Author Topic: Gopal Babu Goswami - गोपाल बाबू गोस्वामी उत्तराखंड के महान गायक  (Read 124090 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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Faagun ka mahina

चाय की घूंट पीकर के अब जा रही है दुर्गा और उसका पति द्वाराहाट के स्याल्दे बिखौती के मेले में रास्ते में छेड़ छाड़ करते हुए मस्त होकर पग डंडियों पर दोनों पति और पत्नी और वहा जाकर के दुर्गा खो गयी है भीड़ में और बेचारा पति उसे ढूंढ़ रहा है और पूछ रहा है लोगो से:

अल्खते बिखौती मेरी दुर्गा हरे गे
अले म्यार दगाड छि यो म्याव में, अले जानी कॉ छटिक गे| येल म्यार गाव गाव गाड़ी है, मी कॉ ढूंढ़उ इके इदु खूबसूरत छो यो, क्वे छटके लही जालो| क्वे गेवारिया या द्वार्हटिया तो म्यार खवाड फोड़ है जाल दाज्यू देखो ढाई तुमिल कति देखि?

अल्खते बिखौती मेरी दुर्गा हरे गे
सार कोतिक चान मेरी कमरा पटे गे
अल्खते बिखौती मेरी दुर्गा हरे गे
सार कोतिक चान मेरी कमरा पटे गे
दुर्गा चान चान मेरी कमरा पटे गे
अल्खते बिखौती मेरी दुर्गा हरे गे

ओ दाज्यू तुमले देखि छो
यारो बते दियो भागी
तुमले देखि छो यारो बते दियो भागी
रंगीली पिछोदी उकी कुटली घागेरी
आन्गेडी मखमली दाज्यू मेरी दुर्गा हरे गे

सार कोतिक चान मेरी कमरा पटे गे
सार कोतिक चान मेरी कमरा पटे गे
अल्बेर बिखौती मेरी दुर्गा हरे गे
द्वारहाट कोतिक मेरी दुर्गा हरे गे
स्याल्दे कोतिक मेरी दुर्गा हरे गे
दुर्गा चान चान मेरी कमरा पटे गे
दुर्गा चान चान मेरी कमरा पटे गे

दुर्गा मीके खाली मै तो कलि
गुलाबी मुखडी उकी काई काई आंखि
गुलाबी मुखडी उकी काई काई आंखि
गालडी उगे जैसी ग्यु की जै फुलुकी
गालडी उगे जैसी ग्यु की जै फुलुकी
सुकिला चमकीला दांता मेरी दुर्गा हरे गे


[youtube]http://www.youtube.com/watch?v=Zd7omRdU2Do&feature=related

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Himala Ko Ucha Dana by Gopal Babu Goswami


[youtube]http://www.youtube.com/watch?v=7fEX4VXWQOw

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गढ़वाल और  कुमाऊँ में शायद ही कोई ऐसा होगा जो स्व गोपाल बाबु गोस्वामी जी के नाम से अपरिचित हो! गोस्वामी जी के सुमधुर गीतों को सुनकर कौन नही कुमाऊँ की सुरम्य वादियों में खो न जाता हो! लेकिन आजकल स्व गोस्वामीजी के गीतों को मूल रूप में प्राप्त करना बड़ा मुश्किल है इसी समस्या के चलते मैंने अपने एक परिचित के सहयोग से गोस्वामी जी के करीब ७५ पुरानो गीतों को एकत्र कर उन गीतों को mp3 format में बदल कर इंटरनेट पर अपलोड कर दिया जिससे गोस्वामी जी के गीतों के प्रशंसक कम से कम उन गीतों की झलक प्राप्त कर सकें तहत नए लोग भी उनकी आवाज से परिचित हो सकें पुराने होने के कारन ये गीत गोस्वामी जी की सुमधुर वाणी को साकार टू नही कर सकते हैं, नही आजकल के संगीत की तकनीकी से मुकाबला कर सकते हैंमेरा उद्देश्य किसी के व्यावसायिक हितों को नुकसान पहुँचने का भी नही है, मैं केवल उस महान गायक की आवाज को आप पाठकों तक पहुँचाना चाहता हूँकृपया नीचे के लिंक पर जाकर क्लीक करें:-

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Kaile Baje Muruli Baina-Gopal Babu Goswami


