Author Topic: Heera Singh Rana - हीरा सिंह राणा उत्तराखंड के प्रसिद्ध कवि एव गायक  (Read 58863 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Heera Singh Rana Jee Ki Poem....

अहा रे ज़माना, ओहो रे जमाना
त्वील आपुन रंग में रंगा, कि बुढा कि ज्वाना

आहा रे, ओहो रे, आहा रे जमाना
आहा रे जमाना..

सबु है बे ठुल है गो दुनी में जी पैस
सबु है बे ठुल है गो दुनी में जी पैस

पैसा की जागर लगे रे छे नाच रई मेंस
पैसा की जागर लगे रे छे नाच रई मेंस

ने के ईमान रोय,
ने के ईमान रोय, ने कैकी जुबान

अहा रे ज़माना, ओहो रे जमाना
त्वील आपुन रंग में रंगा, कि बुढा कि ज्वाना

बिकास को पैस बगी जानी छू थ्येक में
बिकास को पैस बगी जानी छू थ्येक में

बची कुची दफ्तरों में हजम
बची कुची दफ्तरों में हजम

बाकर है गयी चार टांग
गों को छो पधाना

अहा रे ज़माना, ओहो रे जमाना
त्वील आपुन रंग में रंगा, कि बुढा कि ज्वाना


सबु की जिंदगी है गये कि हाई फाई
सबु की जिंदगी है गये कि हाई फाई

माथ माथ खानि सब दूध की पराई
माथ माथ खानि सब दूध की पराई

साच घटी गये भय चली रे
साच घटी गये भय चली रे

झूठो की दुकान...

अहा रे ज़माना, ओहो रे जमाना
त्वील आपुन रंग में रंगा, कि बुढा कि ज्वाना

आदु नागन आदु कपड नंग पैरू नानी
आदु नागन आदु कपड नंग पैरू नानी

पैन्यार में ए जानि यो अंग्रेज हिन्दुस्तानी
पैन्यार में ए जानि यो अंग्रेज हिन्दुस्तानी

जींस में नानी ऐ गयी
जींस में नानी ऐ गयी धम्याल में नाना

अहा रे ज़माना, ओहो रे जमाना
त्वील आपुन रंग में रंगा, कि बुढा कि ज्वाना

provided by Himanshu Pathak ji.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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This is a Poem by Heera Singh Rana JI
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हम छी पहाडी हयू की डयी तुमल डंगार कौयू
हक़ मे धरी तुतुल तई, तबजै हम खंगार हौयू

सिदा सादा ठारु हम ठगीबै, तुमुल मारू हम
कभाणि नदि तुमुल ध्वक कबले सहु हम
च्यापि दी तुमुल हमरी गयी, तबजै हम अंलार हौयू !

काक छी भरत जाण छा  ? क्या उकै चिनाण छा
भारत वर्ष कैले दे नौ क्या उकै पन्यार छा !
तुमुल उकै हुदी गाई तबजै हम खूखार हौयु

उत्तराखंडक राणी हम सीमाओ मई ठंडी हम
जब ले लड़े लागी पैली गोंई खाणी हम
हम छौ देशक ठाडि मुनई तब जौ उन्द्कार हौयू

माड कए तुमुल अलग राज तुमुल करू नग नाच
मुज़फ़ नगर मे लुठी मा - बैणियो की शाम लाज
भिजे तुमुल मटै डय तबजै हम क्च्यार हौयू !

Risky Pathak

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Rana Jee's Famous Poem On Pahad



त्यर पहाड़ म्येर पहाड़, रोय दुखो को ड्येर पहाड़
बुजुर्गो ले जोड़ पहाड़, राजनीति ले तोड़ पहाड़
ठेक्दारो ले फोड़ पहाड़, नान्तिनो ले छोड़ पहाड़

ग्वाव नै गुसाई घ्येर नै बाड़
त्यर पहाड़ म्येर पहाड़


सब ल्हे गयी सहरो में, ठुला छ्वटा नगरो में
पेट पाँवनो चक्करों में, किराव दीनी कमरों में
बांज कुडो में जम गो झाड़
त्यर पहाड़ म्येर पहाड़

क्येकी तराकी क्येक विकास
हर आँखों में आंसा आंस
जे. ई. कै जा बी कै पास
ऐ. ई. मारू पैसो गाज
अटैचियों में भर पहाड़
त्यर पहाड़ म्येर पहाड़




