गोपाल बाबू गोस्वामी जी ने भी हास्य गीत गाये है जनसँख्या ब्रिधि पर उनका एक गीत है
छोड़ दे मेरा हाथ में ब्रह्मचारी छू
में लहै जानू कैलाशा, में ब्रह्मचारी छू
एक हुनो, द्वी हुना, तीन हुना पै जेले हुना
यो स्यवो की पलटना में अब कहूँ जू
छोड़ दे मेरा हाथ में ब्रह्मचारू छू
चाय पर चुस्की देखिये-
घर घरु आब देखो चाहा चूसा चूसा
डकोवा बेरइ ब्या गे, ठेकी पाना मूषा