Uttarakhand > Music of Uttarakhand - उत्तराखण्ड का लोक संगीत
Famous Folk Singer Veena Tiwari - वीना तिवारी प्रसिद्ध लोक गायिका
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
दोस्तों,
आज हम जानकारी दे रहे है एक ऐसी लोक गायिका का जिनका उत्तराखंड के लोक संगीत में बहुत बड़ा योगदान रहा है! एक समय था जब लोग आकाशवाणी में उत्तराखंड के लोक गीत सुनने के लिए एक निश्चित समय पर रेडिओ टियूंन करते थे और पहाड़ी गीतों में आनंद लिया करते थे! आज समय का बदलाव के कारण रेडियो का प्रचलन कम हो गया है लेकिन वो लोक गीत अभी जी लोक जरुर गुनगुनाते है! हम बात कर रहते है वीना तिवारी जी के जिन्होंने आकाशवाणी में बहुत लोकप्रिय गीत गाये है! जैसे पहाड़ १) यो बाटो का जाणी होल 2) आ लि लि बाकुरी ली ली ३) संध्या झूली गे आदि!
हम इस टोपिक बीना जी गये गीतों के बारे में जानकारी दंगे!
Veena Tiwari Ji Email-id veenatiwari48@gmail.com
एम् एस मेहता
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Uploaded by pradeepkpande
Girda and Beena tiwari singig ritu auni rauli a song written by Mohan Singh Rithagaari the legendry folk singer of kumaon..the duo sang it for All India Radio in 1964 .co incidently they sang it again at a programme organized by Mahila Samakhya Nainital on 10 th April 2010 at nainital
Girda and Beena Tiwari
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
This is the song composed by famous Singer Heera Singh Rana. It was also sung by Veena Tiwari.
आ लिली बाकरी लिली छ्यू छ्यू |
आ लि लि लि लि ......छ यू छ यू |
बाकरी ऐजा उज्याड न खा , जोडनूँ तिहांडी हाता ,
त्योरो - म्योरो कलि पटवै गुस्याणी तीन पिडिक सरादा |
सभापति ज्यू कैंल रपोटा , बात मान तू - तू -
ज्यांणी छ कती आली जब , एती परतिम चबकारी |
त्यर भी लगाली मेंकणी कच्याली , गाड़ी बे ल्वेकी धारी |
जब लागैली धन्तरैकि , पै भाजैली टू ... टू ....
ते बाकरी बाग लि जो रे त्विल उज्याड खाय |
ओये बाकरी त्यर कारणा काव जै म्यर आय ,
लट्ठ लिबेर ऐ गो पधाना अब कथां हणी जूं .........जूं ..
त्विल नी खांण पय बाकरी धान युं पधानु का ,
मैं भाजुनुं तल गध्यारा टू बुज हना लुका ,
त्विल अपणी चिरि लधोड़ी क्या मैं टिकें खूं....खूं ...
ध्यौ कें जाबेरा आज मैं बौं लै मर्चे धूप दिणी |
ओ रे "हिरुवा " आज का दिना आगेछ तेरी निहुणी |
मार पडैली एसी हो रामा याद एँला बू ........... .बू ...........
जब नि खया मैल बुधुवा मेरि बाकरिल गोव |
ग्वेल्देराणी द्वि डबला भेंट चढौला भोव |
हम ग्वलों की त्वी छै देवी और कै छै कूं............कूं............|
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
This is one of the Hit Song of sung by Veena Tiwari.
यो बाटो कां जान्या होला सुरा - सुरा देवी का मंदीरा |
चमकनी गिलास सुवा रमकनी चाहा छ |
तेरी - मेरी पिरीत को दुनिये ड़ाहा छ |
यो बाटो कां जान्या होला सुरा - सुरा देवी का मंदीरा |
जाई फ़ुली , चमेली फुली, देणा फुली खेत |
तेरो बाटो चानै - चानै उमर काटी मेता |
यो बाटो कां जान्या होला सुरा - सुरा देवी का मंदीरा |
गाडा का गडयार मारा दैत्या पिसचे ले |
मैं यो देख दुबली भ्यूं तेरा निसासे लै |
यो बाटो कां जान्या होला सुरा - सुरा देवी का मंदीरा |
तेरा गावा मूंगे की माला मेरा गावा जंजीरा |
तेरी - मेरी भेंट होली देबी का मंदीरा |
यो बाटो कां जान्या होला सुरा - सुरा देवी का मंदीरा |
अस्यारी को रेट सुवा अस्यारी को रेट |
यो दिन यो मास आब कब होली भेंट |
यो बाटो कां जान्या होला सुरा - सुरा देवी का मंदीरा |
भावार्थ :
इस राह से किधर जा रही हो तुम ? सीधे देवी के मंदिर की ओर |
चमकते गिलास में तेज रंग की चाय रही हुई है |
तुम्हारे , मेरे प्रेम से सभी लोग ईर्ष्या करने लगे हैं |
इस राह से किधर जा रही हो तुम ? सीधे देवी के मंदिर की ओर |
जाई और चमेली के फूल खिले हैं , खेतों में सरसों फूली है |
तुम्हारी राह देखते - देखते मैंने अपनी सारी उम्र मायके में ही बिता दी है |
इस राह से किधर जा रही हो तुम ? सीधे देवी के मंदिर की ओर |
दैत्य- पिचास ने छोटी नदी की मछलियाँ मार डाली हैं |
देखा , तुम्हारे विरह में कितनी दुर्बल हो गई हूँ |
इस राह से किधर जा रही हो तुम ? सीधे देवी के मंदिर की ओर |
तुम्हारे गले में मूंगे की माला है और मेरे गले में जंजीर |
तुम्हारे और मेरी भेंट होगी देवी के मन्दिर में |
इस राह से किधर जा रही हो तुम ? सीधे देवी के मंदिर की ओर |
असेरी (स्थानीय माप का बर्तन )का घेरा |
आज के दिन , इस माह ,हम मिले , अब कब भेंट होगी ?
इस राह से किधर जा रही हो तुम ? सीधे देवी के मंदिर की ओर |
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Another Hit Song.
ए संज्या झुकि गेछ भगवान , नीलकंठ हिवाला |
ए संज्या झुकि गेछ हो रामा, अगास रे पताला|
ए संज्या झुकि गेछ भगवाना ,नौ खंडा धरति मांझा|
नौ खंडा धरति हो रामा , तीन हो रे लोका |
के संज्या झुकि गेछ भगवाना ,के संज्या झुकि गेछ |
के संज्या झुकि गेछ रामा ,कृष्ण ज्यु की द्वारिका |
हो के संज्या झुकि गेछ हो रामा , यो रंगीली वेराटा|
के संज्या झुकि गेछ भगवाना , यो पंचवटी मांझा |
के संज्या झुकि गेछ हो रामा ,रामाज्यु की अजुध्या |
के संज्या झुकि गेछ भगवाना , कौरवुं को बंगला |
के संज्या झुकि गेछ हो रामा ,यो गेली समुन्दरा|
के संज्या झुकि गेछ भगवाना ,पंचचुली का धुरा |
के संज्या झुकि गेछ हो रामा ,हारीहरा हरिद्वारा|
के संज्या झुकि गेछ भगवाना ,सप्ता रे सिन्धु ,पंचा रे नंदा |
ए संज्या झुकि गेछ हो रामा ,सुनै की लंका धामा ||[/glow]
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