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Music of Uttarakhand - उत्तराखण्ड का लोक संगीत
(Moderators:
Mukesh Joshi
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Meena Rawat
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Chholiya Dance - छोलिया नृत्य: युद्ध का प्रतीक नृत्य
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Topic: Chholiya Dance - छोलिया नृत्य: युद्ध का प्रतीक नृत्य (Read 88956 times)
हेम पन्त
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छोलिया महोत्सव की वेबसाइट : www.ChhaliyaMahotsava.com
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Reply #80 on:
December 21, 2010, 02:41:17 AM »
पिछले कई सालों से उत्तराखण्ड के सूदूर जिले पिथौरागढ में मनाया जा रहा "छलिया महोत्सव" अब राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है... इस आयोजन के बारे में आप नयी वेबसाइट पर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं-
http://www.chhaliyamahotsava.com
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हेम पन्त
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Re: Chholiya Dance - छोलिया नृत्य: युद्ध का प्रतीक नृत्य
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Reply #81 on:
January 04, 2011, 07:19:59 AM »
Photo - Dipankar Karki
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हेम पन्त
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Re: Chholiya Dance - छोलिया नृत्य: युद्ध का प्रतीक नृत्य
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Reply #82 on:
January 04, 2011, 07:26:33 AM »
1 जनवरी 2011 को दिल्ली में आयोजित "म्यर उत्तराखण्ड ग्रुप" के चतुर्थ वार्षिक समारोह में छलिया दल..
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Devbhoomi,Uttarakhand
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Re: Chholiya Dance - छोलिया नृत्य: युद्ध का प्रतीक नृत्य
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Reply #83 on:
March 02, 2011, 03:58:10 PM »
kumouni traditional dance
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720
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Re: Chholiya Dance - छोलिया नृत्य: युद्ध का प्रतीक नृत्य
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Reply #84 on:
March 04, 2011, 12:16:15 AM »
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720
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Re: Chholiya Dance - छोलिया नृत्य: युद्ध का प्रतीक नृत्य
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Reply #85 on:
March 04, 2011, 12:17:43 AM »
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पंकज सिंह महर
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Re: Chholiya Dance - छोलिया नृत्य: युद्ध का प्रतीक नृत्य
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Reply #86 on:
March 16, 2011, 10:01:31 AM »
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Devbhoomi,Uttarakhand
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Re: Chholiya Dance - छोलिया नृत्य: युद्ध का प्रतीक नृत्य
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Reply #87 on:
April 16, 2011, 10:36:38 PM »
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720
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Re: Chholiya Dance - छोलिया नृत्य: युद्ध का प्रतीक नृत्य
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Reply #88 on:
July 05, 2011, 05:16:42 AM »
कुमाऊँ का लोक नृत्य: छोलिया
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उदय किरौला
on June 8, 2010
विभिन्न अंचलों के अपने-अपने लोकनृत्य होते हैं। कुमाऊँ का लोकनृत्य छोलिया नृत्य कहा जाता है। इस नृत्य को करने वालों को छोल्यार कहा जाता है। यह नृत्य प्रायः पुरुषों द्वारा किया जाता है। यह नृत्य यहाँ श्रृंगार व वीर रस दो रूपों में देखने को मिलता है।
कुमाऊँ के पाली पछाऊँ में प्रचलित छोलिया नृत्य नगाड़े की थाप पर होता है। सफेद चूड़ीदार पजामा और लम्बा चोला, सिर पर सफेद पगड़ी आदि पारम्परिक परिधान अब नहीं पहने जाते अलबत्ता सफेद कपड़े अभी भी छोल्यार पहनते हैं। छोल्यारों के पास लंबी-लंबी तलवारें होती हैं। हाथ में होता है गेंडे की खाल से बना बड़ा ढाल। नगाड़े की थाप पर छोल्यार खूब थिरकते हैं। युद्ध की कला स्पष्ट होती है। एक दूसरे पर तलवार से वार और बचाव। इस युद्ध को नृत्य युद्ध या शस्त्र युद्ध भी कहा जा सकता है। स्थानीय भाषा में इस युद्ध को ‘सरकार’ कहा जाता है।
ढाल-तलवार के इस युद्ध में छोल्यार अपने हाव-भाव से एक दूसरे को छेड़ने, चिढ़ाने, उकसाने के साथ ही भय व खुशी के भाव आकर्षक ढंग से प्रस्तुत करते हैं। इस नृत्य में गायन नहीं होता अपितु नगाड़े की थाप पर कभी धीरे-धीरे तो कभी-कभी तेज गति से यह नृत्य होता है। यह नृत्य केवल प्रशिक्षित व्यक्ति ही कर सकता है। इस नृत्य में प्रायः दो लोग जोड़ी में अपना करतब दिखाते हैं परन्तु द्वाराहाट के स्याल्दे-बिखौती मेले में एक साथ 3 या 4 जोड़े भी एक साथ इस नृत्य को करते हैं। सभी प्रशिक्षित होते हैं इसलिये एक सा नृत्य करते हैं। बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि यह नृत्य राजाओं का नृत्य है जो वीर रस का प्रतीक है।
इस नृत्य में नगाड़ा, दमुवा, रणसिंग व भेरी बजाने वाले होते हैं जो कि पारम्परिक रूप से इस व्यवसाय से जुड़े हैं, दूसरी ओर तलवार और ढाल से छोलिया नृत्य करने वाले छोल्यार अपनी दूसरी आजीविका में व्यस्त रहते हैं। मेले व विवाह समारोहों में तो अब इसका प्रचलन कम ही हो गया है। अब बजाने वाले जानकार भी कम होते जा रहे हैं। अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ व चंपावत में छोलिया नृत्य ढोल व दमुवे की थाप पर होता है। यहाँ के छोलिया नृतक रंग-विरंगे परिधान में रहते हैं। यहाँ ढोल बजाने वाला भी आकर्षक कपड़े पहनता है। वह ऊपर-नीचे विभिन्न मुद्राओं में ढोल के साथ नृत्य करता है। छोलिया नृत्य करने वाले कलाकारों के हाथ में छोटी तलवार व कांसे की ढाल होती हैं। इस छोलिया नृत्य में वीर रस का पुट होते हुए भी श्रृंगार रस की प्रधानता होती है। बताया जाता है कि यह नृत्य चंद राजाओं के समय से यहाँ प्रारम्भ हुआ। पहले यह राजा सोमचंद के विवाह अवसर पर हुआ। आज यह नृत्य काफी प्रचलन में है। बैंड बाजे के वर्तमान दौर में भी छोलिया टीम को लोग जरूर बुलाते हैं। छोलिया टीम ने अब इसे आकर्षक बनाया है। छोलिया टीम अब केवल पहाड़ ही नहीं देश के विभिन्न क्षेत्रों में अपने करतब दिखाकर वाहवाही लूट रही है।
इस नृत्य के बारे में और जानने व इसकी फोटो और वीडियो के लिये क्लिक करें।
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हेम पन्त
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Re: Chholiya Dance - छोलिया नृत्य: युद्ध का प्रतीक नृत्य
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Reply #89 on:
November 13, 2011, 01:38:48 AM »
मुनस्यारी में छोलिया दल...
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