Risky Pathak

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हीरा सिन्ह राणा जी की कविता "दिन कभे नि आय, दिन कभे नि पाय"

दिन कभे नि आय, दिन कभे नि पाय
हियना सहोसक दिय जगाय
दिन कभे नि आय, दिन कभे नि पाय
भूखैल मैस हैरि पैस बनाय
पैस मन्खिन कै कुकोव सिखाय
मरजाद हरै गे मन्थम बे
मन्ख्योव लै कभै मनख ने पाय
दिन कभे नि आय, दिन कभे नि पाय

सौकार गरिब की जेठ कान्सी
यो ह्येर फ़ेर छै लख चौरासि
क्वे ख्वड फ़ोडो या घ्यर तोडो
एक म्यान मे द्वी तल्वार नि राय
दिन कभे नि आय, दिन कभे नि पाय

हित मेरि उमरा हित एक्ले हिट
पीडे के दगद ले एक्ले हिट
बात घट मे हैसि के दिने हिटा
आज के दिन छे भ्ग्वान ले रवाय
दिन कभे नि आय, दिन कभे नि पाय

Risky Pathak

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हीरा सिंह राणा जी की कविता "बताओ गीत कस लिखु, यस लिखु कि यस लिखु"


बताओ गीत कस लिखु, यस लिखु कि यस लिखु
मीके सब गीत उनी हो, कूछा तुम जस मी वस लिखु

छै बाणि पानि का गीता, छै ठुलिका नानि का गीता
छै तिपुरि मेहलों का गीता, छै टुटिया छानि का गीता
छै फुटिया भानि क गीता
या गीत डबलम मे जो बेचि गे, ऊ रन्गिली ज्वानि क गीता
या जोनार लिजिक बेचि, जो ऊ थानक कलश लिखु
बताओ गीत कस लिखु, यस लिखु कि यस लिखु

क्वे एक आक आपुन पना फै बे जो गन है सान्स जे लिखु
या जनरो मोल के न्हेतन ऊ आन्ख्नक आन्स जे लिखु
या धौ खान पुरानि है रि जो ऊ रुप्योंक रास जे लिखु
गरीबा मर ग्यो भूखल मी ऊके लाश जे लिखु
या नग्नी लाश बिन कफ़्ने नी आय कैके तरस लिखु
बताओ गीत कस लिखु, यस लिखु कि यस लिखु

Risky Pathak

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हीरा सिंह राणा जी की कविता "उवील कौ छी मैं उन"

उवील कौ छी मैं उन, ऊ नी आई, हरे ठिल ठिल बे म्यर दिन कटाई
दगडी पूछनी कबही तक ऊ आने, मील गिज पर लगै रे छे ताई
उवील कौ छी मैं उन, ऊ नी आई, हरे ठिल ठिल बे म्यर दिन कटाई

होलि है मिल छी थ्वडा रन्ग लगे गे, होलि ल्हे गे ऊनी छौ दिवाई
जानि बखत कै बेर ए जून लौ, तैल कसम ले भीड अन्ग्वाई
उवील कौ छी मैं उन, ऊ नी आई, हरे ठिल ठिल बे म्यर दिन कटाई

जब बे ग्ये छी असल ने कुसल ने, कभे उवील मीके झुठ नी ल्गाई
एक जग भै बेर हम द्वीयु ले, जानि के के जै गानि मानि गठाई
उवील कौ छी मैं उन, ऊ नी आई, हरे ठिल ठिल बे म्यर दिन कटाई

कैल ले देखि उवेल मीके ब्ता च्हो, ऊ तो गोर छी हैगे काई सुवाई
जानि कै हैगो पन्गयार मे नै आय री, बैद्य भैटाय ले चली रे दवायी
उवील कौ छी मैं उन, ऊ नी आई, हरे ठिल ठिल बे म्यर दिन कटाई

यो सुनी बेर मै हिल दिलै रू, क ऊ मीके तो नी रे गे चाई
पीड के पुछू कि चलि रो इलाज़, कथे फ़ूट्नी छौ म्यर यो कपाई
उवील कौ छी मैं उन, ऊ नी आई, हरे ठिल ठिल बे म्यर दिन कटाई

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Excellent Himanshu Ji.

In addition to a Sinner, Rana Ji is also a great poet. He has also published some Books of his poems.

