAS (UPSC ) परीक्षा स्तर ग्रेजुएट से कुछ अधिक व पोस्ट ग्रेजुएट से कुछ कम ही होता है याने  IAS (UPSC ) परीक्षा स्तर कोई दूसरे ब्रह्मांड  नही अपितु विश्वविद्यालय शिक्षा  निकट ही होता है
 ३- IAS/ RS/IFS /IFS उच्च पद हैं तो कुछ  परीक्षर्थी के स्तर में असाधारण स्तर होना लाजमी है
४- पाठ्यक्रम कठिन तभी लगता है  जब परीक्षार्थी ग्रेजुएसन से अलग ही विषय चुना जाय।
५- पाठ्यक्रम कठिन तभी लगता है  जब परीक्षार्थी परीक्षा में या IAS बनने में अधिक में अधिक रूचि न ले।
६- रट्टा मारने की पुरानी आदत  कारण पाठ्यक्रम कठिन लगता है
७- यदि IAS (UPSC ) परीक्षा की तुलना राज्य स्तर से की जाय तो  IAS (UPSC ) परीक्षा कठिन लगती है
 ८- IAS (UPSC ) परीक्षा को सम्पूर्णता  हिसाब से  देखकर अपितु परीक्षा नम्बर एक व परीक्षा  दृष्टि से देखने से  IAS (UPSC ) परीक्षा पाठ्यक्रम कठिन लगता है।
क्रमगत , निरन्तर व दिल से /जनून  से यदि पढ़ाई की जाय तो  IAS (UPSC ) परीक्षा पाठ्यक्रम सरल लगने लगता है.
 IAS (UPSC ) परीक्षा वास्तव में प्रतियोगी परीक्षा अतः  IAS (UPSC ) परीक्षा में पास तभी हो सकते हैं  आप दूसरों से आगे हों।

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शेष IAS/IPS/IFS/IRS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला -  में..... 9
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-- AS परीक्षा के लिए कितना परिश्रम चाहिए  ?
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( गढवाल भ्रातृ मंडल (स्थापना -1928 ) , मुंबई  की पहल –हर उत्तराखंडी IAS बन सकता है )

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IAS/IRS/IFS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला -9

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गढ़वाल भ्रातृ मण्डल हेतु प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती
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अधिसंख्य  परीक्षार्थी , व अभिभावक व सामान्य लोग IAS परीक्षाओं को अति कठिन नाम दे देते हैं और परीक्षार्थी के मन में जटिलता पैदा कर  देते हैं।
चूँकि IAS Exams प्रतियोगी व अखिल भारतीय स्तर की परीक्षाएं हैं अतः  IAS परीक्षाएं अन्य परीक्षाओं से विशेष बन जाती हैं।
यह सही है कि IAS /UPSC परीक्षाओं हेतु तैयारी के लिए मेहनत /परिश्रम /Hard Work की अति आवश्यकता है।
पण्डित व स्वयंकई IAS अधिकारियों का कहना है कि यदि  निरन्तर , क्रमबद्ध व जनून के साथ पढाई की जाय तो शुरू के एक साल तक प्रतिदिन  5 -6 घण्टे अध्ययन के लये काफी हैं। 
याद  रहे की एक ही विषय पर केवल एक सही लेखक की पुस्तक पढ़ना तर्कसंगत है ना कि एक  विषय के लिए ५ -६ लेखकों की किताबें पढ़कर मस्तिष्क को कन्फ्यूज करना।
एक विषय के लिए सभी लेखकों की किताबें व सामान्य ज्ञान बढाने के लिए 5 -6 अखबार रोज पढ़ना वास्तव में मस्तिष्क को बोझ देना है।  कम , ठोस (ध्यान केंद्रित कर ) व याद रखने वाली पढाई से IAS बना जा सकता है ना कि 15 घण्टों में कन्फ्यूजिंग पढ़ाई से।
एक विषय में दो से अधिक लेखकों की किताबें वास्तव में अवैज्ञानिक , प्रतिउत्पादक (Counter Productive ) ही सिद्ध होती हैं। 
IAS /UPSC परीक्षा हेतु कम पढिये किन्तु जो पढा जाय वह अच्छी तरह पढ़ा जाय सिद्धांत काम आता है
परिश्रम भी निरन्तर और क्रमबद्ध तरीके (वैज्ञानिक तरीके ) से ही होना चाहिए।
IAS परीक्षा की तैयारी के साथ साथ शारीरिक अभ्यास (Exercise ) योग , मनोरंजन भी उतना ही आवश्यक है जितना कि   परिश्रम।




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शेष IAS/IPS/IFS/IRS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला -  में.....10
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IAS  (UPSC ) में अंग्रेजी ज्ञान का महत्व

( गढवाल भ्रातृ मंडल (स्थापना -1928 ) , मुंबई  की पहल –हर उत्तराखंडी IAS बन सकता है )

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IAS/IRS/IFS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला -10

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गढ़वाल भ्रातृ मण्डल हेतु प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती
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IAS (UPSC ) परीक्षाओं में बैठने वाले परीक्षार्थियों को सबसे अधिक भय परीक्षाओं के अंग्रेजी माध्यम में देने से लगा रहता है। 
किन्तु यह गलत धारणा है कि अंग्रेजी विज्ञ ही IAS (UPSC ) परीक्षा पास कर  सकते हैं।
IAS (UPSC ) की परीक्षाएं सभी संविधान में लग्न भारतीय भाषाओं के माध्यम से दी जा सकती हैं और वे परीक्षार्थी भी सफल IAS आदि सिद्ध हुए हैं जिन्होंने हिंदी या अन्य भाषाओं से IAS (UPSC ) परीक्षाएं पास की हैं।
IAS (UPSC ) परीक्षा में एक पेपर अंग्रेजी का होता है जिसे पास करना आवश्यक है और इतनी अंग्रेजी जानना आवश्यक है।
सभी पण्डित व प्रशासनिक अधिकार भी राय देते हैं कि जिनकी अंग्रेजी कमजोर हो उन्हें हिंदी या अन्य भाषा माध्यम से IAS (UPSC ) परीक्षा में बैठना चाहिए।
IAS (UPSC ) परीक्षाओं में अंग्रेजी या अन्य भाषाओं में कोई भेद भाव नही बरता जाता है।
अंग्रेजी का भय केवल मनोवैज्ञानिक भय है और कुछ नही।



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शेष IAS/IPS/IFS/IRS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला -11   में.....
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क्या  विश्वविद्यालयी फर्स्ट क्लास ही IAS बन सकते हैं ?

