Author Topic: Gopal Babu Goswami - गोपाल बाबू गोस्वामी उत्तराखंड के महान गायक  (Read 135413 times)

हेम पन्त

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Hisalu

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Gopal babu goswami jee ne ek geet gaya tha... Jisme unhone apna jeevan vyakt kia hai.. Lijiye us geet ke bol


Saba(s) Re Myer Gopiya Launda.. Tile Dharu Bola...
O Bakari Ko Basaa.. Tweel Aaj laggi Maaja Kaas Karo Kaajaa..

O Ghughuti Ka Ghol.. Ghuguti Ko Ghol...
Tweel Kari Jindagi me baadi bhaga daud...
Saba(s) Re Myer Gopiya Launda.. Tile Dharu Bola...

O Nathuli Ko Chaain.. Nathuli Ko Chain..
Din ki ne dekhi bhookh.. Raat ki na neeen...
Saba(s) Re Myer Gopiya Launda.. Tile Dharu Bola...

Ekchaalsih me paid bhaye kisaan kai ghar mein..
Chaandikhet ganai mein.. Chaukhutiya Bajarrr....
Saba(s) Re Myer Gopiya Launda.. Tile Dharu Bola...

Mahant goswami ghar janam lhi ber..
Tweel karo sangarsh bahote.. dukh bahote bhogaa..
Saba(s) Re Myer Gopiya Launda.. Tile Dharu Bola...

Siksha ko abhaav chhi yo... Kam re ge padai..
Fir samaajal pade likhe.. Degree dilaai...
Saba(s) Re Myer Gopiya Launda.. Tile Dharu Bola...

Saar bharat ghumo fir... pet ka kaaraana le..
Naukari kaduk kari.. Kai ni paayi chain......
Saba(s) Re Myer Gopiya Launda.. Tile Dharu Bola...

Naan chhin be shauk chh yo.. Kalakaaari rogaa...
Kaduk tweele geet lekha... kaduk khela paath
Saba(s) Re Myer Gopiya Launda.. Tile Dharu Bola...

San unisau adsath me aakaswani kendra..
Shri brijendra laal shah le.. karaaaye tu paass....
Saba(s) Re Myer Gopiya Launda.. Tile Dharu Bola...

Tweel bhai geet lekha.. fir banai dhunnaaa...
Geeto ka record karne... Khoob mache dhoomaa.
Saba(s) Re Myer Gopiya Launda.. Tile Dharu Bola...

Sarkari prachar karo.. sanskriti vikaasss...
Pahadak sanskriti pujaayi.. Desh videsh me...
Saba(s) Re Myer Gopiya Launda.. Tile Dharu Bola...

Jat dharm khetrapal me door tera vichaar...
Deskak vichaar me tu likhe chhe geetaa...
Saba(s) Re Myer Gopiya Launda.. Tile Dharu Bola...














Hisalu

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Gopaal daa ka ek geet hai jisme unhone apni patni ke baanjhpan ka dukh vyakt kia hai....

hey mera bhagwaano... ke dhana karuno...
Me ke ratha baadhuno.. Kaithe kuno aapuno dukh ki baaat..

Are Barh saala hai gyi.. yo baaili re ge chho..
Barh saala hai gyi.. yo baaili re ge chho..
Kaan khodi fodnu.. Yo baili re ge chhe...

Kail bataayo gaado mashaan laagiya bhijiyaa....
Kail bataayi gaade mashaani... Chhow le puji hai chho..
Tau laakedi jasi sukhne re ge chhe....
Barh saala hai gyi.. yo baaili re ge chho..

Kail btaayo maitwaa yeko.. Kail pariya chari...
Puch karne.. Jaag lagune.. Gat meri bigdi..
Kheti paati bhaani chuli.. Sab bechi khai haali....
Fir le to ho daajyu.. Re ge chho laakedi.....
Barh saala hai gyi.. yo baaili re ge chho..

Huduki bajai.. Jaageri lagai.. Dyaabata nachune...
Pari pujune.. Bhoot pujune.. Baaakra chadune....
Bees ki uneesa.. Ke farako ni pado....
Barh saala hai gyi.. To baaili re ge chho..
Bate dio daaajy.. yo baili re ge chho.

