Author Topic: "Tile Dharu Bola": Connecting Line - उत्तराखंडी गानों का सूत्र: "तिले धारु बोला"  (Read 37864 times)

Hem Bahuguna

  • Newbie
  • *
  • Posts: 12
  • Karma: +3/-0

THE SECRET OF "TEELE DHARU BOLA"

लेकिन तीले धारो बोला .........
kumauni या गढ़वाली गीतों की मात्र एक तुकबंदी नही है .यह उत्तराखंड के इतिहास का एक ऐसा दाग है जिसे मिटाना तो सरल नही है ;लेकिन भुलाया जा सकता है.कत्यूर राजवंश से तो सभी परिचित हैं .यह उत्तर भारत का एक शक्तिशाली हिंदू राजवंश था .कला ,संगीत और वास्तु के क्षेत्र मैं कत्युरों का योगदान स्मरणीय है.विनाश-काले विपरीत बुद्धि ....."इसी राजवंश के अन्तिम नरेश बरमदेव (कुछ इतिहासकारों के अनुसार बीरमदेव )ने तांत्रिकों के संपर्क मैं आकर अपनी मामी तिलोत्तमा के साथ तांत्रिक क्रिया संख्या ढाल के बहाने व्यभिचार  किया .जिसकी प्रतिक्रिया मैं तिलोत्मा ने आत्महत्या कर ली ..उस दिन से उपहास के रूप मैं कहा जाने लगा तीले धारो बोला ..........."कालांतर मैं मामी सब्द गायब हो गया ,और सिर्फ़  तीले धारो बोला .........प्रचालन मैं रह गया......     

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 2,865
  • Karma: +27/-0
Dhanyavaad Sir Itihaas ke is katu satya se humein parichit karane ke liye. Aasha karta hun aap aise hi aage bhi humara maargadarshan karte rahenge.

लेकिन तीले धारो बोला .........
kumauni या गढ़वाली गीतों की मात्र एक तुकबंदी नही है .यह उत्तराखंड के इतिहास का एक ऐसा दाग है जिसे मिटाना तो सरल नही है ;लेकिन भुलाया जा सकता है.कत्यूर राजवंश से तो सभी परिचित हैं .यह उत्तर भारत का एक शक्तिशाली हिंदू राजवंश था .कला ,संगीत और वास्तु के क्षेत्र मैं कत्युरों का योगदान स्मरणीय है.विनाश-काले विपरीत बुद्धि ....."इसी राजवंश के अन्तिम नरेश बरमदेव (कुछ इतिहासकारों के अनुसार बीरमदेव )ने तांत्रिकों के संपर्क मैं आकर अपनी मामी तिलोत्तमा के साथ तांत्रिक क्रिया संख्या ढाल के बहाने व्यभिचार  किया .जिसकी प्रतिक्रिया मैं तिलोत्मा ने आत्महत्या कर ली ..उस दिन से उपहास के रूप मैं कहा जाने लगा तीले धारो बोला ..........."कालांतर मैं मामी सब्द गायब हो गया ,और सिर्फ़  तीले धारो बोला .........प्रचालन मैं रह गया......     

Hem Bahuguna

  • Newbie
  • *
  • Posts: 12
  • Karma: +3/-0
कभी कभी हम बिना सोचे-समझे किसी चीज़ को भी स्वीकार कर लेते हैं.और फ़िर होता है उसका अन्धानुकरण ...लोक गीतों मैं अक्सर ऐसा होता है ...ये ही तीले धारो बोला..के मामले मैं भी हुवा होगा ..लेकिन जान बूझ कर तो आप मख्खी नही निगल सकते ?   तीले धारो बोला की उत्त्पत्ति कत्युरी वंश के पतन से जुडी हुयी है ...एकबात और ये बरम देव(या बिर्मुवा) महान रानी जिया रानी का पुत्र था ..इसका एक भाई धामदेव था वह अपनी माता जिया के साथ मिलकर तुर्कों से लड़ा और वीरगति को प्राप्त हुआ ...लेकिन बीर्मुवा  तांत्रिक कराली के सम्पर्क मैं आकर लोकोपवाद में जनता के बीच अपना सम्मान खो बैठा ...बीरम देव ने अपनी पालकी ढ़ोने वाले कहारों के कन्धों में आर-पार लोहे के कुंदे फंसवा दिए थे और उन कुंडों पालकी फसाई जाती थी ;उसे डर था की कही कहार उसे पहाड़ से नीचे न फेंख दें...लेकिन जब उसका अत्याचार बढता गया तो कत्यूर (कार्तिकेय पुर)से पाली को जाते हुए दो साहसी युवा कहारों ने अपनी जान की बाजी लगाकर पालकी के साथ पहाड़ की चोटी से कूद मारकर बीरम देव और उसके अत्याचारों का अंत कर दिया ..उसकी लाश पच्ष्मी रामगंगा में फेकी गयी और उस क्षेत्र में ये लोक देवता के रूप में पूजा जाने लगा ..लोक विश्वास के अनुसार जहाँ बरमदेव का भूत पूजा जाता है वहां चंद राजाओं के भूत नही आते हैं...            

प्रहलाद तडियाल

  • Jr. Member
  • **
  • Posts: 61
  • Karma: +4/-0
धन्यबाद हेम दा बहुत अछे जानकारी दी आपने

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 2,865
  • Karma: +27/-0
+1 karma is jaankaari ke liye Hem ji.