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( गढवाल भ्रातृ मंडल (स्थापना -1928 ) , मुंबई  की पहल –हर उत्तराखंडी IAS बन सकता है )

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IAS/IRS/IFS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला -11

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गढ़वाल भ्रातृ मण्डल हेतु प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती
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समाज में कुछ गलतफहमी  , भ्रांती , कन्फ्यूजन फैला हुआ है कि IAS/IPS/IFS/IRS (UPSC ) परीक्षा में विश्वविद्यालय में फर्स्ट क्लास पास छात्र ही सफल होते हैं।  यदि प्रशासन को विश्वविद्यालय से  फर्स्ट क्लास पास छात्रों को IAS/IPS/IFS/IRS सेवा में लेना होता तो फिर UPSC /लोक सेवा परीक्षा ही नही होतीं।
IAS/IPS/IFS/IRS (UPSC ) परीक्षा का उद्देश्य प्रशासनिक योग्यता वाले अभ्यार्थियों को चुनना है ना कि विश्वविद्यालय के फर्स्ट क्लास छात्रों को।
महान अकबर एक कुशल प्रशासक थे  और वह बिलकुल अनपढ़ थे।
अतः IAS/IPS/IFS/IRS (UPSC ) परीक्षा में बैठते समय इस बात की चिंता नही करनी चाहिए कि आपने ग्रेजुयेसन या पोस्ट ग्रेजुयेसन किस डिवीजन से पास किया है।
आपको तो IAS/IPS/IFS/IRS (UPSC ) परीक्षा की सफलतापूर्वक तैयारी करनी है ना कि  विश्वविद्यालय में डिवीजन की ।
यह आवश्यक नही कि आप फर्स्ट डिवीजन से पास हुए हों और आपने IAS/IPS/IFS/IRS (UPSC ) परीक्षा की क्रमगत व निरन्तर रूप से तैयारी नही की तो आप सफल होंगे। 
IAS/IPS/IFS/IRS (UPSC ) परीक्षा की तैयारी IAS/IPS/IFS/IRS (UPSC ) परीक्षा के अनुरूप ही की जानी चाहिए।
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शेष IAS/IPS/IFS/IRS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला -12   में.....

क्या पारिवारिक पृष्ठभूमि IAS बनने में कठिनाई उत्पन करती है ?
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( गढवाल भ्रातृ मंडल (स्थापना -1928 ) , मुंबई  की पहल –हर उत्तराखंडी IAS बन सकता है )

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IAS/IRS/IFS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला -12

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गढ़वाल भ्रातृ मण्डल हेतु प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती
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जिस तरह  IAS बनने हेतुअंग्रेजी ज्ञान के बारे में भ्रांतियां फैली हैं उसी तरह पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में भी आकांक्षियों के मन में सन्देह पैदा करता है।   पारिवारिक या  पृष्ठभूमि के बारे में अनावश्यक सन्देह पैदा कर दिया गया है। 
IAS /UPSC परीक्षा में सफलता हेतु पारिवारिक पृष्ठभूमि नही किन्तु IAS /UPSC परीक्षा के लिए सही तरीके की तैयारी की आवश्यकता होती है।  उत्तराखण्ड ने कई IAS /IRS /अथवा सेना अधिकारी दिए हैं और अधिसंख्य में पारिवारिक पृष्ठभूमि का कोई हाथ नही रहा है अपितु अभ्यार्थी की  अपनी सही तैयारी रही है।  ग्रामीण पृष्ठ भूमि का भी IAS /UPSC परीक्षा में सफल /असफल होने हेतु कोई संबन्ध नही है।
हाँ परिवार , रिस्तेदारों व समाज से परीक्षा हेतु संसाधन , निरन्तर प्रोत्साहन , व अन्य सहायता आवश्यक हैं।
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शेष IAS/IPS/IFS/IRS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला -13  में.....
IAS (UPSC ) परीक्षा में कोचिंग क्लास का महत्व

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( गढवाल भ्रातृ मंडल (स्थापना -1928 ) , मुंबई  की पहल –हर उत्तराखंडी IAS बन सकता है )

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IAS/IRS/IFS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला -13

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गढ़वाल भ्रातृ मण्डल हेतु प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती
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 जब से भारत सरकार ने IAS (UPSC ) परीक्षा में परीक्षा माध्यम हिंदी या स्थानीय भाषा को स्थान दिया है IAS (UPSC ) परीक्षार्थियों की संख्या बढ़ी है और कोचिंग क्लासों की संख्या भी बढ़ी है।
कोचिंग क्लास से IAS (UPSC ) परीक्षा में सहायता लेने वाले परीक्षार्थी निम्न प्रकार के हैं -
१- जिन्होंने तय कर लिया है कि IAS (UPSC ) परीक्षा में कोचिंग क्लास बेकार है।
२- जिन्होंने तय कर लिया है कि IAS (UPSC ) परीक्षा में कोचिंग क्लासकी सहायत आवश्यक है।
३-जो तय ही नही कर पाते कि  IAS (UPSC ) परीक्षा में कोचिंग क्लास आवश्यक हैं या नही दुविधाग्रस्त परीक्षार्थी
४-जो कोचिंग क्लास ज्वाइन करना चाहते हैं किन्तु किन्ही कारण वस जैसे ग्रामीण स्थल में निवास के कारण कोचीन क्लास से पढ़ाई नही कर पाते
५- जो चाहते हुए भी अर्थाभाव के कारण IAS (UPSC ) परीक्षा में कोचिंग क्लास से सहायता नही ले पाते हैं
६- जो ऑन लाइन कोचीन क्लास को बेहतर विकल्प मानते हैं

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शेष क्या IAS/IPS/IFS/IRS परीक्षा हेतु कोचिंग क्लास आवश्यक है  ? पढिये IAS/IPS/IFS/IRS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला -14  में.....
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AS /UPSC परीक्षाएं हेतु कोचिंग क्लास चुनाव
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( गढवाल भ्रातृ मंडल (स्थापना -1928 ) , मुंबई  की पहल –हर उत्तराखंडी IAS बन सकता है )

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IAS/IRS/IFS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला -14

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गढ़वाल भ्रातृ मण्डल हेतु प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती
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यदि आपने  IAS /UPSC परीक्षाएं हेतु कलोचिंग क्लास की  सहायता लेने का निर्णय ले लिया हो तो अच्छे कोचिंग क्लास चुनाव हेतु निम्न बातों का ध्यान आवश्यक हैं -
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१- पुराने छात्रों से सलाह व उनकी राय पूछना /पिछ्ला रिकार्ड कैसा है ?
२-नए कोचिंग क्लास के फैकल्टीज के बारे में जानकारी लेना आवश्यक होता है।
३-कोचिंग क्लास के इंफ्रास्ट्रक्चर सुविधाजनक व परीक्षा सहायक होना चाहिए
४-क्या कोचीन क्लास का मालिक स्वयं पढाता है ? क्या कोचिंग क्लास का मालिक IAS /IPS/IFS/IRS रह चुके हैं ? जैसे  प्रश्नों का उत्तर ढूँढना आवश्यक है
५-कोचिंग क्लास के ब्रैंड या विज्ञापन की सच्चाई जाननी आवश्यक है
६- कुछ क्लास प्रवेशार्थी की अग्रिम परीक्षा भी लेते  हैं
 ७-अध्यापकों के बारे में जानकारी  आवश्यक है
८- फीस की तुलनात्मक जांच आवश्यक है
९- कोचिंग क्लास   IAS /UPSC परीक्षा पास करने की गारेंटी नही अपितु केवल एक सहायता है और इसे सहायता के रूप में ही लिया जाना चाहिए


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शेष IAS/IPS/IFS/IRS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला - 15 में.....
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कृपया इस लेख व " हर उत्तराखंडी IAS बन सकता है" आशय को कम से कम 7  लोगों तक पँहुचाइये प्लीज !
IAS/UPSC परीक्षा की सफलता हेतु योजनाबद्ध रूप से कार्य सम्पादन 
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( गढवाल भ्रातृ मंडल (स्थापना -1928 ) , मुंबई  की पहल –हर उत्तराखंडी IAS बन सकता है )

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IAS/IRS/IFS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला -15