हीरा सिंह राणा जी की कविता "उवील कौ छी मैं उन"

उवील कौ छी मैं उन, ऊ नी आई, हरे ठिल ठिल बे म्यर दिन कटाई
दगडी पूछनी कबही तक ऊ आने, मील गिज पर लगै रे छे ताई
उवील कौ छी मैं उन, ऊ नी आई, हरे ठिल ठिल बे म्यर दिन कटाई

होलि है मिल छी थ्वडा रन्ग लगे गे, होलि ल्हे गे ऊनी छौ दिवाई
जानि बखत कै बेर ए जून लौ, तैल कसम ले भीड अन्ग्वाई
उवील कौ छी मैं उन, ऊ नी आई, हरे ठिल ठिल बे म्यर दिन कटाई

जब बे ग्ये छी असल ने कुसल ने, कभे उवील मीके झुठ नी ल्गाई
एक जग भै बेर हम द्वीयु ले, जानि के के जै गानि मानि गठाई
उवील कौ छी मैं उन, ऊ नी आई, हरे ठिल ठिल बे म्यर दिन कटाई

कैल ले देखि उवेल मीके ब्ता च्हो, ऊ तो गोर छी हैगे काई सुवाई
जानि कै हैगो पन्गयार मे नै आय री, बैद्य भैटाय ले चली रे दवायी
उवील कौ छी मैं उन, ऊ नी आई, हरे ठिल ठिल बे म्यर दिन कटाई

यो सुनी बेर मै हिल दिलै रू, क ऊ मीके तो नी रे गे चाई
पीड के पुछू कि चलि रो इलाज़, कथे फ़ूट्नी छौ म्यर यो कपाई
उवील कौ छी मैं उन, ऊ नी आई, हरे ठिल ठिल बे म्यर दिन कटाई


Risky Pathak

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हीरा सिंह राणा जी की कविता "शराबे की थैलि"


पन्च परधान प्रमुख त्यर लै रयी थूक
त्वील सबै जूठै हैलि शराबे की थैलि

गाडी के मालिक त्वील क्लीनर बने दी
बहुत कनि गाडि घुरे बेर जुन जी चढे दी
ऊ लौत जै कि डेलि  शराबे की थैलि

अब कतुक दिन तक तले तु यो पहाड मे रौली
काथ हो य भनार पुजै य भात हो बरयात
पैलि मुखै पुछी जान्छौ तेरी कुशो बात
त्वील सबै मुनी हैलि शराबे की थैलि

बाट म्जा पूलिस रै छौ तू को बटा ए छै
मन्त्री सन्तरी नी छोडा तु छुट कछी जै छै
त्येरि चुननी छै धमेली शराबे की थैलि

अब कतुक दिन तक तले तु यो पहाड मे रौली
शराबे की थैलि

Risky Pathak

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Heera singh rana jee's Super Hit Song "Meri Nauli Praanaa"


आजकल हैरे ज्वाना मेरी नौली प्राना, म्यर मन कै  रै बाना मेरी नौली प्राना
मैल भल कै रये डाना मेरी नौली प्राना

जब जै छै सुवा बाट मे छट्काने छडै कै, सब चायी यै रये जानि त्येर म्येर ज्वाड कै
सब ल्हे गो ले प्रधान मेरी नौली प्राना
आजकल हैरे ज्वाना मेरी नौली प्राना

यो रूप कै छो जोभन भाई मस्त है रे सब
म्यर गो गाडा क नान्तिन त्यर भक्त है रे सब
हिट थापि द्यू तेरो थाना मेरी नौली प्राना
आजकल हैरे ज्वाना मेरी नौली प्राना

 

Risky Pathak

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Famous Poem "Meri Manilaa Daani"

मेरी मनिला डानी हम तेरी ब्लाई ल्ह्युना
तु भग्वती छै भवानी हम तेरी ब्लाई ल्ह्युना

कक्ला सुन रानिखेत सुनी बिने क उछ्यानी
दुनगिरि मे धना बानि यो पुरब उज्यानी
फ़ुटा उंच गंगा को पानी हम तेरी ब्लाई ल्ह्युना

मै छु हीरु डधोई को पीड के गढोई
अरे त्यर खुटां तब लै रयु यो पीड कै बटोई
म्यर विन्ती जै मानी हम तेरी ब्लाई ल्ह्युना

 

 

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