Author Topic: Musical Instruments Of Uttarakhand - उत्तराखण्ड के लोक वाद्य यन्त्र  (Read 88612 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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कौथिग में बिखरे लोकसंस्कृति के रंग
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लोकवादकों ने पारंपरिक वाद्ययंत्र ढोल -दमौ की स्वरलहरियां बिखेरी तो बच्चों ने गढ़वाली लोक संस्कृति के विविध रंग। फिर भला कवि कहां पीछे रहने वाले थे। गढ़वाली रचनाकारों ने महंगाई, भ्रष्टाचार समेत समसामयिक विषयों को उकेरा ही, पहाड़ की पीड़ा को भी बखूबी बयां किया। मौका था गढ़वाल भ्रातृ मंडल संस्था क्लेमनटाउन की ओर से सुभाषनगर में राज्य स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में उत्तराखंड के शहीदों को समर्पित 'गढ़ कौथिग मेला एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम' के आगाज का।

सुभाषनगर में गुरुनानक रोड पर शनिवार को शुरू हुए गढ़ कौथिग में ढोल-दमौ वादकों ने जब ढोल-दमौ पर मधुर स्वलहरियां छेड़ी तो सभी झूम उठे। इसके बाद बारी थी गढ़वाली रचनाकारों की। कवि सम्मेलन में उन्होंने अपनी रचनाओं से सोचने पर मजबूर कर दिया। शांति प्रकाश 'जिज्ञासु' ने महंगाई की पीड़ा को कुछ इस तरह व्यक्त किया-'गरीबी टूंडा टिपणी च, अमीरी मोती लुटणी च, जीणु भौत मुश्किल च, मैंगि तलवार लगणी च'। कालिका प्रसाद नवानी ने कहा 'मैंगी सब्जी, अनाज अर पिट्रोल हुयूंच, मौंटेक थैं सैरों मा बत्तीस की पगार सेठों की दिखेणी च'। भ्रष्टाचार पर तंज कसते हुए लोकेश नवानी का दोहा 'लपट्यां भ्रष्टाचार मा जैका खुट्टा हाथ, क्या मजबूरि च कि हम देणा वैको साथ'। मणि भारती ने पहाड़ की पीड़ा उकेरते हुए कहा-'तिबारि डंड्याली सूनि, उरख्यलि पंदेरि झम, कख गैनि खुदेड़ गितु की गांदरि घसेनी झम'।

Source dainik jagran

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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gsbnhpc

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o meri hemmamalini aakhe teri kayi kayi ka link chahiye doen load karne ke liye

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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Great info Jakhi ji keep up the good work +1 karma aapko.

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विनोद सिंह गढ़िया

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नगाड़ा
उत्तराखंड के लोक वाद्य यंत्रों में नगाड़े का प्रमुख स्थान है क्योंकि यह नगाड़ा देवी-देवताओं की स्तुति के समय बजाया जाता है। उत्तराखंड में नगाड़ा पूजा स्थलों, शादी-व्याह इत्यादि शुभ अवसरों पर बजाया जाता है। नगाड़े की एक अलग ही आवाज होती है जिसे दमुवां के साथ बजाया जाता है, जिसकी आवाज से पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो उठता है। ऊपर ये नगाड़े देवी भगवती मंदिर पोथिंग (बागेश्वर) के हैं, जिन्हें देवी मंदिर में आठों और सौपाती के अवसर पर बजाये जाते हैं। गाँव की शादी-ब्याहों में भी इस नगाड़े को बजाया जाता है।

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ढोल की धमक, दमाऊ की टंकार से गूंजा सितोनस्यूं





  पौड़ी गढ़वाल, : बुधवार को सितोनस्यूं घाटी ढोल-दमाऊ की धमक से गूंज उठी। कोट महोत्सव के उद्घाटन अवसर पर ढोल सागर स्पर्धा में वादकों ने कई प्रकार की ताल बजाकर दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया।

ब्लाक कोट महोत्सव गत वर्ष से आयोजित हो रहा है। इस साल मेले का शुभारंभ क्षेत्रीय विधायक बृजमोहन कोटवाल ने किया। इस मौके पर हंस फाउंडेशन के उत्तराखंड प्रभारी पदमेन्द्र बिष्ट 'टेगू भाई' ने आयोजन के लिए 51 हजार की धनराशि दी। ढोल सागर स्पर्धा में जनपद के कई गांवों से ढोल-दमाऊ वादकों ने प्रतिभाग किया।

 इससे पहले मार्चपास्ट का प्रदर्शन हुआ। मार्चपास्ट में राइंका कोट, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मसण गांव, पूर्व माध्यमिक विद्यालय कठुड़, कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कोटसाडा, राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पलोटा, प्राथमिक विद्यालय, महिला मंगल दल फरसाडी, महिला मंगल दल कोट व महिला मंगल दल कोटसाड़ा शामिल रहे।

कोट महोत्सव में पशुपालन विभाग, कृषि विभाग, जन चेतना समिति कोट समेत अन्य विभागों ने स्टाल लगाए हैं। स्टाल में ग्रामीणों को विभिन्न जानकारियां दी जा रही हैं




Source dainik Jagran

हेम पन्त

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