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गढ़वाल भ्रातृ मण्डल हेतु प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती
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 बोर्ड की परीक्षाओं हेतु भी योजनाबद्ध तरीके से कार्य सम्पादन याने तैयारी आवश्यक होती है और IAS/UPSC परीक्षा हेतु भी योजनाबद्ध तरीके से तैयारी आवश्यक है। 
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                              IAS/UPSC परीक्षा तीन चरण
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IAS/UPSC परीक्षा तैयारी हेतु परीक्षाओं  चरणों के बारे में जानना आवश्यक है
IAS/UPSC  की प्रारम्भिक परीक्षा
IAS/UPSC परीक्षा का मुख्य परीक्षा
IAS/UPSC परीक्षा का साक्षात्कार
 IAS/UPSC के सभी तीनो परीक्षाओं को पास करना आवश्यक है और प्रतियोगिता  होने के लिए यथेष्ठ अंक भी लाना आवश्यक है
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             कितने अटेम्प्ट में IAS/UPSC परीक्षा पास की जा सकती हैं ?
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१- सामान्य वर्ग हेतु 6 अटेम्प्ट हैं
२-पिछड़े वर्ग के लिए 9 अटेम्प्ट हैं
३- अनुसूचित और जनजाति के लिए कोई अटेम्प्ट सीमा नही है किन्तु आयु सीमा निर्धारित  है

                   IAS/UPSC परीक्षा में आयु सीमा
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१- सामान्य वर्ग हेतु   आयु सीमा 21 -30 वर्ष है
२- पिछड़ा  वर्ग हेतु   आयु सीमा  21 - 35   ((3 वर्ष Exemption)  वर्ष है
३- अनुसूचित व जनजाति वर्ग हेतु   आयु सीमा - 37 वर्ष है
४- दिव्यांग  वर्ग हेतु   आयु सीमा  40 वर्ष है
५-जम्मू कश्मीर -सामान्य 37 . OBC -40 , SC , ST 42 , दिव्यांग -50
६-दिव्यांग Ex Service men  सामान्य 37 . OBC -38  , SC , ST 40

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 IAS/UPSC परीक्षा की सफलता हेतु योजना  हेतु श्रंखला -16  में.....

सवीं कक्षा पास करने के बाद ही IAS /UPSC परीक्षा तैयारी सही है
IAS /UPSC परीक्षा के लिए लबी योजना आवश्यक है
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( गढवाल भ्रातृ मंडल (स्थापना -1928 ) , मुंबई  की पहल –हर उत्तराखंडी IAS बन सकता है )

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IAS/IRS/IFS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला -16

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गढ़वाल भ्रातृ मण्डल हेतु प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती
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IAS /UPSC परीक्षायें बिना योजनाबद्ध तरीके से पास नही की जा सकती हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि IAS /UPSC परीक्षा की तैयारी वास्तव में मैराथन दौड़ जैसी हैं। IAS /UPSC परीक्षायें जल्दबाजी में पास नही की जाती हैं अपितु लम्बी योजना से ही पास की जाती हैं।
 
वास्तव में IAS /UPSC परीक्षा की तैयारी दसवीं कक्षा पास करने के बाद ही करना लाभप्रद है।
दसवीं कक्षा पास करने के बाद IASआकांक्षी बहुत से विषयों जैसे सामान्य ज्ञान व अन्य विषयों में धीरे धीरे ज्ञान प्राप्त करता जाता है।
परीक्षा का अपना एक विशेष  मनोविज्ञानं भी होता है और इसके लिए एक वर्ष काफी नही होता है बल्कि एक दो साल लग ही जाते हैं। 
ऑप्शनल विषय जो कि पढाई की कश्क्षाओं में ना पढ़ाई जायँ तो उस विषय में भी धीरे धीरे पारंगत हासिल करने हेतु लम्बी योजना ही काम आती है।
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शेष IAS/IPS/IFS/IRS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला -17   में.....
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AS/UPSC परीक्षा तैयारी किस उम्र में शुरू करनी चाहिए ?
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( गढवाल भ्रातृ मंडल (स्थापना -1928 ) , मुंबई  की पहल –हर उत्तराखंडी I

Bhishma Kukreti:



26 --IAS/IRS/IFS परीक्षा तैयारी  में  पढ़ाई के तरीके का महत्व


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  आप सभी जानते हैं कि अमूनन आईएस परीक्षाओं व अन्य प्रतियोगिता परीक्षाओं में फस्ट डिवीजनर सफल नहीं हो पाते हैं किन्तु सेकंड डिवीजनर सफल हो जाते हैं।
  पुस्तकें वही होते हैं , परीक्षार्थी  पढ़ने में उतना ही लेते हैं , परीक्षा निरीक्षक  भी वही होते हैं किन्तु कुछ ही परीक्षाओं में सफल होते हैं . इसका मुख्य कारण है पढ़ने का तरीका।
   जी हाँ पढ़ने  के तरीका IAS/IRS/IFS  परीक्षा पास करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
   जिस तरह से हर व्यक्ति गाना गा  तो सकता है किन्तु लता मंगेशकर या मोहमद रफी  की तरह नहीं  गा सकते हैं उसी तरह पुस्तकों को पढ़ना और उन्हें याद करना व प्रश्नोत्तर लिखने हेतु भी सिद्धांतबद्ध तरीका अपनाना आवश्यक है।  पढ़ना एक कला व विज्ञान का अद्भुत मिश्रण  है और इन सिद्धांतों को अपनाकर ही परीक्षार्थी सफल होते हैं।  वैसे पढ़ने की कला है सरल किन्तु परीक्षार्थी उसे गंभीरता से  लें तो कुछ भी कठिन नहीं है।

(कल - सही तरह पढ़ने के   सिद्धांतों  पर चर्चा )
सलाह - डा विजय अग्रवाल की पुस्तक Art of  Study अवश्य पढ़ें


             IAS पढ़ाई में दो चुनौतियाँ


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  27 - कोई भी परीक्षार्थी , किसी भी उम्र के  परीक्षार्थी को पढ़ते वक्त दो चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

                       मष्तिष्क का ग्राह्य होना अथवा विषय का मस्तिष्क में सही बैठना

  हम कितना भी पढ़ लें , कैसे भी पढ़ लें किन्तु वह  पढ़ाई दिमाग में नहीं रुक रही है या स्पष्टतया नहीं बैठ रही है पढ़ाई  से कुछ लाभ नहीं होता है।  विषय को पढ़ने के बाद दिमाग में स्पष्ट जगह बनाना आवश्यक है।  माना आप पढ़ रहे हैं किन्तु वह मष्तिष्क में नहीं समा रहा है याने दिमाग में नहीं बैठ रहा है या घुस नहीं रहा है तो उस समय कितना भी पढ़ लो लाभ  नहीं होगा।  ऐसे समय पढ़ाई बंद कर अपने मस्तिष्क को इस लायक बनाना होता है कि मस्तिष्क ग्राह्य स्थिति में आ जाय।  पढ़ने से पहले मस्तिष्क को ग्राह्य स्थिति में रखना ही प्रथम कदम होता है।  मस्तिष्क की ग्राह्यता अथवा अग्राह्यता के कई कारण हो सकते हैं उन कारणों का विवेचन हम दूसरे अध्याओं में करेंगे।