[youtube]http://www.youtube.com/watch?v=ptnNvsmPKMI

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Bhur Bhuru Ujyao Haigo


[youtube]http://www.youtube.com/watch?v=P9FA0oZibgI

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[youtube]http://www.youtube.com/watch?v=HA6YzBso8PU&feature=player_embedded

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छबीलो गढ्देश मेरो, रंगीलो कुमाऊं
by गोपाल बाबू गोस्वामी


हिमाला को.........
हिमाला को....
हिमाला को उंचा डांडा, प्यारो मेरो गांव,
छबीलो गढ्देश मेरो, रंगीलो कुमाऊं ।
छबीलो गढ्देश मेरो, रंगीलो कुमाऊं॥ हिमाला को.....हिमाला को..

यो भुमि जनम मेरा, माधोसिंह मलेखा
यो भुमि जनम मेरा, माधोसिंह मलेखा,
गबर सिंह, चन्दर सिंह, आजादि का पैदा.
मिटायो जुलम तैको, दिखायो उजायो
मिटायो जुलम तैको, दिखायो उजायो..
छबीलो गढ्देश मेरो, रंगीलो कुमाऊं॥
छबीलो गढ्देश मेरो, रंगीलो कुमाऊं॥ हिमाला को.....हिमाला को..

गोरिया अवतारि देवा, द्वि भाइ रमौला
हिट्ज्यु भुमिया देवा, भोलू गंगनाथा
जनमि अवतारि नंदादेबि रे कल्याणू
छबीलो गढ्देश मेरो, रंगीलो कुमाऊं॥
छबीलो गढ्देश मेरो, रंगीलो कुमाऊं॥ हिमाला को.....हिमाला को

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गोस्वामी जी पहाड़ और पर्यावरण प्रेमी तो थे ही जोकि उनके गीतों से स्पष्ट है पर साथ ही वह पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी जागरूक थे। जैसे नीचे के गीत में गोस्वामी जी बान्ज के जंगल को न काटने का सन्देश दे रहे हैं:-
सरकारी जंगल लछिमा बान्ज नी काट लछिमा बान्ज नी काटा.....
इसी प्रकार इस गीत में गोस्वामी जी की पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरुकता प्रदर्शित होती है:-
आज यौ मेरी सुन लो पुकारा, धाद लगौं छ यौ गोपाला................

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि गोस्वामी जी पर्यावरण तथा उसमें हो रहे बद्लावों के प्रति समाज को सचेत करने का कार्य तभी शुरु कर चुके थे जब हमारी सरकार तथा समाज का तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग सोया हुवा था। यहां पर मैंने गोस्वामी जी के पर्यावरण प्रेम से सम्बन्धित गीतो के बारे उल्लेख किया है, पर गोस्वामी जी का हर गीत कुछ न कुछ सन्देश अवश्य प्रदान करता है। आ़गे हम गोस्वामी जी के गीतों के माध्यम से पहाड़ी समाज के अन्य सरोकारों को भी जानने का प्रयास करेंगे।
एक महान कलाकार वही है जो अपनी कला के माध्यम से केवल समाज का मनोरन्जन ही ना करे बल्कि समाज के प्रति अपने अन्य दायित्वों को भी समझे तथा समाज को उसके प्रति अपनी कला के माध्यम से जागरूक करे। गोस्वामी जी ने जिस प्रकार एक बहुत ही साधारण जीवनशैली में जीवन निर्वाह करते हुये अपनी कला के माध्यम से पूरे समाज को मनोरन्जन के साथ साथ उनके सामाजिक उत्तर्दायित्वों का जो सन्देश दिया है वह उनको उत्तराखण्ड ही नही देश के महान कलाकरों की श्रेणी में रखता है।

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गोपाल बाबु गोस्वामी जी यह गाना.

रंगीली चंगली पुत्यी कसी
फूल फटना ज्यूना कसी
ओह मेरी किसाना
उठ सुवा उजाओ हेगियो
चम् चम् का घाम

ले पीले चहा गिलास
गुड का कटक
उठ मेरी पुनियो की जियूना
उठ वे चमा चामा

रंगीली चंगली पुत्यी कसी
फूल फटना ज्यूना कसी

उठ भागी नखार ना
तेली खेडो खतरा
उठ मेरी पुनियो की जियूना
उठ वे चमा चामा

रंगीली चंगली पुत्यी कसी
फूल फटना ज्यूना कसी
ओह मेरी किसाना

 

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