पठ, तुकबंदी यानि जोड़ के बिना पहाडी गीतों में वो आनंद कहाँ / गीतों में निरंतरता बनाये रखने के लिए जोडो का प्रयोग होता है / हमारे जोडो की एक बिशेषता यह है कि एक ही जोड़ के पहले मुखड़े को कोई भी गीतकार अपने गीतों में कर सकता है / जैसे
माछी क रगता, तू मेरी जोग्याणा हाली मै तेरो भगता/
दातुले कि धारा,
तिमिली को पाता,
तिले धरो बोला,
ओसाई को रेटा,
लूण भरो दूँण,
इतियादी - इतियादी
khim