                            जब आवश्यकता हो विषय मिल जाय
  हम जो देखते हैं, पढ़ते हैं , सुनते हैं , स्पर्श करते हैं , खाते हैं , सूंघते हैं, यहां तक कि विचारते या कल्पना करते हैं सब का सब मस्तिष्क में जमा होता रहता है याने रिकॉर्ड होता रहता है। मस्तिष्क एक रिकॉर्डेड पिटारा है।  लिखित या मौखिक परीक्षा   में सबसे बड़ी चुनौती होती है कि जो भी हमने पढ़ा है उसमे से सही विषय सेकंड के दसवें भाग के अंदर सामने आ जाना चाहिए।  याने कि समय पर याद भी आना चाहिए।      ये  दो चुनौतियां अवश्य हैं किन्तु धीर मनुष्य व लग्न के पक्के मनुष्य इन चुनौतियों को हल कर लेते हैं और सफल हो जाते हैं


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 मस्तिष्क में चित्रांकन और दिन में कितना पढ़ना चाहिए


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                       चित्र /छवि /बिम्ब या इमेजेज
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    पिछले पाठ में  मैं  यह लिख चुका  हूँ कि हर वस्तु या विचार हमारे मन  में चित्रांकित होती हैं और फिर आवश्यकता पड़ने पर वे रिकॉर्डेड  चीज सामने आती हैं।  वैज्ञानिक  कहते हैं कि हम जो भी पढ़ते , देखते हैं वह  चित्र रूप में मस्तिष्क में चित्रांकित होते है।  जैसे  कैमरे में फोटो रिकॉर्ड होती हैं।  इस चित्रांकन को बिम्ब , चित्र या इमेजेज कहते हैं।  जिस वस्तु, स्वाद, अनुभव,  स्पर्श या ध्वनि की हम मस्तिष्क में चित्र नहीं बना सकते हैं वह शीघ्र समझ में नहीं आती (पढ़ना ) और समझा (परीक्षा में उत्तर ) भी नहीं सकते हैं . यदि आप कैमरे से एक ही बार में तीन चार फोटो क्लिक करें तो कैमरे में फोटो गडमड हो जाती हैं और साफ़ चित्र नहीं मिलता है।  उसी तरह यदि आप ठीक से नहीं पढ़ते हैं तो मस्तिष्क में चित्र एक के उपर  गडमड हो जाते हैं और जब आपको आवश्यकता पड़ती है तो स्मरण के समय कनफ्यूजन की स्थिति हो जाती है।  अतः पढ़ते समय ध्यान होना चाहिए कि जो भी पढ़ा जाय उसकी छवि /बिम्ब /चित्र आपके मस्तिष्क में साफ़ साफ याने स्पष्ट बने। 
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          एक विषय का एक चैप्टर ही पढ़े
   जब आप पढ़ाई पानी पढ़ाई शरू करते हैं तो आपको एक दिन में एक विषय का केवल एक टॉपिक या अध्याय ही पढ़ना चाहिए।  एक से अधिक टॉपिक या अध्याय पढ़ने से चित्र या बिम्ब मस्तिष्क में गडमड हो जाते हैं और भविष्य में स्मरण के समय कनफ्यूजन  पैदा कर सकते हैं।  एक ही विषय के दो अलग अलग अध्यायों को शुरुवाती दिनों ही नहीं अंत तक भी एक समय ना पढ़े।  जैसे आप एक ही विषय के तीन चार टीवी सीरियल एक दिन में देखें तो बाद में एक की कथा दुसरी के कथा आपके दिमाग में घुलमिल जाती हैं तो उसी तरह एक विषय के दो अध्यायों को एक साथ पढ़ने से विषय गडमड हो जाते हैं।  किन्तु यदि आप एक दिन में अलग अलग तरह के सीरियल CID , उल्टा चश्मा , देवी , पाताल भैरवी सीरियल देखेंगे तो मस्तिष्क में छवि गडमड नहीं होगी।
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         अलग अलग विषयों के केवल एक ही अध्याय

       दिन में एक ही विषय के दो टॉपिक ना पढ़िए अपितु अलग अलग विषय के एक एक टॉपिक पढ़िए।  इस तरह आप जो पढ़ा उसकी स्पष्ट इमेज मस्तिष्क में उतरने में कामयाब होते जायेंगे और कनफ्यूजन की कम स्थिति आएगी।
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                 प्रातः कालीन पढ़ाई कामयाब पढ़ाई

  सभी लोग बच्चों को कहते हैं कि सुबह सुबह अवश्य पढ़ो।  उसका कारण वैज्ञानिक है।  सुबह सुबह मस्तिष्क ही नहीं शरीर भी फ्रेस , अनथका  और चीजें ग्रहण करने में सहर्ष सक्षम होता है।   अमूनन सुबह बाह्य रुकावटें , शोरगुल , बातें आदि कम ही होती हैं तो प्रातः कालीन पढ़ाई सबसे अधिक प्रभावकारी होती है।
   कहा जाता है कि प्रातःकालीन तीन घंटे का अध्ययन दिन या रात के पांच -छः घंटो के अध्ययन के बराबर होता है।
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               बस  पढ़ने के लिए पढ़ाई नहीं

  यदि आपका मन पढ़ाई में नहीं लग रहा हो तो और आप भारी मन से जबरदस्ती पढ़ रहे हों या चाय पी पीकर पढ़ाई  करें तो  स्पष्ट चित्र नहीं बन पाएंगे।  हर समय पढ़ना हो तो आनंद के साथ पढ़िए , मजे के साथ पढ़िए।  पढ़ाई को ही आनंद बना लीजिये। दुविधा की स्थिति से भी पढ़ाई समझ में नहीं आती है।
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                     दिन में कितना पढ़ा जा सकता है

     आपका मस्तिष्क व शरीर मशीन ही हैं तो उन्हें भी थक  लगती है।  मस्तिष्क व शरीर का एक दूसरे से संबंध है।  जब शरीर स्वस्थ , अनथका होता है तो मस्तिष्क भी प्रभावी ढंग से काम करता है।  जब मस्तिष्क में ऊर्जा और  उत्साह हिलोरे मारता है तो शरीर भी ऊर्जावान हो उठता है।  यदि शरीर में कुछ भी कमजोरी आती है वह मस्तिष्क को प्रभावित करती है।  और मस्तिष्क में कुछ भी कमजोरी आती है वह शरीर को प्रभावित करता ह।
              यदि शरीर ऊर्जावान है और मस्तिष्क ऊर्जावान नहीं तो भी पढ़ाई करने में दिक्क्त आती है और मस्तिष्क ऊर्जावान है पर शरीर थका है तो भी पढ़ाई में दिक्क्तें।
         शरीर मस्तिष्क को प्रभावित करता है तो मस्तिष्क शरीर को। अतः दोनों के मध्य सामंजस्य आवश्यक है। 
        स्मरण योग्य पढ़ाई हेतु पांच से छः घंटे पढ़ाई सही होती है।  औसतन परीक्षार्थी को पांच या छ: घंटे पढ़ाई करनी चाहिए बाकी समय में मनोरंजन , ज्ञान वृद्धि हेतु समाचार पत्र या पत्रिकाएं पढ़ना ,  शारीरिक व्यायाम  (exercise ) करना चाहिए । 
      मस्तष्क को फ्रेश रखिये और शरीर को अनथका तब ही पढ़ाई से लाभ मिलता है।
29-
 IAS तैयारी में पढ़ाई की गति /Speed



