मैं नैनीताल मैं बढ़ी हुई हूँ. पहाड़ मैं थोड़ी बहुत घूमी भी हूँ. माता पिता गाँव से नैनीताल आये, और उन्होनें हमेशा कोशिश की की गाँव और उनके अतीत से हमारा सम्बन्ध बना रहे
मुझे लगता है की यह एक प्रमुख कारण है जिसकी वजह से, बम्बई में रहने के बावजूद, फिल्म लिखते समय मेरे मन मैं पहाड़ की छवि सबसे पहले आती है.
मैंने यूं ठान नहीं रखा है की बस पहाड़ पर ही लिखूंगी, पर मेरी दूसरी कहानी भी वहीं पर केन्द्रित है, यह स्वाभाविक रूप से हो रहा है.. शायद इस लिए भी की इस फिल्म के दौरान मैं शूटिंग के लिए वापस कुमाओं आयी.
बेला जी,
सबसे पहले ढेर साड़ी शुभकामनाये फिल्म की सफलता के लिए!
मेरा प्रशन है :
आप को पहाड़ के इस विषय पर फिल्म बनाने का ख्याल कैसे आया? क्या आने वाले समय में भी आप पहाड़ के पर केन्द्रित समस्यों पर फिल्मो का निर्माण करंगे ?