Author Topic: Heart Touching Songs - हृदयस्पर्शी एवं सामाजिक मुद्दों पर आधारित उत्तराखण्डी गीत  (Read 34928 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

दोस्तों,

हमारे लोक संगीत मे बहुत सारे एसे गीत है जो की बिल्कुल हिर्दयस्पर्शी है और जिनको सुनने के बाद आप भावः विभोर हो जायेगे ! इसी प्रकार के गीत समाज मे एक मेसेज भी देते है! दुसरे तरफ़ कुछ एसे गीत है जिनमे  आपको सामाजिक मुद्दे सुनायी देंगे !

आएये इस प्रकार की गीतों के बारे में यहाँ चर्चा करे !

एम् एस मेहता

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

SEE THIS SONG OF NEGI JI.

इस गाने मे नेगी जी जिन्दगी के उतार एव चदाव से मे लिखा है

Song.

ना दौड़ ना दौड़

ना दौड़ ना दौड़
ना दौड़ ना दौड ते  उन्दारी का बाटा  उन्दरियुं  का बाटा-2
उन्दारी कु सुख  दुयी चार  घडी कु,
उकाली  कु दुःख सदनी को सुख लाता,
ना दौड़ ना दौड ते  उन्दारी का बाटा  उन्दरियुं  का बाटा-2

सौन्गु  चितेंद  और  दौडे  भी जान्द पर
उन्दारी का बाता उन्दु  जान्द मान्खी ,
खैरी त आन्द पर   उतेदु  नि  लगडू ,
उब  उठादु  मा न्खी  उकाल  चढी    ,
ना दौड़ ना दौड ते  उन्दारी का बाटा  उन्दरियुं  का बाटा-2

एंच  गोमुख  मा  गंगा  पबित्र 
उन्दारियुं मा डंकी  कोजाल  होयेगे ,
गदानियुं  मा मिल गे  जो हियुं  उन्दु बोगी 
जो रेगे हिमालय मा वी  चम्कुनु  च

बरखा  बथोदियुं  मा भीउन्दी   नी रादिनी  जो,
तुकू  पुछिगे  नी खीरी खे  खे की,
जोल  नी बोती  धरती  मां फार  अंग्वल ,
उन्दू रोदी  गिनी  अपदी  खुशियुं ……..
ना दौड़ ना दौड ते  उन्दारी का बाटा  उन्दरियुं  का बाटा-

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 2,865
  • Karma: +27/-0
Laska kamar bandhaa himmat kaa saathaa

Uttarakhand Andolan ka ajar amar gaana Shri Heera Singh Rana ji dwara likha hua.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
गोपाल बाबु गोस्वामी जी यह प्रसिद्ध गाना .. घुघुती  ना  बासा  अ  अ  अ  ...घुघुती ना  बासा  ...आम- की डाई मा

"घुघुती ना  बासा  ...आम- की डाई मा
 
"घुघुती ना  बासा  ...आम- की डाई मा...घुघुती ना  बासा  ...आम- की डाई मा
घुघुती  ना  बासा  अ  अ  अ  ...घुघुती ना  बासा  ...आम- की डाई मा

तेरी घुरु  घुरु  सुनी  मई  लागु  उदास
स्वामी  मेरा  परदेस  ..बर्फीलो  लादाखा ..घुघुती  ना  बासा ..
घुघुती  ना  बासा  अ  अ  अ  ...घुघुती ना  बासा  ...आम- की डाई मा

ऋतू  आगे  भांगी  भांगी  गरमी  चैते  की
याद मुकू  भोत  एगे  अपुन  मैते  की ..घुघुती  ना  बासा ..
घुघुती  ना  बासा  अ  अ  अ  ...घुघुती ना  बासा  ...आम- की डाई मा

त्यर  ज्यास  मैं  ले  हूनोन  उडी  बे  ज्युनो
स्वामी  की  मुखडी  के  मैं  जी  भरी देखुनो ..घुघुती  ना  बासा ..
घुघुती  ना  बासा  अ  अ  अ  ...घुघुती ना  बासा  ...आम- की डाई मा

उडी  जाओ   घुघुती  नही जा  लादाखा .
हल  मेरा  बता  दिया  मेरा  स्वामी  पास ..घुघुती  ना  बासा ..
घुघुती  ना  बासा  अ  अ  अ  ...घुघुती ना  बासा  ...आम- की डाई मा

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0


Song provided by Hem Da..

