Author Topic: "Tile Dharu Bola": Connecting Line - उत्तराखंडी गानों का सूत्र: "तिले धारु बोला"  (Read 37881 times)

Risky Pathak

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Ye Lines, Garhwali aur Kumauni Lok Gaayko dwaara equally istemaal kee gyi hai... and Katyuri rajvansh me hi  both kumaun and garhwal 1 hi ruler ke under the. So Bahuguna jee ki baat sahi bhi ho sakti hai.

पंकज सिंह महर

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मैं यही बात कह रहा हूं, हम लोग जितने भी इस विषय के बारे में बात कर रहें हैं, सभी को अपनी स्थानीय भाषा का तो ग्यान है ही। इसका शाब्दिक अर्थ मैंने कहीं से नहीं खोजा या किसी विद्वान से नहीं पूछा, जो हमारी बोली-भाषा में उसका अर्थ निकलता है, उसके आधार पर मैंने फोरम को इसके अर्थ से अवगत कराया है। इन शब्दों का अर्थ हमारे यहां निम्न प्रकार से है-

तीलै- तुमुकें, त्वीले, तैंले, त्येन
धारु- धरौ, धरीछ
बोला- बोल, वचन, शब्द


इन सबको मिलाकर बना, तुमने मेरे वचनों की लाज रखी, SIMPLE

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मैं यही बात कह रहा हूं, हम लोग जितने भी इस विषय के बारे में बात कर रहें हैं, सभी को अपनी स्थानीय भाषा का तो ग्यान है ही। इसका शाब्दिक अर्थ मैंने कहीं से नहीं खोजा या किसी विद्वान से नहीं पूछा, जो हमारी बोली-भाषा में उसका अर्थ निकलता है, उसके आधार पर मैंने फोरम को इसके अर्थ से अवगत कराया है। इन शब्दों का अर्थ हमारे यहां निम्न प्रकार से है-
तीलै- तुमुकें, त्वीले, तैंले, त्येन
धारु- धरौ, धरीछ
बोला- बोल, वचन, शब्द

इन सबको मिलाकर बना, तुमने मेरे वचनों की लाज रखी, SIMPLE


Mahar Ji,

As per word to word meaning of this sentence is concerned, it is perfectly OK. As per hisotry, the story is quite different.  May in those days, this sentence was popular in bad ways but when it came into the music it became as a main formula of our folk song.

The debate on this subject may strech even further let us find views of some other people in this regard.

पंकज सिंह महर

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Mahar Ji,

As per word to word meaning of this sentence is concerned, it is perfectly OK. As per hisotry, the story is quite different.  May in those days, this sentence was popular in bad ways but when it came into the music it became as a main formula of our folk song.

The debate on this subject may strech even further let us find views of some other people in this regard.

मेहता जी, मैंने पहले भी कहा है कि कोई भी सभ्यता या संस्कृति अपने काले अध्याय को याद नहीं करना चाहती, और कोई भी गलत स्लैंग लोग इस्तेमाल नहीं करते।
     आपके जीवन में भी कूछ ऎसी घटनायें घटित हुई होंगी, जो गलत होंगी, तो आप उसे न तो याद करना चाहेंगे और न किसी से शेयर।

Girdhar Joshi

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Mehta ji me bhi mahr ji aur meena paney ji kibaat se puri tarah sahmat hu ki "KOI BHI HISTORY AUR SABHYTA APNE KALE ITIHAS KO ITNE ASANSKRIT ROOP SE NAHI VYAKAT KAR SAKTI" Hamari hindu sanskriti/sabhyta me hi aise kai ghatnaye hui hai jinhe usi swaroop me vyakat karna samaj ke hit me nahi tha to itihas karo ne use kuch alag tarike se likha hai. me ye nahi kahta hu ki aap ka addhyayan sahi nahi hai. parantu agar ham mithak ke pichhe na jakar sabdik arthon ke pichhe jaye to sayad me ye samajhta hu ki samaj ke hit me wahi uchit hoga.

kyoki koi bhi sahitya isiliye likha jata hai ki samaj ko kuch achchhaee, kuch gyan mile.

Girdhar Joshi

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Jaha tak lok sangeet me TILE DHARO BOLA k bar bar upyog hone ki bat hai to ..............ye vasie hi ho sakta hai jaise gadwali me 'BAL' or Nepali me 'BAR' hota hai. Ek sambodhan us priye k liye JISNE VACHNO KI LAZ RAKHI HO(MAY BE: A WAY TO SAY THANKS )

Tile dharo bola sabashi mero motiya balda
(may be: Motiya bail ka dhanybad ki tune mere vachno ki laz rakhi)


waise bhi hamari pahadi lok sanskriti me kisi bhi gane ke sath jod " pahadi me bhag puryuna" ki parampara pahle se hi hai to menna ji ki uprokt baat kafi had tak satya ki aur le jati hai .