कभी कभी हम बिना सोचे-समझे किसी चीज़ को भी स्वीकार कर लेते हैं.और फ़िर होता है उसका अन्धानुकरण ...लोक गीतों मैं अक्सर ऐसा होता है ...ये ही तीले धारो बोला..के मामले मैं भी हुवा होगा ..लेकिन जान बूझ कर तो आप मख्खी नही निगल सकते ?   तीले धारो बोला की उत्त्पत्ति कत्युरी वंश के पतन से जुडी हुयी है ...एकबात और ये बरम देव(या बिर्मुवा) महान रानी जिया रानी का पुत्र था ..इसका एक भाई धामदेव था वह अपनी माता जिया के साथ मिलकर तुर्कों से लड़ा और वीरगति को प्राप्त हुआ ...लेकिन बीर्मुवा  तांत्रिक कराली के सम्पर्क मैं आकर लोकोपवाद में जनता के बीच अपना सम्मान खो बैठा ...बीरम देव ने अपनी पालकी ढ़ोने वाले कहारों के कन्धों में आर-पार लोहे के कुंदे फंसवा दिए थे और उन कुंडों पालकी फसाई जाती थी ;उसे डर था की कही कहार उसे पहाड़ से नीचे न फेंख दें...लेकिन जब उसका अत्याचार बढता गया तो कत्यूर (कार्तिकेय पुर)से पाली को जाते हुए दो साहसी युवा कहारों ने अपनी जान की बाजी लगाकर पालकी के साथ पहाड़ की चोटी से कूद मारकर बीरम देव और उसके अत्याचारों का अंत कर दिया ..उसकी लाश पच्ष्मी रामगंगा में फेकी गयी और उस क्षेत्र में ये लोक देवता के रूप में पूजा जाने लगा ..लोक विश्वास के अनुसार जहाँ बरमदेव का भूत पूजा जाता है वहां चंद राजाओं के भूत नही आते हैं...             

Hem Bahuguna

  • Newbie
  • *
  • Posts: 12
  • Karma: +3/-0
मेरी कोशिश रहेगी कि इस बारे में तथ्य परक जानकारी आपके सामने लाऊ .फ़िर भी जो हो गया उसे भूलकर आगे से हम "तीले धारो बोला ......"का प्रयोग अपने गीतों में न भी करें तो कुछ नुक्सान नही होने वाला .
.. "तीले धारो बोला ......"से भी अच्छी तुकबंदी खोजी जा सकती है ....अतीत के स्वर्णिम पन्नो में बहुत कुछ है ;तो कलंकित सन्दर्भों का प्रयोग क्यो?
शुरुवात में ये तुकबंदी "मामी  तीले=तिलोत्मा नामक मामी
                  धारो =रखेल /रखना /धारण करना  
                  बोला =रे ...बालक ..ऐसा हुआ था ....
के रूप में प्रचलित हुयी होगी ..कालांतर में "मामी"शब्द लुप्त हो गया और सिर्फ़  "तीले धारो बोला ......"प्रचलन.. में रह गया ..
अधिक जानकारी के लिए देखे ..
कुमाओं का इतिहास :बद्री दत्त पांडे :१९३८:अल्मोरा बुक डिपो .
कुमाओं :राहुल सान्क्र्तायन .
आधारशिला जुलाई २००७:संपादक दिवाकर भट्ट :हल्द्वानी :१६-२६:डा.    शोभाराम शर्मा

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Bahut-2  Dhayna baad hem Ji.. ... ..

We will even ask many people to know what else is associated with this fact.

खीमसिंह रावत

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 801
  • Karma: +11/-0
Quote from: Pankaj/पंकज सिंह महर

 [/b


तीलै - तुम या तुमने
धारू - रखा (धरा)
बोला - वचन


अर्थात "तुमने मेरे वचनों की लाज रखी"
वैसे इस स्लैंग का प्रयोग हमारे गीतकार अब कहीं भी गीत पूरा करने के लिये करने लगे हैं.
[/quote]
[/b]

तीलै - तुम या तुमने
धारू - रखा (धरा)
बोला - वचन


अर्थात "तुमने मेरे वचनों की लाज रखी"
वैसे इस स्लैंग का प्रयोग हमारे गीतकार अब कहीं भी गीत पूरा करने के लिये करने लगे हैं.
[/quote]

महाराज अगर इसका इतना उल्टा अर्थ है तो हमारे गीतकारों ने इसको क्यो इतना प्रयोग किया /
अगर "मामी तिले धारो बोला" है तो मेरे ख्याल से इसका अर्थ पहाड़ के ज्यादातर लोगो को पता नही है और लोगो को इसका अर्थ सार्थक रूप में पता है

बुराडी में उत्तरैनी कौत्तिक २००५ के आयोजन में हमारे गीतकार और गायक श्री चन्द्र सिंह राही जी ने भी इसका अर्थ पंकज मेहर जी की तरह बताया /

Pawan Pahari/पवन पहाडी

  • Full Member
  • ***
  • Posts: 115
  • Karma: +1/-0
Pahle to sabhi uttarakhandi mitro ko mera namaskar....... Mehtaji phir bhi "TILE DHARU BOLA" clear nahi hua . main bhi laga hoon pata karne main.... mujhe pata chalega to main bhi bataunga..........

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

Pawan Da,

This is new turn in this story which was not known to people as most of us have not gone through the book written by Shree B D Pandey Ji.

We have been asking people time to time specially who are into music field. I am going to clarify this once againwith Negi Ji.

See what he says then i will let u know.



Pahle to sabhi uttarakhandi mitro ko mera namaskar....... Mehtaji phir bhi "TILE DHARU BOLA" clear nahi hua . main bhi laga hoon pata karne main.... mujhe pata chalega to main bhi bataunga..........

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22