 पैदल पहाडी रास्तों पर जाता एक युगल दूर कहीं से आती हुयी बांसुरी की मधुर ध्वनि सुन कर मंत्रमुग्ध हो जाता है.... युवती उस ग्वाले के बारे में जानने को उत्सुक है जो इतनी दिल को छूने वाली बांसुरी की धुन बजा रहा है... युवक को वह बांसुरी बजाने वाला अपनी ही तरह किसी रूपवती के प्यार में डूबा हुआ प्रेमी प्रतीत होता है….

नेगी जी के सुरसागर का एक और अनमोल मोती है यह युगल गीत

पुरूष स्वर    नारी स्वर

कू भग्यान होलू डांड्यू मां, यनि भली बांसुरी बजाणु
बजाणु  रे…… कू भग्यान होलू डांड्यू मां….. कू भग्यान…
होलू क्वी बिचारू मैं जनू, नखर्याली बांद रिझाणु
रिझाणु रे….. होलू क्वी बिचारू मैं जनू…. होलू क्वी

फूल हमथें देख-देखि, पोतलो सन कांडा छीन
पोतलो सन कांडा छीन
भौंरा दीखा दिजा कैंमा, छुई हमरि लगाना छीन
को बेशर्म होलू तो सणी तेरि-मेरि माया बिगाणू
बिगाणू रेsssss.....
होलू क्वी बिचारू मैं जनू…. होलू क्वी

ये डांडी बचानि होली कि, डालि बोटी गाणि होली
डालि बोटी गाणि होली
रसीला गीतों की भांण, कख बटि आणि होली
को घस्यार होली रोल्यू मां, अपना सौंजर्या थे बत्याणि
बत्याणि रेsssss….
होली क्वै बिचारी मैं जनी…. होली क्वै

मन मां बसायी मेरी, क्व होली दुन्या से न्यारी
क्व होली दुन्या से न्यारी
आंख्यूं मां लुक्याई बोल, को होली हिया की प्यारी
कू बेमान होलू बोला जी, लगदू जो आखूं से भी स्वाणूं
स्वाणूं रेsssss…..
होलू क्वी बिचारू मैं जनू…. होलू क्वी

कू भग्यान होलू डांड्यू मां, यनि भली बांसुरी बजाणु
बजाणु  रेsssss……
होलू क्वी बिचारू मैं जनू…. होलू क्वी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
गोस्वामी जी यह गाना जो शादी पर बना है ! जब बेटी सुसराल के लिए बिदा होते है उस समय बाप अपनी बेटी से क्या कहता है इस गाने मे लिखा है !

     बैटी बराता चेली बैठ डोली मा
   बाट लागी बराता चेली बैठ डोली मा

   बाट घाटा भली के जाए
   मेरी कलेजी तो छे तुकुडा
   मेरी धरिये लाज चेली  बैठ डोली मा

   बाट लागी बराता चेली बैठ डोली मा
 

हेम पन्त

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 4,326
  • Karma: +44/-1
पहाड़ जितना बड़ा है उसके दुःख भी उतने ही बड़े हैं. इन दुखो को व्यक्त करना अपने आप में एक बहुत बड़ा काम है...उन माँ-बाप की पीडा को दर्शाता है नेगी जी का यह गाना... जिनका बेटा रोजी-रोटी कमाने सपत्नीक शहर चला गया है. परिवार में सिर्फ २ बूढी जान रह गई हैं और कुछ मवेशी...

ऐसे चरित्र पहाड़ के हर गाँव में हैं.. इन बुढे माँ-बाप को इस उम्र में यह आंकलन करना बड़ा दर्द देता है कि जिस बेटे को पढाने के लिए माँ ने गहने और बाप ने जमीन की माया न करते हुए इन्हे बेच दिया,  वह उन्हें दाने-२ का मोहताज रख कर बहू के मायके को मनीओर्डर भेजता है... 
जितना मर्मस्पर्शी नेगी जी का यह गाना है... उतना ही सुंदर फिल्मांकन इसके वीडियो का भी है..


कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैरी की
केमा लगानीनिं छुई अपनी खैरी की
कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैरी की
केमा लगानीनिं छुई अपनी खैरी की
छुई अपनी खेरी की-2

नथुली बेची पढ़ाई-लिखाई-2
पुन्गङि बेची की मिल ब्वारी काई
सोची थ्यो ब्वारी को सुख द्येखुलू
डोला बाटी ब्वारी भवे भी नि आई
नौना दगाड़ि चल गी देस बौगा मारी की

कैमा लगानीनिं छुई अपनी खैरी की
छुई अपनी खैरी की-4


ब्वारी बिचारी इन जाप काई-2
सैन्त्युं नौनु भी बस माँ नि राई
अब त हमते पचेंदु बी नि छ
अप्नु ही सोनू खोटू हवे ग्याई
क्या पायी येका बाना मिल ज्यू मारी की
कैमा लगानीनिं छुई अपनी खैरी की
छुई अपनी खैरी की-2