Laagi jaaageri.. baaj huduko.. Tau naachne lhe je...
Far faraat yes kari ho.. saari kudi hilai je...
goth ko bharaaan tootan le go chho...
Barh saala hai gyi.. yo baaili re ge chho..

Gaanth Putuwa meel lageya ni padwo farakaaa.
Ab byeliya tau dikhe ho.. Ladies dactraa....
Aasha laagi re ho.. Ki farak hun chho....
Barh saala hai gyi.. yo baaili re ge chho..

Aasha jaagi re.. Dhai ke je hai jaaan chho...

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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स्वर : स्वर्गीय गोपाल बाबु गोस्वामी जी ...

बैठ मोटर माजी ,मन में एगो दुःख ..
बैठ मोटर माजी ,मन में एगो दुःख ...
के कनु कई बेर ,म्यार मन में एगो दुःख ...
नान तीन चाई राइ बाबा का मुख मुख !!
छुटो मेरो पहाडा ,कहो कुनू मैं दुःख...
बैठ मोटर माजी ,मन में एगो दुःख ...
हे भाई बंधु घुरू घुरू मोटर जैंची पहाडा छुट्टन नि ,
घुरू घुरू मोटर जैंची पहाडा छुट्टन नि ,
ज्यूँ ज्यूँ मोटरा सरकी छे आँख भरी उनी ,
सीता छोड़ी घर अकेली ...
मयूर पहाडा छुट ....
के कनु कई बेर ,म्यार मन में एगो दुःख .
बैठ मोटर माजी ,मन में एगो दुःख ...
बैठ मोटर माजी ,मन में एगो दुःख ...
छुटो मेरो पहाडा ,कहो कुनू मैं दुःख..
मैं जानू देश का लिजी,देश का बोर्डर ...
मयूर काना माँ च यो देशो का भारा ...
मयूर काना माँ च यो देशो का भारा ...
देश ठुल म्यारा लिजी ...
फिर म्यारा घर बार .. हो
सुख दगडा दुःख ...
भाई बंधु पर और नान तीनों घर छोड़ी बेर ...
कब तक जाने रेला पेट का खातिर ...
भाजा भाजा कब तक रोली ...
इज्ज बाबा नन्तिना चे रेनी मुख मुख..
बैठ मोटर माजी ,मन में एगो दुःख ..
के कनु कई बेर ,म्यार मन में एगो दुःख .
बैठ मोटर माजी ,मन में एगो दुःख.

Hisalu

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विनोद सिंह गढ़िया

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आज उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध लोक गायक स्व0 श्री गोपाल बाबू गोस्वामी जी का जन्मदिन है। इस अवसर पर "मेरा पहाड़ डॉट कॉम" परिवार स्व0 श्री गोपाल बाबू गोस्वामी जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।


विनोद सिंह गढ़िया

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[justify]उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोक गायक गोपाल बाबू गोस्वामी भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं परंतु उनके गीत हमें आज भी उनकी उपस्थिति का अहसास कराते हैं। जीवन के हर पहलु को छूते उनके गीतों की सूची लंबी है। हर किसी को रुला देने वाला दुल्हन की विदाई का उनका मार्मिक गीत 'न रो चेली न रो मेरी लाल', जा चेली जा सरास तथा उठ मेरी लाड़ू लूकूड़ पैरी ले, रेशमी घाघरी आंगड़ी लगै की आज भी जबरदस्त मांग है।

उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोक गायक स्व. गोपाल गिरि गोस्वामी को लोग गोपाल बाबू के नाम से भी जानते हैं। उनका जन्म चौखुटिया बाजार से लगे ग्राम पंचायत चांदीखेत में दो फरवरी 1942 को मोहन गिरि गोस्वामी के घर हुआ था। बचपन से ही गीतकार बनने के जुनून में उन्होंने पांचवीं कक्षा के बाद स्कूल छोड़ दिया। वह बारह साल की उम्र से ही गीत लिखने और गाने लगे थे।

