पोथियो,
इस पर बहुत वाद-विवाद कर लिया ठेरा, तुम लोगों ने। अब एक बतकौ मैं भी कहता हूं कि
तीलै का मतलब ठेरा- तूने
धारु का मतलब ठेरा- धरना, रखना
बोला का मतलब ठेरा- बोल-वचन
मिलाकर के क्या हुआ "तूने मेरे वचनों की लाज रखी"
आब्ब मेरे ठुल नाती महिपाल का कहना ठेरा कि गीतों में इसका मतलब फिट नहीं बैठ रहा है करके। वो भी ठीक ही कह रहा ठेरा.......कोई चीज समाज में वाक्य-सूत्र के रुप में प्रचलित ठेरी और कोई उसका उपयोग कहीं कर दे, तो हम क्या कर सकने वाले ठेरे।
उसक्ये एक बात तो माननी पड़ेगी कि अछ्यालन के हमारे गीतकार लोगों के गीतों का जड़-टुक कुछ भी नहीं ठेरा। कत्ती ल भी वो कुछ भी जोड़ देने वाले ठेरे।
अछयालन एक और ट्रेंड और आया ठेरा...पतली आवाज में गा रहे हैं और आवाज की मिठास कहां सुनाई देने वाली ठेरी आब.....सिर्फ इलेक्ट्रिक वाद्य यंत्रों की ढवांव-ढवांग सुनाई पड़ रही ठेरी।
हेम बहुगुणा ने भी अपन तर्क रखा, लेकिन उसका कोई प्रमाण नहीं है। दिनेश जी ने भी इसकी व्याख्या की, लेकिन सही अर्थ हमारी बोली के हिसाब से वही ठेरा, जो पंकज नाती ने पहले ही बताया है।
मैंने अपनी बात तो रख दी है फिर, वैसे मैं तो ठेरा उत्तराखण्डी भुस्स, काला अक्षर बल्द बराबर ठेरा, मेरे लिये। तुम लोग ठेरे पढ़े-लिखे।