गौरा..
एक राजनैतिक व्यंगात्मक फ़िल्म है. जो गौरा के इर्द गिर्घ घुमती है ! गौरा मेरे पहाड़ की नारी का प्रतीक है राजनेता और राजनीती कितनी नीचे गिर गयी की वो अपने स्वार्थ के लिए कुछ भी कर सकती है.. गौरा उसी घिनौनी राजनीती का शिकार होती है ! इस में जोड़े सबी तंत्र जैसे एम् पी, विधायक जो राज सता के प्रतीक बिलोक का बी डी ओ व चोकी का पटवारी जो सरकारी तंत्र का प्रतीक है ! पंचम गौं का छोड़ भया नेता जो अपनी स्वार्थ के लिए लूथी जैसे गरीब को अपना सिकार बना कर उनकी बनी बनाई जिंदगी को उजाड़ देते है !
लूथी ने बिलाक से बैलो को खरीदने के लिए ६००० रुपये कर्जा लिए थे किसी कारन वो उन रुपये को वापस नही दे पाया ! गौं का पटवारी रबीदत्त विधयाक चट्टान सिंह का साल पंचुमु और बिलाक का बी डी ओ भवानी दत्त तीनो मिलकर लूथी की घरवाली गौरा को चौकी में बुलाते है.. उसके साथ घिनौनी हरकत कर उसे मार कर पेड पर लटका देते है ताकि ये साबित हो जाए की गौरा ने "फांस" खाई है ना की उसको किसे ने मार है !
पुलिस लूथी को सक के बेस पर बहुत तंग करती है. इसी बीच गौं का एक नौजवान अजय जो गडवाल विश्व विधालय में ला कर रहा है जो छात्र संघ का अध्यक्ष भी है , उसे पत्ता चलता है की असल में दोषी वो नही बल्कि रबिदुत्त , भवानी दत्त और पंचुमु है वो पुलिश से उनको पकड़ने को कहता है एसा न करने पर गडवाल बंद करने व आन्दोलोँ की धमकी देता है.. इधर एम् पी मथुरा दास और विधायक चटान सिंह में आपस में राजनीतिक रंजिश को लाकर रसा कस्सी चलती रहती है.. दोनों एक दुसरे को नीचा देखने के लिए कोई भी मौका हाथ से नही जाने देना चाहते !
जब मथुरा दस को पता चलता है की चटान सिंह का साला इस केश में सामिल है बस फिर तो मथुरा दास चटान की राजनैतिक हत्या करने पर जुगाड़ में अपनी गोटिया बीटाने में लग जाता है ! इधर भवानी दत्त मथुरा दस के पास पहुंचकर अपने को बचाने के लिए कहता है मथुरा दास उसे वो सरकारी गवाह बनाकर चटान को घेरने का पूरा पूरा खेल सुरु कर देता है चटान चुप चाप सब कुछ देखता रहता है और सोचता है काश मथुरा दास की उस चाल की कोई काट की कोई जुगाड़ उसे मिलजाए की तभी मथुरा दस का लड़का भुवन जो कालेज में पड़ रहा है अब उसकी गर्ल फ्रेंड त्रिप्ती , जो कभी अजय की दोस्त होअया करती थी वो उसके बचे की माँ बन जाती है ! भुवन को जब पत्ता चलता है तो वो अपने दोस्त के कहने पर उसके अबोर्सशन के लिए शहर की जानी मानी डाक्टर इंदु जो की चटान सिंह की बहिन है के पास जता है .. जब उसे पत्ता चलता है की वो मथुरा दस का लड़का है तो उससे सरे पेपर साइन करवाकर कल आने को बोलती है .. वो चट्टान को फ़ोन कर मिलाने को कहती है ! दोनों मिलते है वो उसे सारे प्रूफ़ देती है ! चट्टान सिंघको तो जैसे संजीवनी बूटी मिलगये थी वो
मथुरा दास पर उलटा वर करता है साथ में धमकी देता है.. की अगर वो कल १० बजे तक उसके पास ना आया तो ये ख़बर वो प्रेस को देदेगा.. ! मथुरा दस उसके पास जाता हीवो उससे कहता है .. तुम अगर प्रेस में जाते भो तो क्या होंगा? जायद से जयाद, दो चार दिन की बदनामी लकिन अगर पंचुमु वाला केश कोर्ट में गया तो तुम्हरी बादाम के साथ साथ पंचुमु को ता जिन्दगी की सजा भी होसती ही ! और साथ में वो एक सनसनी बात खुलासा चटान सिंह से करता है .. उसके पास सरकारी मकानों के निर्माण के दौरान उसके घपले की फाइल जो अजय जो गडवाल विश्व विद्यालया के अध्यक्ष पास से उनको वो जब चाये मंगवा कर लाकर पुलिश में देकर तुमको जेल भिजवा सकता है. चटान को एक सलाह देता है.. राजनीती में यहे अच्हा होंगा की तुम मरी पीठ खुजलाओ और मै तुमाहरी ! दोनों आपस में समझोता कर लेते है. साथ में अध्यक्ष को उसके अगेंस्ट जाल बुनकर उसको त्रिप्ती की हत्या जो कुछ दिन पूरब मथुरा के इशारों पर होई थी उसके के जुर्म में फसाने की कोशश करते है ! म्क़ठुरा दस उससे भी समझोता करवा ललिता है की वो उसके बारे में अपना मुह बंद रखे वरना टा जिन्दगी जेल में कटेगी ..!
कुल मिलाकर .. कहानी गौरा को लाकर शुरू होती है .. गौर और उसका मुदा कही खो सा जाता है सामने आता है घिनौनी राजनीती का घिनौना चेहरा !