पढ़ाई की गति का और मस्तिष्क ग्राह्यता का बहुत बड़ा संबंध होता है।  जब आप  किसी स्थान पर बैठे होते हो तो छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी वस्तु को ध्यान पूर्वक देख लेते हो और उन्हें बड़ी बारीकी से ग्रहण (मस्तिष्क में चित्रण ) भी कर लेते हो।  जब आप चलते हो तो बहुत सी वस्तुएं दिखाई देती हैं (ग्रहण ) और बहुत सी वतुएँ छूट  जाती हैं।  फिर भी आपको अधिसंख्य वस्तुएं पहचानने में आती रहती हैं।  जब आप किसी 40  कीलो प्रति घंटे की गति वाली बस में बैठकर सफर करते हो तो केवल बड़ी वस्तुएं ग्राह्य होती हैं।  जब आप हवाई जहाज से यात्रा करते हो तो केवल धुंधली वस्तुओं का आभास होता है।  ऐसा  ही पढ़ने की गति और पढ़े विषय को मस्तिष्क में इमेजेज या चित्रांकन का होता है।  अति शीघ्र पढ़ने से मस्तिष्क में बिम्ब /चित्र /इमेजेज धुंधली बनती हैं।  धीरे धीरे एक एक शब्द को समझ कर पढ़ने से मस्तिष्क में विषय के चित्र /बिम्ब /इमेजेज साफ़ साफ बनती हैं और समय आने पर साफ़ साफ़ स्मरण भी होता है।
          शीघ्रता क्यों की जानी चाहिए ? जी नहीं पढ़ने में शीघ्रता की आवश्यकता ही नहीं है।  धीरे धीरे ही पढ़ना श्रेयकर है।  IAS प्रतियोगिता परीक्षाएं शीघ्र पढ़ने हेतु नहीं होती है अपितु आपने क्या पढ़ा और आपकी स्मरण शक्ति कितनी है परखने हेतु होती है। 
    हर दिन उतना पढ़िए जितना समझ सको और जितना सदा के लिए स्मरण होता रहे।  हाँ गतिहीनता भी नहीं होनी चाहिए की कुछ भी न पढ़ा जाय।  थके मस्तिष्क से पढ़ने से लाभ की जगह हानि का डर रहता है अतः  पांच छः  घंटे प्रतिदिन पढ़ना सही ह।  हाँ स्मरण रहे कि आनंद से पढ़ा विषय स्मरणीय होता है।


३० -

IAS तैयारी पढ़ाई में निरंतरता

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    किसी भी विषय में पारंगत होकर परीक्षा पास करने के लिए निरंतर पढ़ना आवश्यक है ना कि  एक दिन में सारे अध्याय पढ़ कर समाप्त कर दिए जायं।
   निरंतर पढ़ाई ही परीक्षा में पास होने हेतु कामयाब पढ़ाई है।
     प्रसिद्ध सलाहकार डा विजय अग्रवाल ने IAS उम्मीदवारों को पढ़ाई में निरंतरता समझाने के लिए  'प्रकृति  नियम ' का सुंदर उदाहरण दिया।  मानो कि एक क्षेत्र में एक घंटे में पांच सेंटीमीटर वर्षा होती है और दूसरे क्षेत्र में पांच घंटे में पांच सेंटीमीटर वर्षा होती है।  तो प्रश्न है कि किस क्षेत्र में धरती में पानी ठीक से समायेगा।  अवश्य ही जिस क्षेत्र में पांच घंटे में पांच सेंटीमीटर पानी वरसा  वहीं धरती में ठीक से समुचित रूप से पानी समायेगा।
   यी प्रकृति नियम पढ़ाई व् उसे समुचित रूप से समझने पर लागू होता है।  प्रतिदिन  समझ समझ कर , याद कर पढ़ना ही श्रेयकर   होता है ना कि 400 पृष्ठ की पुस्तक को तीन में समाप्ति की चेष्टा।  समयबद्ध व प्रतिदिन पढ़ना सभी परीक्षाओं के लिए श्रेयकर होता है।

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 पाठ दुहराना (अभ्यास ) ही असली अध्ययन है


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प्रकृति ने नाक केवल सांस लेने ही नहीं अपितु अन्वश्य्क गंध को न ग्रहण करने के लिए भी दी है , कान केवल सुनने  के लिए नहीं अपितु सब कुछ ना सुनें हेतु प्रदान किये हैं।  उसी तरह मस्तिष्क का काम अधिसंख्य चित्रों को भूलना /बिस्मरण  भी है।
    हम 99 ही नहीं 99 . 999999 % बातों को भूल जाते हैं। हम उस बात को ही याद करते हैं जिसे हम दोहराते हैं।  कोई बुरी या अच्छी बात याद रहती है क्यंकि हम उसे किन्ही कारणों से दोहराते जाते हैं।  मन में याद करना भी दोहराव ही है।  UPSC /IAS के अध्ययन का असली अर्थ है आपने प्रत्येक पाठ को कितनी बार दोहराया है। 
  प्रसिद्ध जर्मन वैज्ञानिकएबिंग हौस (फॉर्गेटिंग कर्व ) अनुसार हम निम्न समय में इस तरह चीजों को भूल जाते हैं -
47 % बातें 20 मिनट बाद भूल जाते हैं
53 % बातें  60 मिनट बाद भूल जाते हैं-
66 % बातें एक दिन   बाद भूल जाते हैं
75 % बातें 7 दिन   बाद भूल जाते हैं
79 % बातें  1 महीने बाद भूल जाते हैं
95 % बातें  एक वर्ष बाद भूल जाते हैं
बाकी 5 % बचीं बातें धुंधली आकर ले लेती हैं
   वैज्ञानिक एपिंग ने पाठ दोहराने हेतु निम्न सलाह दी हैं -
1 - एक टॉपिक को एक दिन में कम से कम चार बार दोहराएं
२- 24  घंटे बाद उसी टॉपिक को फिर से दोहराएं जैसे पहली बार पढ़ रहे हों
3 -एक सप्ताह बाद फिर से ध्यान से दोहराएं
4 -एक महीने बाद फिर से टॉपिक को फिर से ऐसे पढ़ें जैसे पहली बार पढ़ रहे हों
इस तरह पाठ मस्तिष्क में घर कर जाता है और समय आने पर याद आ जाता है।
   पाठ पढ़ते समय महत्वपूर्ण लाइन या शब्दों को रेखांकित करना चाहिए और किनारे पर अपने नोट्स भी लिख लेने चाहिए। 
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32 -

 प्रत्येक पुस्तक का  महत्व पाठक के उद्देश्य पर निर्भर करता है

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  एक ही विषय की अलग अलग  पुस्तक का अलग महत्व होता है।  एक ही पुस्तक को पढ़ने वाले अलग अलग होते हैं और प्रत्येक पाठक का पुस्तक पढ़ने का उद्देश्य बिलकुल अलग होता है।  डा शिव प्रसाद डबराल के उत्तराखंड इतिहास का उदाहरण लीजिये।  आम पाठक के लिए विशेष बातों का जानना उद्देश्य होता है , इतिहास अन्वेषणकर्ता के  लिए विल्कुल अगल महत्व है तो उत्तराखंड पब्लिक सर्विस के परीक्षार्थी हेतु अलग महत्व है और  IAS परीक्षार्थी हेतु सर्वथा अलग उदेश्य होता है।  उद्देश्य ही पुस्तक की महत्ता को प्रदर्शित करते हैं।
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         IAS या UPSC परीक्षार्थी के किसी भी पुस्तक पढ़ने हेतु निम्न उद्देश्य होते हैं -
  १- तथ्यों की जानकारी प्राप्त करना
२- तथ्यों को याद करना
३- याद किये पथ को समय आने पर स्मरण होना
४- पाठ विषय या टॉपिक को समय आने पर लिखकर समझना
५- जब आवश्यकता होती है तब वाचन द्वारा सामने वाले को समझाना
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    इसलिए कोई भी पुस्तक पढ़ने से पहले परीक्षार्थी को पुस्तक उद्देश्य के बारे में स्पष्ट होना ही चाहिए।  अनावश्यक ज्ञान भी अलाभकारी हो सकता है।  मै भुक्तभोगी हूँ।  मैं सदा एक ही विषय की कई लेखकों  की पुस्तकें चाट जाता था और परीक्षा में बहुत बार उत्तर देते समय कन्फ्यूजन की स्थिति भी  आ जाती थी।