जीवन के 54 सालों में उन्होंने साढे़ पांच सौ गीत लिखे। उनका पहला गीत कैलै बजै मुरूली ओ बैंणा ऊंची-ऊंची डान्यूमा आकाशवाणी नजीबाबाद से प्रसारित हुआ था। 1972 में भारत सरकार के गीत और नाटक प्रभाग में नियुक्ति के बाद गोस्वामी को अपना हुनूर दिखाने का अच्छा मंच मिल गया। यहीं से उनके गीतों की संख्या और लोकप्रियता बढ़ती चली गई।

सेवा के दौरान ही बीमारी के चलते 26 नवंबर 1996 को काल के क्रूर हाथों ने एक महान गीतकार को हमसे छिन लिया। भले ही अब वह इस दुनिया में नहीं हैं परंतु लोक संस्कृति, प्रकृति, नारी सौदर्य तथा रीति रिवाज ही नहीं बल्कि जीवन के हर क्षेत्र को छूने वाले उनके गीत हमें हमेशा उत्प्रेरित करते रहेंगे।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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ए…..भुरु-भुरु उज्वाऊ हैगो…चमचमैगो घामा…..
डान काना में सुर्र-सुर्र, डाना-काना में सुर्र-सुर्र
बाजी मुरुली तुर्र-तुर्र, बाजी मुरुली तुर्र-तुर्र ,
भुर-भुरु उज्वाऊ है गो…….

जागण भैगे घर की कोखा, देवी-देवता हिमाली-कांठा ऽऽऽऽऽऽ
जागण भैगे घर की कोखा, देवी-देवता हिमाली-कांठा ऽऽऽऽऽऽ
शिव को डमरु बाजो, मेरी हिमाला डूम-डूम,मेरी हिमाला डुम-डुम
घानी बाजी रे टन्न-टन्न,घानी बाजी रे टन्न-टन्न
भुर-भुरु उज्वाऊ है गो…….

हाथ हाथु में ताम गागरी, पाणी हूं न्है गै सुघड़ी नारी….
हाथ हाथु में ताम गागरी, पाणी हूं न्है गै सुघड़ी नारी….
खुटी का झंवर बजाने, बाटा-घाटा में छुम-छुम, बाटा-घाटा में छुम-छुम
बाजी गागरी टुन-टुन,
भुर-भुरु उज्वाऊ है गो……

शुभ प्रभातम मित्रजनौ नमस्कार
,आपुण स्वागत छ हो
भेट—घाट करते रया,आसल कुशल दिने रया।
मींकं लै आपुणै मानिया म्यार , त् तुम आपुणै हया।
॥ हरि: ॐ तत् सत् ॥
सादर नमन, वंदन एवं अभिनन्दन
आप का आने वाला प्रत्येक नया दिन मंगलमय हो
पं.-श्री प्रकाश चंद्र तिवारी जी १९---१० - २०१४

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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ओ भिना कस के जानू द्वारिहाटा, ओ भिना कस के जानू द्वारिहाटा
पुरुष : ओ साई ..हिट हिट कौतिक जानू द्वारिहाटा …., हिट साई कौतिक जानू द्वारिहाटा
महिला : ओ भिना कस के जानू द्वारिहाटा, ओ भिना कस के जानू द्वारिहाटा
पुरुष : ओ ..हिट साई कौतिक जानू द्वारिहाटा …., हिट साई कौतिक जानू द्वारिहाटा

महिला : आंग में आंगड़ी नि छ कस के जानु द्वारिहाटा, आंग में आंगड़ी नि छ कस के जानु द्वारिहाटा
पुरुष : वैं दर्जी वैं सिणून द्वारिहाटा, वैं दर्जी वैं सिणून द्वारिहाटा
ओ साई …हिट हिट कौतिक जानू द्वारिहाटा ….,ओ साई ..हिट हिट कौतिक जानू द्वारिहाटा
महिला : ओ भिना कस के जानू द्वारिहाटा, ओ भिना कस के जानू द्वारिहाटा
पुरुष : ओ साई ..हिट हिट कौतिक जानू द्वारिहाटा…., ओ साई ..हिट हिट कौतिक जानू द्वारिहाटा

