Author Topic: Chholiya Dance - छोलिया नृत्य: युद्ध का प्रतीक नृत्य  (Read 90684 times)

kundan singh kulyal

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छलिया नृत्य हमारे पहाड़ों सबसे लोकप्रिय हैं खास तौर पर शादी विवाह के मौके पर परन्तु आज समय बदलता जा रहा हैं खास तौर मैं शहरी इलाकों मैं जहाँ बैण्ड बाजों ने इसकी जगह ले ली हैं आज का युवा पहाड़ी निर्त्य भूल चुका हैं पंजाबी भांगड़ा या फिर फ़िल्मी धुन मैं नाचने मैं अपनी शान समझाने लगा हैं पिचले दिन चम्पावत मैं एक मित्र की शादी की पार्टी मैं गया था वहां डीजे मैं हिंदी या फिर पंजाबी गाने ही बज रहे थे मैंने अपने एक मित्र से पूछा पहाड़ी गाने क्यों नहीं लग रहे हैं उनका उत्तर था मैं आजकल कौन नाचता हैं पहाड़ी गानों मैं अब लोग मोर्डन हो चुके हैं एक आप हो आज भी पुराने ज़माने मैं जी रहे हो मैं मन ही मन ये सोचने लगा क्या पंजाबी लोग नाचंगे क्या पहाड़ी गानों मैं या फिर गुजरती मराठी जब हम लोग ही अपने संगीत को नकार रहे हैं तो कौन बचाएगा हमारी धरोहरों को जिस पर हमारे पूर्वज नाज किया करते थे इस बीच मै अपनी लाधिया घाटी मैं भी कई शादियों मैं गया वहां देखकर कुछ सकून हुवा सभी शादियों मैं छलिया नृत्य देखने को मिला डीजे मैं भी पहाड़ी गाने बज रहे थे..... 

हेम पन्त

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