३३--

पुस्तक लेखक की जानकारी आवश्यक है


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  पुस्तक कैसी लिखी है उसके बारे में जानकारी तो आवश्यक है ही किंतु पुस्तक लेखक के बारे में भी जानकारी आवश्यक है।  लेखक के बारे में जानने  के मुख्य निम्न कारण हैं -
१- लेख की सही पृष्ठभूमि एक तरह की गारंटी है है कि लेखक को किस तरह का अनुभव है।
२- जब लेखक की पृष्ठभूमि विषय के अनुसार हो तो लेखक कम से कम अशुद्ध लिखेगा यह भी गारंटी होती है
३- जब किसी लेखक की पुस्तक की कई आवृतियां प्रकाशित हो चुकी हों तो भी परीक्षार्थी के मन में एक विश्वास बैठ जाता है कि पुस्तक काम की है। पाठक के मन में पुस्तक के प्रति विश्वास आवश्यक है।
४- सही पृष्ठभूमि व वांछित अनुभवशील लेखक के प्रति पाठक के मन में सम्मान पैदा होता है और पाठक को सकून मिलने से पठन सरल हो जाता है।  आत्मविश्वास से कई बातें सरल लगने लगती हैं।  यह आत्मविश्वास ऐसा ही है जैसे आप किसी टैक्सी में बैठे हों और यदि आपको टैक्सी ड्राइवर पर पूरा विश्वास है तो आप यात्रा का आनंद लेते हैं किन्तु जरा भी अविश्वास हो तो आपको यात्रा में भय सा बना रहता है और भय सदा अलाभकारी होता है। 
    अतः पुस्तक खरीदने से पहले पुस्तक लेखक की पृष्ठभूमि और क्रेडिन्सियल जाना आवश्यक है।  अपने सहपाठियों ,सीनियरों व पुस्तक के पीची पुस्तक लेखक से जानकारी मिल जाती है।  यदि आपको लेखक पर विश्वास है तो सम्मान पैदा  होगा और  आपको पढ़ने में रूचि पैदा होगी  और पठन सरल हो जाएगा।  सम्मान व विश्वास एक दूसरे के पूरक हैं। अतः वही पुस्तक खरीदें जिसके लेखक को आप सम्मान देते हों या खरीदते समय सम्मान पैदा हो जाय। 
  इसी तरह सम्मानीय प्रकाशक की पुस्तक भी पाठक को विश्वास देने में सक्षम होता है। 
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36 -

 पुस्तक को कितनी बार और हर बार किस रूप में पढ़ना चाहिये 


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        पहली बार किस तरह पढ़ना चाहिए
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हर बार तनाव रहित होकर ही पुस्तक पढ़ना चाहिए
 कोई भी किताब हो परीक्षार्थी को पहली बार ऐसा पढ़ना चाहिए जैसे कोई उपन्यास या जीवनी पढ़ी जा रही हो। 
 प्रथम बार यह ना सोचा जाय  कि पुस्तक परीक्षा हेतु पढ़ी जा रही है।
  पढ़ते  परीक्षा आदि की कोई चिंता नहीं करनी चाहिए कि परीक्षा दृष्टि से यह टॉपिक महत्वपूर्ण है कि  नहीं
 पढ़ने की गति सामन्य याने ना तो मंद गति ना ही तीब्र गति से पढ़ा जाय। धीमी  गति से ऊब पैदा होती है और तेज गति से कुछ भी समझ में नहीं आता है।   जिस तरह आप सामन्य गति से पढ़ते हैं उसी गति से पढ़ें।
  पढ़ते वक्त यदि पाठ समझ में नहीं आ रहा है तो पहली बार पुस्तक विषय से सामन्य परिचय हो  जाय।
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-37
 
 दूसरी बार पुस्तक पढ़ने में सावधानियां

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 पहली बार पुस्तक पढ़ने से आपके मस्तिष्क में विषय संबंधी एक मोटा मोटा खाका बन जाता है और आप समझ जाते हैं कि पुस्तक में क्या क्या है।
१- पुस्तक को अब टॉपिक वाइज  ही पढ़ें। 
२- अब पुस्तक को धीरे धीरे याने समझकर ही पढ़ें। जो बात समझ में न आये तो दुबारा पढ़ें और जो पढ़ा उसे पूरा समझें।
३- बिना समझे एक पैरा से दूसरे पैरेग्राफ  पर कदापि ना जाएँ।  पहले पैरेग्राफ  का संबंध दूसरे पैरों से होता है यदि पहला पैराग्राफ समझ में नहीं आया तो बाकी पैराग्राफ समझने भी दिक्क़ते होंगीं।
४- एक दिन में केवल एक अध्याय /टॉपिक ही पढ़ें
५- पढ़ते समय पुस्तक के किनारे नोट्स भी लिखिए जिससे पाठ दोहराते समय लाभ मिल सके
६- जो शब्द , वाक्य समझ में नहीं आये तो पाठ को आगे नहीं पढ़िए अपितु उन शब्दों या वाक्यों को समझिये तभी पाठ को आगे पढ़िए
७- यदि आवश्यक हो तो पथ को लिखिए जिससे पाठ आपके मस्तिष्क में चित्रित हो जाय
८- जो शब्द या वाक्य या कथ्य नए लगें उन्हें समझिये जब तक समझने नहीं पाठ आगे नहीं पढ़िए
९- नए कथ्य या शब्द को दो तीन बार स्वयं प्रयोग कीजिये जिससे वह आपके मानस पटल में चित्रांकित हो जाय
१०- पुस्तक के उस टोपिक को दो तीन बार दुहराएँ - टॉपिक पढ़ने के बाद, टहलते समय या खाली समय आदि
११ - जो पढ़ा उस विषय पर खूब सोचें और देखें कि क्या आपके दिमाग में कुछ नया भी आया है
१२ - कभी भी एक ही पुस्तक के दो टॉपिक एक दिन में नहीं पढ़ें
१२- दो या तीन विषयों के पृथक अध्याय पढ़ सकते हैं किन्तु एक दिन में तीन पुस्तकों के तीन अध्याय से अधिक कदापि न पढ़ें (पढ़ाई शुरू करने की प्रथम अवस्था में )
१३- याद रखें कि आपका चयन  एक दिन में दस अध्याय पढ़ने से नहीं होगा अपितु आपने कितना व किस तरह उत्तर दिया से आपका चयन होगा
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38 -
पुस्तक को तीसरी बार पढ़ने का अनुशीलन


