Uttarakhand > Music of Uttarakhand - उत्तराखण्ड का लोक संगीत
Gopal Babu Goswami - गोपाल बाबू गोस्वामी उत्तराखंड के महान गायक
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
धन मेरा भारता मैं तेरी बलाई ल्यूंल, धन मेरो पहाड़ा मैं तेरी बलाई ल्यूंल
जनम जनम मैं तेरी सेवा मे रूंल, तेरी सेवा लिजीया मैं ज्यून रूनो मरुलों
धन मेरा भारता मैं तेरी बलाई ल्यूंल, धन मेरा भारता मैं तेरी बलाई ल्यूंल
धन मेरो पहाड़ा मैं तेरी बलाई ल्यूंल, जनम जनम मैं तेरी सेवा मे रूंल,
तेरी सेवा लिजीया मैं ज्यून रूनो मरुलों, धन मेरा भारता मैं तेरी बलाई ल्यूंल
तेरी माटी चन्दणा में ख्वार लगूने रौंल,तेरी माटी चन्दणा में ख्वार लगूने रौंल
तेरी पीड़ा मिटोलों में गीत लिखने रौंल, तेरी पीड़ा मिटोलों मे गीत लिखने रौंल
सितिया भै बैणा के धाक लगूने रौंल, सितिया भै बैणा के धाक लगूने रौंल
हिट कै-कै बैरा मैं सितियों के जगूलो,तेरी लीला शक्ति की जोत जगूने रौंल
धन मेरो पहाड़ा मैं तेरी बलाई ल्यूंल,धन मेरो पहाड़ा मैं तेरी बलाई ल्यूंल
धन मेरो पहाड़ा मैं तेरी बलाई ल्यूंल,धन मेरो पहाड़ा मैं तेरी बलाई ल्यूंल
धन मेरा भारता मैं तेरी बलाई ल्यूंल, धन मेरा भारता मैं तेरी बलाई ल्यूंल
मैं तेरी सेवा मे रूंल,मैं तेरी सेवा मे रूंल,मैं तेरी सेवा मे रूंल
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
मालुरा हरियालु डांना का पार, मालुरा हरियालु डांना का पार, मालुरा हरियालु डांना का पार
के उलि बुरुंजि कि भलि फुलि रैछ, के उलि बुरुंजि कि भलि फुलि रैछ
रंगिली पिछौड़ि ढलकि ढकि रैछ, रंगिली पिछौड़ि ढलकि ढकि रैछ
मालुरा कर ले तू सोला श्रंगार,मालुरा कर ले तू सोला श्रंगार
मालुरा हरियालु डांना का पार, मालुरा हरियालु डांना का पार
रणमणि मुरूलि के भलि बाजि रै छ, रणमणि मुरूलि के भलि बाजि रै छ
फुरि-फुरि बयार हौंसिया बगि रै छ, फुरि-फुरि बयार हौंसिया बगि रै छ
ए जा वै हौंसिया डांना का पार, ए जा वै हौंसिया डांना का पार
मालुरा कर ले तू सोला श्रंगार,मालुरा कर ले तू सोला श्रंगार
मालुरा हरियालु डांना का पार, मालुरा हरियालु डांना का पार
ए जा सुवा एजा, रुपसि मेरि भै जा, ए जा सुवा एजा, रुपसि मेरि भै जा
किलमौडि, करौंजा, काफले दाणि खैजा,किलमौडि, करौंजा, काफले दाणि खैजा
ए जा वै हरियालु यो डांना का पार, ए जा वै हरियालु यो डांना का पार
मालुरा कर ले तू सोला श्रंगार,मालुरा कर ले तू सोला श्रंगार
मालुरा हरियालु डांना का पार, मालुरा हरियालु डांना का पार
खित खित हँसिणी मुखड़ी तू दिखै जा, खित खित हँसिणी मुखड़ी तू दिखै जा
बांजे डाई स्योआ हौंसिया मेरी आजा ,बांजे डाई स्योआ हौंसिया मेरी आजा
मालुरा जौवन छो दिन चार, मालुरा यौवन यो दिन चार
मालुरा हरियालु डांना का पार, मालुरा हरियालु डांना का पार
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
गोपाल बाबू गोस्वामी का यह गीत पहाड़ विकास के लिए एक आह्वान के रूप में है ! पहाड़ के देवी देवताओ का और अमर शहीद का भी जिक्र इस गीत में है! इस गीत में लोगो को पहाड़ के विकास के लिए जगाया जा रहा है और अमर शहीदो की क़ुरबानी का भी इसमें जिक्र किया गया है ! देखिये गीत के बोल - (इंटरनेट प्रस्तुति माहि सिंह मेहता)
जागो रे,..........
जागो रे जागो म्यारा धरती क लाल
जागो रे जागो म्यारा बरड़ी क लाल
सुण रे सुणो भाई धतियोंछ पहाड़
सुण रे सुणो भाई धतियोंछ हिमाला
सिधुआ विधुआ द्वी म्यारा द्वी भाई रमोला-२
जागो जागो कुनी २२ बख्वाल
नौ लाख कुनि कत्यूर कुनि राजा मालुशाही
राजुली सौकाणी कैछे उठो मेरा भाई
बचाओ छजाओ रंगील पहाड़ो .........२
जागो रे,..........
जागो रे जागो म्यारा धरती क लाल
जागनाथ बागनाथ बद्रीनाथ धाम ....२
नाथो का नाथ मेरा शंकर भगवान .......२
तुमुकु अरज कुनि सुमन, मलेथा .......२
गब्बर, चन्द्र सिंह, भारत का पैगा ......२
जागो रे,.जागो रे,.........
जागो रे जागो म्यारा बरड़ी क लाल
गोरिया कलबिष्ट देवा, भोलनाथ गंगनाथ ....२
भूमिया भगवती माता, अल्मोड़ा नंदा ......२
तुमुकु अरज कुछे, तुमर गोपाल ....२
आलस्य, व्यसन छोडो, छाजाओ पहाड़ ....२
जागो रे,......जागो रे,.....
जागो रे जागो म्यारा धरती क लाल
गुरु गोरख आज करछो पुकार
चौ तरफ पहाड़ो क करो धै विकास
पढ़िया लेखिया, तुम बढिया अघिला
जागो रे,..........
जागो रे जागो म्यारा बरड़ी क लाल
जागो रे जागो म्यारा बरड़ी क लाल
rbrbist:
ati uttam :)
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