गढ़वाली लोक गीतों में स्त्री स्वतंत्रता व विमर्श
-- मैं नि आन्दु त्वेकू , संगरामु बुड्या रम छम I
तेरी फूलीं च दाड़ी, संगरामु बुड्या रम छम I
तू बुड्या ह्व़े गे , संगरामु बुड्या रम छम I
मैं नि आन्दु त्वेकू , संगरामु बुड्या रम छम I
तेरी डूडी कमरी , संगरामु बुड्या रम छम I
तू खंकारा को भोगी , संगरामु बुड्या रम छम I
तू आँख को काणो , संगरामु बुड्या रम छम I
मैं नि आन्दु त्वेकू , संगरामु बुड्या रम छम I
तेरी फूलीं च दाड़ी, संगरामु बुड्या रम छम I
तेरी फूलीं च दाड़ी, संगरामु बुड्या रम छम I
Curtsey : Dr Shiva Nand Nautiyal, Shyam Chham Ghungaru Bajla, page 50 for folk song
इंटरनेट प्रस्तुति -भीष्म कुकरेती १५/७/१५