Uttarakhand Admin

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कुमाऊं का इतिहास : पेज 212 से उद्घृत

" राजा वीरदेव ने तो यहां तक अत्याचार कर प्रजा को चिढ़ाया कि अपनी मामी से जबरदस्ती विवाह कर लिया। कहते हैं कि "मामी तिले धारो बोला" वाला कुमय्याँ ग्रामीण राग उसी दिन से चल पड़ा। मामी का नाम तिला उर्फ़ तिलोत्तमा देवी था। राजा वीरदेव ने मामी से व्याभिचार कर अपने पाप के घड़े को भरा "

लेकिन मेरे को लगता है और जैसा पंकज जी ने कहा कि अधिकतर गीतकार इसको उन्ही अर्थों में प्रयोग करते हैं जिसकी चर्चा हम कर चुके हैं। इसको प्रयोग करने वाले अधिकतर लोग इस ऐतिहासिक घटना से परिचित भी नहीं होगें।क्योंकि बद्री दत्त पांडे जी ने भी लिखा "कहते हैं" यानि वह भी शत प्रतिशत इससे सहमत नहीं हैं।

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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Ji Sir main bhi Pankaj ji ke kathan se sahmat hun.

कुमाऊं का इतिहास : पेज 212 से उद्घृत

" राजा वीरदेव ने तो यहां तक अत्याचार कर प्रजा को चिढ़ाया कि अपनी मामी से जबरदस्ती विवाह कर लिया। कहते हैं कि "मामी तिले धारो बोला" वाला कुमय्याँ ग्रामीण राग उसी दिन से चल पड़ा। मामी का नाम तिला उर्फ़ तिलोत्तमा देवी था। राजा वीरदेव ने मामी से व्याभिचार कर अपने पाप के घड़े को भरा "

लेकिन मेरे को लगता है और जैसा पंकज जी ने कहा कि अधिकतर गीतकार इसको उन्ही अर्थों में प्रयोग करते हैं जिसकी चर्चा हम कर चुके हैं। इसको प्रयोग करने वाले अधिकतर लोग इस ऐतिहासिक घटना से परिचित भी नहीं होगें।क्योंकि बद्री दत्त पांडे जी ने भी लिखा "कहते हैं" यानि वह भी शत प्रतिशत इससे सहमत नहीं हैं।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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दोस्तों,

यह बहस तब तक चलती रहेगी जब तक इसके कोई ठोस सबूत न मिले !  इस तीले धारू बोला के शब्द to शब्द अर्थ विल्कुल सही है पर यह कैसे उत्तराखंड के लोग संगीत मे आया यह अभी भी आया यह अभी भी एक रहस्य है ! 

बद्री दत्त पाण्डेय जी के इतिहास के वर्णन के हिसाब से यह शब्द समाज के लिए याद रखने लायक नही है ! पर जिस दंग से गानों मे इस इस्तेमाल किया जाता है वह केवल गानों के लाइन को मिलाने के लिए किया जाता है ! जैसे मे कुछ गाने लिख रहा हूँ.

तीले  - तूने
धारू -  रखा
बोला -  बोल

यानी तूने मेरे बचनो का सम्मान / बोल रखे !

अब गाना -

  १)   तीले धारू बोला, शाबासी मेरो मोतिया बल्दों
    नौ रुपया का मोतिया बल्दों, सौ रुपिया सीग
   शाबासी मेरो मोतिया बल्दों
 
 २)  तीले धारू बोला रे
    नौचामी नारायणा,
      खलबली नारायणा रे,
      नौचामी नारायणा

 ३)  तीले धारू बोला
    हे लीला घस्यारी

४)    तीले धारू बोला
     मधुली हीरा हीर मधुली
     बाज काटी उना मधुली हीरा हीर मधुली

बहुत और इस प्रकार के गाने है !

Meena Pandey

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ये वैसा ही 'कहते है " है जैसे ---------
'पुर पुताई पु' की कथा के बारे में कहते है 'काफल पाको मेल नि चाखो'  और अन्य कुमाऊ/ गडवाल में प्रचलित कथाए!
लोकगीतों का कोई गीतकार नही होता वो स्वतः लोक के रोज मर्रा के व्यव्हार ,  हर्षो उल्लास से उपजते है !इसलिए कहना कठिन है की पहले लोग  इस कथा से इतने प्रभावित हुए की 'तिले धारों बोला'  एक चिरंजीव गीत उक्ति बन गया या फ़िर पहले लोगो ने अर्थ पूर्ण ढंग से इसका प्रयोग किया और बाद में जब ये प्रचलीत हुआ तो इससे  जुड़ी कथाए लोक में गडी जाने लगी?????????
कुमाऊं का इतिहास : पेज 212 से उद्घृत

" राजा वीरदेव ने तो यहां तक अत्याचार कर प्रजा को चिढ़ाया कि अपनी मामी से जबरदस्ती विवाह कर लिया। कहते हैं कि "मामी तिले धारो बोला" वाला कुमय्याँ ग्रामीण राग उसी दिन से चल पड़ा। मामी का नाम तिला उर्फ़ तिलोत्तमा देवी था। राजा वीरदेव ने मामी से व्याभिचार कर अपने पाप के घड़े को भरा "

लेकिन मेरे को लगता है और जैसा पंकज जी ने कहा कि अधिकतर गीतकार इसको उन्ही अर्थों में प्रयोग करते हैं जिसकी चर्चा हम कर चुके हैं। इसको प्रयोग करने वाले अधिकतर लोग इस ऐतिहासिक घटना से परिचित भी नहीं होगें।क्योंकि बद्री दत्त पांडे जी ने भी लिखा "कहते हैं" यानि वह भी शत प्रतिशत इससे सहमत नहीं हैं।

 

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