महिला : नाख मे नथूली नि छ कस के जानु द्वारिहाटा, नाख मे नथूली नि छ कस के जानु द्वारिहाटा
पुरूष : वै सुनार वै गणून द्वारिहाटा.., वै सुनार वै गणून द्वारिहाटा
ओ साई …हिट हिट कौतिक जानू द्वारिहाटा ….,ओ साई ..हिट हिट कौतिक जानू द्वारिहाटा
महिला : ओ भिना कस के जानू द्वारिहाटा, ओ भिना कस के जानू द्वारिहाटा
पुरुष : ओ साई ..हिट हिट कौतिक जानू द्वारिहाटा…., ओ साई ..हिट हिट कौतिक जानू द्वारिहाटा

महिला : ख्वार मा पिछौड़ी नि छ कस के जानु द्वारिहाटा, ख्वार मा पिछौड़ी नि छ कस के जानु द्वारिहाटा
पुरूष : वै बणिया वै बणून द्वारिहाटा.., वै सुनार वै बणून द्वारिहाटा…
ओ साई …हिट हिट कौतिक जानू द्वारिहाटा ….,ओ साई ..हिट हिट कौतिक जानू द्वारिहाटा
महिला : ओ भिना कस के जानू द्वारिहाटा, ओ भिना कस के जानू द्वारिहाटा
पुरुष : ओ साई ..हिट हिट कौतिक जानू द्वारिहाटा…., ओ साई ..हिट हिट कौतिक जानू द्वारिहाटा

महिला : गौं पतानी भलि रैछ दुर्गापुरी द्वारिहाटा,गौं पतानी भलि रैछ दुर्गापुरी द्वारिहाटा
पुरुष : हिट कौतिक दुर्गापुरी द्वारिहाटा , हिट कौतिक दुर्गापुरी द्वारिहाटा …
ओ साई …हिट हिट कौतिक जानू द्वारिहाटा ….,ओ साई ..हिट हिट कौतिक जानू द्वारिहाटा
महिला : ओ भिना कस के जानू द्वारिहाटा, ओ भिना कस के जानू द्वारिहाटा
पुरुष : ओ साई ..हिट हिट कौतिक जानू द्वारिहाटा…., ओ साई ..हिट हिट कौतिक जानू द्वारिहाटा

यह अंतरा कुछ संस्करणों में मिलता है, कुछ में नहीं। यहाँ पर प्रस्तुत दूसरे संस्करण में यह है।

महिला : मेर खुटा चपल नि छ कस के जानू द्वाराहाटा.., खुट मे चपल नि छ कस के जानू द्वाराहाटा..
पुरूष : वै दूकान वै मोल्यूण द्वारिहाटा..,वै दूकान वै मोल्यूण द्वारिहाटा..
ओ साई …हिट हिट कौतिक जानू द्वारिहाटा ….,ओ साई ..हिट हिट कौतिक जानू द्वारिहाटा
महिला : ओ भिना कस के जानू द्वारिहाटा, ओ भिना कस के जानू द्वारिहाटा
पुरुष : ओ साई ..हिट हिट कौतिक जानू द्वारिहाटा…., ओ साई ..हिट हिट कौतिक जानू द्वारिहाटा

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बेडु पाको बारो मासा, ओ नरणी काफल पाको चैत मेरी छैला
बेडु पाको बारो मासा, ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला – २
बेडु पाको बारो मासा -२, ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला – २
भुण भुण दीन आयो -२ नरण बुझ तेरी मैत मेरी छैला -२
बेडु पाको बारो मासा -२, ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला – २
आप खांछे पन सुपारी -२, नरण मैं भि लूँ छ बीडी मेरी छैला -२
बेडु पाको बारो मासा -२, ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला – २
अल्मोडा की नंदा देवी, नरण फुल छदुनी पात मेरी छैला
बेडु पाको बातो मासा -२
त्यार खुटा मा कांटो बुड्या, नरणा मेरी खुटी पीडा मेरी छैला
बेडु पाको बातो मासा -२
अल्मोडा को लल्ल बजार, नरणा लल्ल मटा की सीढी मेरी छैला
बेडु पाको बातो मासा -२

 

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