रीधी कु सुमिरो,सीधी कु सुमिरो,सुमिरो सारदा माई,अर् सुमिरो गुरु अभिनासी को,सुमिरो किशन कनाई! सदा अमर या धरती नि रैन्दि,मेघ पड़े शुखी जाई, अमर नि रैंदा,चन्द्र सूरज चुचा,गर्हण लगे छुपी जाई!अगला इ से
इ से इख मा छुई उख मा छुई छुई बात की...
नथुली का बीच रे फूल भंवरा ,घिची दी दै पीण रे मेरी भंवराफूल मा भंवर ऐगे फूल माफूल मा भंवर ऐगे ट्वेन अफु देण ओन रे फूल भंवराअगला -र , रा- से
रूकदी छै न सुखदी छैनयार जनि बगदी छै
गोरख्यानी की दारु बर्मंड चढ़दी धमये प्यारा गढ़वाल गोरखों न मचैली धूमअगला- मा -से