बिष्ट ज्यू पैलगी. आपका बहुत बहुत स्वागत है।
अब मैं तो ठहरा गाडा-खेतों में तो मेरे को झम-झमा-झम झुमैलो जैसे गाने ज्यादा पसन्द आने वाले हुये। ऐसे ही और गाने जो सीधे पहाड़ के जन-जीवन से जुड़े हों आप कुछ ज्यादा बनायेंगे तो हम-सभी को अच्छा लगने वाला ठैरा। मैं और मेरे गांव वाले आपकी हर क्षेत्र में सफ़लता की ’मां सरस्वती’ से कामना करते हैं जी।