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   पिछले अध्याय में पुस्तक को दूसरी बार  पढ़ने के बारे में चर्चा की गयी।  अब पुस्तक को तीसरी बार पढ़ने पर चर्चा की  है।
पुस्तक को पहली बार की तरह ही पढ़ना है
तीसरी बार भी एक दिन में एक ही अध्याय पढ़ें। एक ही टॉपिक पढ़ें।
तीसरी बार पुस्तक ऐसे पढ़ें जैसे पहली बार पढ़ रहे हों और उसे किसी उपन्यास या कथा जैसे ही पढ़ना है
आपको इसकी चिंता नहीं करनी है कि पाठ आपकी समझ में आ रहा है या नहीं।
पढ़ने की गति ना तो तेज हो ना ही मंद गति हो बल्कि सामन्य गति से ही आप पढ़िए
आपको आनंद से ही हर बार हर पंक्ति पढ़नी है।  आनंदहीन होकर पुस्तक को तीसरी बार क्या कभी भी ना पढ़िए
आप पाएंगे कि तीसरी बार पढ़ने में आपको अधिक आनंद आ रहा है। 
चूँकि आप पहले ही दो बार पढ़ चुके हैं तो आप पाएंगे कि विषय की स्पष्ट छाया आपके मन में बैठने लगी है।
आपको लगेगा कि विषय अब आपके मन में घर बनाने लग रहा है और आप विषय से प्रेम कर रहे हैं और विषय आपको प्रेम कर रहा है।
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39 -

वाचन के लिए तीन स्तरों का महत्व

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( गढवाल भ्रातृ मंडल (स्थापना -1928 ) , मुंबई  की मुहिम  –हर उत्तराखंडी  IAS बन सकता है )

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IAS/IRS/IFS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला  -39

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गढ़वाल भ्रातृ मण्डल हेतु प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती
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किसी भी पाठ को पढ़ने के लिए  स्तर आवश्यक हैं -
सूचना का स्तर -यह स्तर सतही होता है और मोटा मोटा खाका मस्तिष्क में बन जाता है. पाठक किस तरह व कितनी सूचना के प्रति सजग है अन्य स्तर उसी हिसाब से जन्मते  जाते हैं
ज्ञान स्तर -सूचना स्तर ही मस्तिष्क में ज्ञान स्तर को जन्म देता है। सूचना स्तर कितना  सघन है उसी हिसाब से ज्ञान भी मस्तिष्क में स्थान बनाता है।
आत्मसात स्तर - ज्ञान ने कितने सघन रूप में स्थान बनया है उसी हिसाब से पाठ भी  आत्मसात होता है
अगले पाठ में सभी स्तरों की विस्तृत चर्चा होगी।

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40-

 पाठ वाचन में सूचना स्तर का महत्व

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पिछले पाठ में हमने किसी भी ज्ञान प्राप्ति हेतु तीन स्तर की चर्चा की -
सूचना स्तर
ज्ञान स्तर
आत्मसात स्तर
     जब हम कोई भी पाठ वाचन करते हैं तो सर्वपर्थम  मन में सतही ज्ञान घर करता है और हम विषय के बारे में मोटा मोटा ज्ञान प्राप्त करते हैं।
  सूचना सदा टुकड़ों में होती हैं और हम सूचनाओं को आत्मसात किया ज्ञान मान लेते हैं।  जी नहीं सूचना या मोटा मोटा खाका ज्ञान नहीं हो सकता है। 
  सोचना पर भरोसा करने की  प्रवृति आपने टीवी डेबिट में न्यूज टीवी ऐंकरों व राजनैतिक प्रवक्ताओं को देखा होगा।  ये दोनों बिना ज्ञान के बहस करते हैं और ऐसा लगता है जैसे सारे संसार में ये ही ग्यानी हैं।  उथले ज्ञान से टीवी बहसों में भाग लिया जा सकता है , उथली सूचनाओं से दूसरे प्रवक्ता पर रौब डाला जा सकता है किन्तु उथली सूचनाओं के बल पर IAS नहीं बना जा सकता है।  अभ्यार्थी को सूचना स्तर (उथला ज्ञान ) का विकास कर ज्ञान स्तर तक पंहुचना आवश्यक है। इसके लिए पाठ या विषय से प्यार होना आवश्यक है और विषय को आपसे प्यार होना आवश्यक है। IAS परीक्षा में सफलता प्राप्ति हेतु समग्र ज्ञान आवश्यक है जिसके लिए सूचना स्तर एक आवश्यकतम प्रारम्भिक , आधारिक सीढ़ी है।


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41

पाठ वाचन में ज्ञान स्तर का महत्व


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  सूचना ज्ञान प्राप्ति हेतु केवल रौ मटीरियल होते हैं।  रौ मटीरियल रुपया सूचनाओं को सही तरह से प्रयोग क्र ही ज्ञान प्राप्ति होता है।  ज्ञान याने जो मस्तिष्क के स्मरण ,  विश्लेषण , संश्लेषण वाले कोष्ट में बैठ जाय। ज्ञान तोता रटंत से प्राप्त नहीं होता है अपितु विषय को सांगोपांग रूप से समझने से  होता है।  सामान्य परीक्षाएं रटने या सूचनाओं से पास की जा सकती हैं किन्तु IAS की परीक्षाएं ज्ञान प्राप्ति से ही पास की जा सकती हैं।  कुंए के पाने का ऊपरी  तल यदि सूचना स्तर है तो ज्ञान ऊपरी  तल से नीचे गहरा तल है। ज्ञान स्मरणीय होता है और सूचनाएं गैर स्मरणीय। किन्तु बगैर सूचनाओं को संकलित किये ज्ञान नहीं आता है।
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42
पाठ वाचन में आत्मसात या प्रज्ञा स्तर


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 वाचन में सर्व प्रथम सूचनाएं मन में जगह बनाती है।  यदि पाठक जिज्ञासु बन निम्न तरह से जिज्ञासु बन वाचन करता है तो वह  पाठ को कंठस्थ नहीं अपितु आत्मसात कार लेता है और जब जैसे आवश्यकता होती है वह उसे याद आ जाता है और आवश्यकतानुसार संश्लेषण -विश्लेषण वृति जागृत होकर वह  ततसंबंधी उत्तर भी खोज लेता है -
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सत्य के प्रति जिज्ञासा - यहां पर समग्र वाचन से ही सत्य प्राप्ति होगा
विषय के विशेष ज्ञान के प्रति जिज्ञासा
मनन करना
श्रद्धा से मनन करना
निष्ठा से विषय के प्रति श्रद्धा रखना
कार्य करना याने पढ़ते समय एकाग्रचित होना (वाह्य उत्तेजित करने वाले जैसे शराब , चरस , धूम्रपान आदि पदार्थों से दूर रहकर पढ़ना )
पढ़ते समय सुख की कामना में रहना
विषय के मूल में जाना ही आत्मसात करना होता है
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 यह पाठ कुछ कुछ दार्शनिक है क्योंकि यह सिद्धांत छांदोगेय उपनिषद से लिया गया है जिसे आज के मनोवैज्ञानिक  अलग अलग  रुप से व्याख्या करते हैं
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43

पहला अध्याय समझना महत्वपूर्ण है

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आमतौर पर विद्यार्थी व परीक्षार्थी किसी भी पुस्तक के प्रथम अध्याय के महत्व को सही तरह से नहीं समझते हैं।  पहला अध्याय आने वाले अध्यायों की नीव होता है।  नींव की अवहेलना कभी नहीं की जाती ही।  पहले अध्याय को सांगोपांग रूप से समझने से आगे के अध्यायों को समझने में सरलता होती है।  पहला अध्याय अगले अध्यायों हेतु कुंजी का काम करता है।


