यह उत्तराखंड का सबसे प्रसिद्ध गाना है लेकिन यह ग़लत दंग से प्रचलित हो गया है : बेडो ( एक फल) पाको ( पकता है) बाडो मासा ( साल का सबसे बड़ा महिना जेठ) ना कि बारो मासा ( यानी सालभर) काफल पाको चैता (काफल चैत के महीने मे पकता है ) मेरी छैला ( अपने किसी प्रिय को याद करना) तो यह गाना मे लोग समझते है कि बेडो साल भर पकता है जो कि ग़लत है! बेडो सिर्फ़ जेठ के महीना जो कि बाडो मासा (बड़ा महिना) मे पकता है !
Quote from: एम् एस मेहता /M S Mehta on September 02, 2008, 10:42:46 AMयह उत्तराखंड का सबसे प्रसिद्ध गाना है लेकिन यह ग़लत दंग से प्रचलित हो गया है : बेडो ( एक फल) पाको ( पकता है) बाडो मासा ( साल का सबसे बड़ा महिना जेठ) ना कि बारो मासा ( यानी सालभर) काफल पाको चैता (काफल चैत के महीने मे पकता है ) मेरी छैला ( अपने किसी प्रिय को याद करना) तो यह गाना मे लोग समझते है कि बेडो साल भर पकता है जो कि ग़लत है! बेडो सिर्फ़ जेठ के महीना जो कि बाडो मासा (बड़ा महिना) मे पकता है !ओऽऽऽहो, मेहता जी, ये किसने कह दिया कि बेडू सिर्फ जेठ के महीने में ही पकता है, बेड़ू एक ऎसा फल है जिसमें बारोमास फल आते हैं और पकते रहते हैं। लेकिन आदमी के खाने लायक पुष्ट फल जेठ में ही पकते हैं, सो जेठ में खाये जाते हैं। बुजुर्गवारों का कहना है कि जेठ में ही इंसानों को बेड़ू का फल खाना चाहिये और बाकी समय का चिड़ियाओं के लिये छोड़ देना चाहिये। बेड़ू ही नहीं कई अन्य फल-फूल और वनस्पतियां भी बारामास या सदाबहार होती हैं, मेरे घर पर एक कागजी नीबू और मिर्च का पेड़ है, जिसपर बारोमास फल लगते रहते हैं, साथ ही हमारे बाड़ में कई बेड़ू के पेड़ भी हैं, जिनको बारोमास पकते और चिड़ियाओं को खाते मैंने खुद देखा है। साथ ही बड़मास जैसा शब्द मैने तो नहीं सुना.........
Maine Bhi Ye suna hai ki Bedu 12 mahine nahi pakta.