भली बुरी चीज लोगु की ऐनी   -2
मिल दवी दानी चनो की नि पैनी
मेकुनी सेवा सौन्ली भी हर्ची
सम्धानियुं तेनी मनीओर्डर गैनी
क्या पायी येका बाना मिल ज्यू मरी की
कैमा लगानीनिं छुई अपनी खैरी की
छुई अपनी खैरी की-2

हेम पन्त

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 4,326
  • Karma: +44/-1
नेगी जी ने पहाड के हर दर्द को अपने गानों के माध्यम से आवाज दी है...तो यह कैसे हो सकता है कि पिछली कई सदियों से पहाड की सबसे बडी समस्या 'पलायन' उनकी कलम से अछूता रह जाता...
पलायन की समस्या पर कई गानों के माध्यम से नेगी जी ने पलायन की पीडा को व्यक्त किया है... इसी प्रकार का एक गाना यह है… (पुरुष स्वर महिला स्वर)

नारंगी की दाणि हो....
क्याले सुकी होलो बौजी, मुखडी को पानी हो.....

खोली को गणेशा हो....
जुग बीती गैनी दयूरा, स्वामी परदेशा हो......


एक युवक जो छुट्टी लेकर गांव आया हुआ है..अपने पडोस की एक महिला (भाभी) की बदली हुयी स्थिति देखकर दुखी हो जाता है.. वह स्त्री अत्यन्त रूपवती थी...लेकिन अब उसकी कजरारी आखों का और लंबे बालों का सौन्दर्य कहीं खो गया है.... इसका कारण पूछने पर वह स्त्री कहती है कि उसका पति लंबे समय से परदेश से घर वापस नही आया.... उसकी याद में रोते-रोते आंखों का काजल बह गया है...और उसके लंबी लटें पहाडों में खेती तथा पशुपालन की खातिर होने वाली कठोर मेहनत की भेंट चढ गये हैं....

गाने की अन्तिम पंक्तियां दिल को छू जाती है...युवक भाभी को सांत्वना देते हुए कहता है कि दुख के दिन हमेशा नहीं रहेंगे, भाभी कहती है लेकिन मैं अपनी जवानी के यह अमूल्य दिन कहां से वापस लाउंगी?

धीरज चाएंदा हो...
खैरी का ये दिन बौजी, सदा नि नी रैन्दा हो..

त्वैमां क्या लुगूणों हो..
दिन बोडी ए बी जाला, ज्वाणि कखै ल्योण हो?


लगता है यह सवाल शायद पहाड की उन सभी महिलाओं की तरफ से पूछा जा रहा है, जिनके पति बेहतर भविष्य की तलाश में अपने परिवार को छोडकर महानगरों में नौकरी करने को मजबूर हैं.

हेम पन्त

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 4,326
  • Karma: +44/-1
परिवर्तन एक शाश्वत प्रक्रिया है.. सामाजिक बद्लावों पर गोपाल बाबू गोस्वामी जी का यह गाना अतुलनीय है..

गाने के पूरे बोल हिमांशु पाठ्क जी द्वारा यहां उपलब्ध कराये गये हैं..

http://www.merapahad.com/forum/index.php?topic=160.msg16488#msg16488

बखता तेरी ब्ले  ल्ह्यून

दूध हरायो, घ्यू हरायो, छा हराई नोणी
दूध हरायो, घ्यू हरायो, छा हराई नोणी
दै हरायो, पराई हारई, भदयाओ पुरानी

गौर भैसी कसाई ल्ही जाछा, हौ बै काणि बल्दा
गौर भैसिन को शराप लाग गो यो पहाड़ मे जा 

सोयाबीन  पोडर   दूध चली गो पहाड़ा
बाँझ है गई भैसिनक थाना , गोरु का गोठ्येरा

पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0
सामाजिक मुद्दों पर जनजागरण करने का कार्य मुख्यतः गीतकारों और गायकों का ही होता है। इतिहास के पुराने पन्ने पलटे तो चन्दरबरदाई का भी उदाहरण है। गोपाल बाबू गोस्वामे जी अनेकों मुद्दे अपने गीतों के माध्यम से उठाते थे, लेकिन अफसोस कि आज के व्यवसायिक युग में लटकों-झटकों के आगे सामाजिक मुद्दे गौड़ हो गये हैं।

गोस्वामी जी के कुछ गीत, पूरे याद नही हैं,

उठ मेरा भारती, धरती छका दे।
एक गाना और था जिसमें उन्होने गाया था कि- गौं-गौं में आईटीआई, पोलीटेक्निक खुलवा दियो

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22