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44

अध्याय के मनोभाव को समझना आवश्यक है

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किसी भी पाठ की संकल्पना , धारणा या कंसेप्ट को सांगोपांग रूप से समझे बगैर पथ वाचन पूरा नहीं होता है अतः प्रत्येक पाठ /अध्याय की संकल्पना को समझिये तभी पाठ वाचन पूरा माना जाएगा। विषय की आत्मा ही धारणा है।  यह नियम कला विषय व विज्ञान विषय दोनों पर होता है।  हर अध्याय अन्य अध्यायों से जुड़ा होता है तो एक अध्याय के आधारभूत मनोभाव के समझने से दूसरे अध्याय जल्दी समझ में आ जाते हैं।  जैसे यदि आपको सही ज्ञान  हो कि किस सब्जी में क्या क्या रसायन  होता है तो आप समझ सकते हैं कि इस सब्जी से मानव या जंतु शरीर को क्या क्या लाभ मिल सकता है।   


45 
पाठों के मध्य परस्पर संबद्धता का महत्व


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 UPSC के सामान्य ज्ञान आदि को छोड़ अधिकतर विषय मानव स जुड़े होते हैं और एक पाठ अपने आप में अलग थलग नहीं होते हाँ बल्कि हर अध्याय दूसरे  हर अध्याय से जुड़ा होता है अतः परीक्षार्थी को हर पाठ का समग्रता पूर्वक अध्ययन करना आवश्यक है।
 इसी तरह एक विषय अपने आप में स्वयं विषय नहीं है बल्कि उस विषय का दूसरे विषयों से संबंध होता है।  जैसे ामाज शास्त्र का इतिहास , भूगोल व भाषा , मानव पलायन , प्रवास आदि से सीधा संबंध होता है।  राजनीति और युद्ध व युद्ध कला तो संबंधित होते ही  हैं।  यदि एक विषय का एक अध्याय आपने ठीक से नहीं पढ़ा तो वह कमी आपको किसी अन्य विषय में अवश्य खलेगी।  फिर एक विषय को दूसरे विषय से जोड़ने की क्षमता प्राप्ति भी आवश्यक है। पाठों का संबद्धीकरण कला सीखनी आवश्यक है।
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45
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पाठों के मध्य परस्पर संबद्धता का महत्व

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 UPSC के सामान्य ज्ञान आदि को छोड़ अधिकतर विषय मानव स जुड़े होते हैं और एक पाठ अपने आप में अलग थलग नहीं होते हाँ बल्कि हर अध्याय दूसरे  हर अध्याय से जुड़ा होता है अतः परीक्षार्थी को हर पाठ का समग्रता पूर्वक अध्ययन करना आवश्यक है।
 इसी तरह एक विषय अपने आप में स्वयं विषय नहीं है बल्कि उस विषय का दूसरे विषयों से संबंध होता है।  जैसे समाज  शास्त्र का इतिहास , भूगोल व भाषा , मानव पलायन -प्रवास आदि से सीधा संबंध होता है।  राजनीति और युद्ध व युद्ध कला तो संबंधित होते ही  हैं।  यदि एक विषय का एक अध्याय आपने ठीक से नहीं पढ़ा तो वह कमी आपको किसी अन्य विषय में अवश्य खलेगी।  फिर एक विषय को दूसरे विषय से जोड़ने की क्षमता प्राप्ति भी आवश्यक है। पाठों का संबद्धीकरण कला सीखनी आवश्यक है।
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पाठ /अध्याय का मन में मॉडल चित्र बनायें


   यूपीएससी परीक्षा के प्रसिद्ध सलाहकार डा विजय अग्रवाल ने वाचन में मॉडल बनाने की प्रभावकारी सलाह दी है।  डा अग्रवाल ने लिखा है कि पाठ का मस्तिष्क में चित्रांकन करने व मस्तिष्क में मॉडल बनाने में मुख्य अंतर् है कि चित्रांकन एक लघु टॉपिक में किया जाता है किन्तु मॉडल परिकल्पना विस्तृत रूप से किसी अध्याय समझने व गहन समझ हेतु किया जाता है।  मॉडल चित्रांकन मस्तिष्क में बड़े पैनोरामा चित्रांकन है।
 जैसे आप इतिहास में अकबर का अध्याय पढ़ रहे हों तो आपको अकबर के समय का चित्रांकन अपने मस्तिष्क में करना चाहिए जैसे - अकबर काल के महल , सेना , हथियार , सामाजिक विन्यास ,पहनावा , परिवहन , संवाद माध्यम , संवाद पंहुचाने के माध्यम , खान पान , भाषाएँ , भूगोल आदि की वृहद कल्पना करनी चाहिए और फिर अध्याय के हर टॉपिक को इन फॉर्मेट /मॉडल के साथ मिलान करते जाना होता है।  पाठ को वृहद आयाम मॉडल में परिवर्तित कर मस्तिष्क में चित्रण से आप विषयों को संबद्ध करने की कला में भी पारंगत होते जाएंगे।

  यदि समाजशास्त्र में गाँव का पाठ है तो जिस गांव को आप जानते हैं उसको मॉडल बनाकर उस पाठ का अध्ययन कीजिये।  पाठ को आपके मॉडल से संबद्ध करने से आपकी रचनाधर्मिता ही नहीं , आपकी विश्लेषण व संश्लेषण शक्ति में एकाएक वृद्धि होने लग जाएगी।  इस तरह पढ़ने से पाठ कम भुला जाता है और समय पर आवश्यकतानुसार याद भी आ जाता है।
   आप लोककथाएं याद रख लेते हैं क्योंकि अधिकतर आप उन लोककथाओं को मॉडल बनाकर सुनते हैं और मनन करते हैं। 
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Bhishma Kukreti:
Preparation for IAS Exam, UPSC exams
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सहायक पुस्तकों का अपना महत्व है

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( गढवाल भ्रातृ मंडल (स्थापना -1928 ) , मुंबई  की मुहिम  –हर उत्तराखंडी  IAS बन सकता है )

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IAS/IRS/IFS/IPS  कैसे बन सकते हैं श्रृंखला  -47

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गढ़वाल भ्रातृ मण्डल हेतु प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती
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   यद्यपि UPSC परीक्षा में सफल होने के लिए सैलेबस के हिसाब से अध्ययन आवश्यक है जिसके लिए बजार में हर विषय के लिए विशेषज्ञ लिखित पुस्तक उपलब्ध हैं।  किन्तु परीक्षार्थी को अपनी विश्लेष्णात्मक व संस्लेषणात्मक  शक्ति वर्धन हेतु कुछ सहायक पुस्तकों का अध्ययन भी आवश्यक है। 
    विशेष विषयी पुस्तकें परीक्षा हेतु लिखी पुस्तकों से अलग होती हैं किन्तु आपको विशेषता प्रदान करने में सहायक होती हैं।  जैसे इतिहास हेतु UPSC सेलेब्स की पुस्तक तो आवश्यक है ही किन्तु नेहरू जी लिखित पुस्तक डिस्कवरी ऑफ इंडिया आपको नई सोच दे देगा और आ अपनी परीक्षा में कुछ विशेष दे पाएंगे और आप परीक्षा निरीक्षक के हिसाब से विशेष माने जायेंगे। 
  विशेष पुस्तक आपको उत्तर लिखने में सरसटा  / जीवंतता प्रदान करने में सहायक होती हैं। 


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शेष IAS/IPS/IFS/IRS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला -  48में.....
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