चाल या हिटण
१- घट को भगवाडी : रुब्सी खुट्योंन तू चल अग्वाडी
२-बन्दूक कु गज : तू चल अग्वाडी मैं देखलू सज
मधुर वाणी
१-केला तोडी फली --- कै जगह सुणेली तेरी मोछंग सी गौल्ली (मोछंग एक वाद्य का नाम है )
२- घुघती को घोल ---गुद-बुद्या गिच्चिन हैक्कू बोल बोल
३-घुघती को घोल--- पाथो रुपया पड़ी जयां तेरी जुबानी को मोल (पाथो --अनाज नापने का लकडी का बर्तन )
४- बाखरी को रान : सौ रुप्यौं की दांती हजार की जुबान
सुकुमारता
१-साग लाई तोर --- नाक -डंडी tutige नथुली का जोर
कुच-कांति अथवा स्तन सौंदर्य
१-धनिया को बीज ----छाती का अनार तेरा तर्सौनिया चीज
माया --प्रेम
११- हरिया जौ का कीस--जन जन पे ठंदू पाणी तन तन बड़ी तीस
१२- यकुली को कंसो -माया लाण मन, शूरबीर करदू सान्सू
१३-सोना गढी संकल-- कित ब्यौना जयमाला की त रौलू खन्कल (खन्कल--अविवाहित)
१४-कुठारी कु खाना - अमीरू की माया छोडी फकीरूं बना
१५- कमोली को घ्यू --इन लाणी माया , माछी जन ज्यू
१६--- फूली जालो आरू- गौं पर की माया नजरूं कु सहारू
१७-- बखरा की सींगी ---फूल माथि भौंर बैठ्यूं त क्या करदी रिंगी
१८- सेरा लाई कूल ---रस चूसी भौंर ल्हीगे , रेगे बेरस फूल
१९- पाणी भरी घौडू-- परदेशी भौंरू कबी नि होन्दू अपडू
२०- बाखरा की सींगी - मायालू कु मायादार आंख्युं रिंगी
विविध
२१- भैंस को नाम छ चाँद ---मायालू की मायादार बांदू माँ की बांद
२२- कलम की रेक --बान्दून दुन्या भरीं मेरी मन की तू एक
२३-तिम्ला की पात ---सज्जन को संजोग लम्बी ह्वै जा रात
२४-नथुली पौंर---डाल्यूं डाल्यूं रस लेंदू रस-लोभी भौंर
२५-मालू तोड्या taantee ---घौन् गन का बतु नि आणू माया जांदी बाँटीं
वाजुबंद काव्य में स्वप्न (गढ़वाल , उत्तराखंड, हिमालय के लोक गीतों में स्वप्न )
Dream in Folk Songs , Folk Poems of Garhwal, Uttarakhand, Himalayas
Collection: Ramchand Ramola
Presented by Bhishma Kukreti
१- मलेऊ की पांत --रातू का सुपिना नि औनु होंदी उकरांत
२- काटी जाली सुपारी --सुपिना की नींद टूटी आंखी ना उफारी
३- कू तोडी बंद --झट दर्शन दे जा सुपिना का धन्द
४- बाखरा की सींगी ---रातु का सुपिनी माँ आयी दिन आंख्युं माँ रीँगी
खुदेड़ बाजूबंद गीत (विरह श्रृंगारिक कवितायेँ Folk Songs of Separation)
१- तिमली को पट: बाटा हेरी मरयूं ठाडी कपाली हात
२- बखरी बिन्वार : कै पर देखुलू तेरी अन्वार
३- परोठो दूध को : मुखडी को पाणी सुकी तुमारी खुद को
४-चरीजालू भैरो : जादा नि खुदेणु रंग जालो तेरो
५- डाला पकी बेर : आज कु मिलणु ह्वै गे बरसू को फेर
संग्रह कर्ता : मालचंद रमोला
प्रस्तुति: भीष्म कुकरेती मुंबई